कंझावला कांड: अंजलि की मौत की जांच के साथ ही उसके 'चरित्र की पड़ताल' क्यों?
कंझावला केस: किसी भी लड़की या महिला के साथ जब भी कोई अपराध होता है सभी न्यूज़ चैनल से लेकर सोशल मीडिया पर हम विक्टिम लड़की, महिला या सर्वाइवर के चरित्र की पड़ताल शुरू कर देते हैं.
आमतौर पर जब किसी व्यक्ति के घर चोरी हो जाती है या चलती गाड़ी से कोई फोन लेकर फरार हो जाता है तो कोई पलटकर ये नहीं कहता कि तुम्हारी ही गलती होगी या तुम ने कुछ किया होगा. लेकिन जब अपराध किसी महिला के साथ हुआ हो तो उसपर सवाल जरूर उठता रहा है. उसे विक्टिम शेमिंग से जरूर गुजरना पड़ता रहा है.
लड़की नशे में थी जरूर उसकी ही गलती होगी ...
अच्छी लड़कियां रात के नौ बजे के बाद बाहर नहीं जाती...
उसका तो चरित्र ही ऐसा था...
किसी भी लड़की या महिला के साथ जब भी कोई अपराध होता है तो पीड़ित लड़की या महिला के चरित्र की पड़ताल शुरू कर देते हैं. अपराध से पहले वो कहां गई थी, किसके साथ घूम रही थी. वो समाज के बनाए अच्छी लड़कियों के खांचे में फिट थी या नहीं. इस तरह की बातें होना बहुत आम हो चुका है.
एक बार फिर ऐसा ही कुछ देखने को मिला कंझावला केस में. नए साल की रात दिल्ली में हुए कंझावला मामले ने सबको हैरान कर के रख दिया. दरअसल 31 दिसंबर की देर रात एक कार ने स्कूटी को टक्कर मारने के बाद उस पर सवार लड़की को 12 से 13 किलोमीटर तक घसीटा और पता चलने पर उसके शव को बीच सड़क पर फेककर भाग खड़े हुए.
अगले दिन लड़की का शव नग्न अवस्था में सड़क पर पड़ा मिला. जब मामले की जांच हुई तो सबके होश ही उड़ गए. अब इस मामले में नए-नए पहलू सामने आ रहे हैं. अब तक कई सीसीटीवी फुटेज सामने आ चुके हैं. कई चश्मदीदों ने बताया है कि उस रात क्या हुआ था. इस बीच लड़की की दोस्त का बयान भी सामने आया जिसमें उसने बताया कि घटना के वक्त अंजलि नशे में थी और वह पार्टी करके लौट रहे थे.
अंजलि के चरित्र की पड़ताल शुरू
इन दो बयानों के बाद एक बार फिर समाज ने अंजलि के चरित्र की पड़ताल शुरू कर दी. सोशल मीडिया पर उसके दारू पीने, ब्वॉयफ्रेंड के साथ लड़ाई हो जाने और पार्टी करने को ऐसे दिखाया गया जैसे उसी ने इस घटना को न्योता दिया था.
ऐसा करना महज़ इत्तेफ़ाक़ नहीं है. आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में पिछले 35 सालों में हुए कई रिसर्च बताते हैं कि जब महिलाओं के हाथ हुए अपराध, खास कर बलात्कार पीड़िता समाज के हिसाब से 'सही' माने जाने वाले बर्ताव से अलग होती हैं तो ऐसी परिस्थिति में अभियुक्त को कम सज़ा दी जाती है या कुछ मामलों में बरी भी किया गया है.
हालांकि कानून रेप के आरोप की सुनवाई में पीड़िता के बरताव को अहमियत देने को गलत बताता है. लेकिन इसके बावजूद कई बार सुनवाई के दौरान जज इन सोच के आधार पर ही कोई फैसला लेते हैं.
क्या कहती है स्टडी
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया विश्वविद्यालय में लॉ के प्रोफेसर मृणाल सतीश ने साल 1984 से 2009 तक देश के सभी सर्वोच्च न्यायालय और हाई कोर्ट में आए बलात्कार के फैसलों पर स्टडी किया है.
