नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव में जेएनयू के दो बड़े छात्र नेता दस्तक दे सकते हैं. इनमें सबसे बड़ा नाम जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का है, जो बिहार के बेगूसराय से चुनाव लड़ सकते हैं. वहीं जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष रहीं शेहला रशीद के जम्मू कश्मीर से चुनाव लड़ने की चर्चा है. कन्हैया अपनी पार्टी यानी सीपीआई से चुनाव लड़ेंगे तो शेहला के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक उन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस चुनाव लड़वा सकती है. जाहिर है विपक्ष इन युवा नेताओं को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लोगों और खास तौर पर युवाओं का ध्यान खींचने के लिए करेगी.


अभी चुनाव लड़ने को लेकर कुछ भी आधिकारिक तौर पर तय नहीं: कन्हैया कुमार


एबीपी न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए कन्हैया ने कहा कि अभी चुनाव लड़ने को लेकर कुछ भी आधिकारिक तौर पर तय नहीं हुआ है. हालांकि उन्होंने ये साफ कर दिया कि पार्टी का आदेश हुआ तो वो पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे और वो चुनाव लड़ने की संभावना से इंकार नहीं कर रहे. कन्हैया के नजदीकी सूत्रों ने भी उनके बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना जताई है और बताया कि पिछले कुछ समय से कन्हैया अपने क्षेत्र में बेहद सक्रिय भी हैं. बिहार में सीपीआई के स्थानीय नेताओं ने भी मीडिया से कन्हैया के नाम को लेकर पुष्टि की है. सूत्रों के मुताबिक बिहार में महागठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच भी कन्हैया को लेकर सहमति है. हालांकि अभी कोई भी पार्टी औपचारिक तौर पर कुछ नहीं कह रही है.


शेहला को फारूक अब्दुल्ला की परंपरागत सीट से चुनाव लड़ने का ऑफर: सूत्र


वहीं शेहला रशीद के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक उन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस ने चुनाव लड़ने की पेशकश की है जिस पर वो विचार कर रही हैं. सूत्रों की माने तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने शेहला को फारूक अब्दुल्ला की परंपरागत सीट से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है.


कन्हैया कुमार के चुनाव लड़ने की बात का विपक्ष के दूसरे युवा संगठन भी स्वागत कर रहे हैं. युवा कांग्रेस के नेता अमरीश रंजन पांडेय ने कहा कि अगर कन्हैया लड़ते हैं तो ये अच्छी बात है क्योंकि इससे युवा नेतृत्व को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.


चुनाव के मुद्दों को लेकर कन्हैया ने कहा शिक्षा की स्थिति और  बेरोजगारी उनके अहम मुद्दे होंगे. इसके साथ ही आम आदमी की जिंदगी से जुड़े मुद्दे और किसान-मजदूर से जुड़े मुद्दे भी वो उठाएंगे. कन्हैया इन दिनों देशभर में 'संविधान बचाओ' के नाम से कार्यक्रम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत प्रचार करेंगे.


कन्हैया ने ये भी कहा कि उनके जो भी साथी चुनाव लड़ेंगे वो उनके लिए प्रचार करेंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला करते हुए छात्र नेता ने कहा नरेंद्र मोदी को एक मौका मिला लेकिन वो लोगों की उम्मीदों पर खड़े नहीं उतर सके. वहीं विपक्ष के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के सवाल को लेकर कन्हैया ने कहा कि ये चुनाव के बाद तय होगा.


1967 में सीपीआई ने जीती थी ये सीट


बेगूसराय लोकसभा सीट की बात करें तो कन्हैया की पार्टी सीपीआई (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) ने 1967 में ये सीट जीती थी. 2014 में सीपीआई यहां तीसरे स्थान पर थी, हालांकि उसे लगभग 1 लाख 90 हजार वोट मिले थे. RJD यहां दूसरे नम्बर पर थी जबकि बीजेपी के भोला सिंह लगभग 60 हजार के अंतर से जीते थे. इस बार बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार बदला जाना तय है. समीकरण की बात करें तो कन्हैया की राह आसान लगती है लेकिन उनके सामने एक बड़ी चुनौती छवि की है जिसका कथित कनेक्शन जेएनयू कांड से है.


जेएनयू के छात्र नेता फरवरी 2016 में तब चर्चा में आए थे जब यूनिवर्सिटी कैंपस में देशविरोधी नारे लगाए जाने की घटना हुई थी. उस दौरान छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया को गिरफ्तार भी किया गया था. हालांकि अब तक उस मामले में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर पाई है.


चुनाव में जहां कन्हैया को चर्चित युवा नेता होने का फायदा मिलेगा. वहीं JNU वाली घटना इनके लिए चुनौती भी होगी क्योंकि उसे बीजेपी इनके खिलाफ इस्तेमाल करेगी. देखना दिलचस्प होगा कि 2019 के महाभारत में बेगूसराय में कन्हैया के खिलाफ बीजेपी कैसा चक्रव्यूह रचती है और क्या कन्हैया उसे भेद पाते हैं?