प्रोफेसर ने पाया कि 25 साल के अंदर जब भी किसी ऐसी औरत के साथ बलात्कार हुआ जिन्होंने कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे, तब दोषी को दिए गए सजा की अवधि ज्यादा रही. वहीं दूसरी तरफ ऐसे मामले जहां रेप विक्टिम ऐसी थी जिसने पहले भी यौन संबंध बनाए थे, चाहे वो शादी से पहले हो या बाद में वहां दोषी की सजा की अवधि कम हो गई.
बलात्कारी से शादी करने का आदेश दे चुकी है कोर्ट
भारतीय अदालतों के ऐसे बहुत से फैसले हैं जहां न्याय के रूप में बलात्कारी को विक्टिम से शादी का आदेश दिया गया हो. कई मामलों में दोषी को सिर्फ इसलिए बरी कर दिया गया है क्योंकि वह सर्वाइवर से शादी करने के लिए राज़ी हो जाता है.
सबसे ताजा मामला साल 2022 की 10 अक्टूबर का है जब जज दिनेश कुमार सिंह ने एक मामले में दोषी मोनू, को दो तथ्यों के आधार पर जमानत दे दी. इस मामले में दोषी के खिलाफ अपहरण, बलात्कार और पोक्सो की धारा-3 और धारा-4 के तहत खीरी जिले की पुलिस ने मामला दर्ज किया था. रेप के वक्त विक्टिम की उम्र केवल 17 साल थी. वहीं कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि, मोनू को इस शर्त पर रिहा किया जाए कि जेल से बाहर आने के तुरंत बाद वह रिहाई के 15 दिन के अंदर सर्वाइवर से शादी करेगा. वह शादी का रजिस्ट्रेशन करवाएगा. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मोनू सर्वाइवर को पत्नी और यौन हिंसा की घटना के बाद जन्मे बच्चे को एक बेटी के रूप में सभी अधिकार देगा.
क्या कहती है महिलाएं
10 साल से इंडिपेंडेंट रह रही पूजा ने एबीपी से बातचीत के दौरान कहा, ' हां ये सच है कि हमारे समाज में महिला से जुड़ी अपराध में उन्हें ही कसूरवार ठहराना बहुत आम है. बात रेप की हो या छेड़खानी की, मैंने हमेशा ही परिवार से लेकर दोस्तों के बीच भी ये कहते सुना है कि लड़की को रात में निकलने की क्या जरूरत थी. या छोटे कपड़े पहनने से पहले सोचना चाहिए था.
पिछले 3 साल से लिवइन में रह रही प्रिया का कहना है, 'आमतौर पर बालात्कार के लिए स्त्री को दोष दिया जाता है. जब भी कोई ऐसी घटना होती है तो उस वक्त कुछ लोग भूल जातें है कि अपराध पुरुष ने ही किया है.' उन्होंने कहा कि मुझे अपने पार्टनर के साथ रहने के दौरान कई बार चरित्र को लेकर कमेंट सुनना पड़ता है. ऐसे में मुझे नीलमा नाहीद दुर्रानी की वो पंक्ति याद आती है जिसमें उन्होंने कहा कि कैसे मर्दों के लिए हर चीज में गलत औरतें ही होती हैं
'औरत अपना आप बचाए तब भी मुजरिम होती है
औरत अपना आप गंवाए तब भी मुजरिम होती है'
वहीं दिव्या का कहना है, 'कांझावाला मामले को मैं शुरू से ही फॉलो कर रही हूं. शुरुआत में इस घटना के बारे में सुनकर मैं हैरान रह गई. लेकिन धीरे धीरे जांच हुई है एक बार फिर विक्टिम पर उंगली उठाई गई. चाहे मामला सुशांत सिंह जैसे कलाकार के सुसाइड के बाद उसकी गर्लफ्रेंड के चरित्र पर सवाल उठाना है या किसी रेप के बाद महिला पर. हमारे समाज को बस महिलाओं को शक की निगाहों से जरूर देखा जाता है. ये भी एक बड़ा कारण हो सकता है कि घटना के वक्त स्कूटी पर बैठी अंजलि की दोस्त ने पुलिस के पास जाने से बेहतर घर जाना चुना क्योंकि उसे पता था कि जब लोगों को पता चलेगा कि वह पार्टी कर के आ रहीं हैं तो उसपर भी सवाल उठाए जाएंगे'.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
महिला अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली योगिता भयाना ने एबीपी से बातचीत के दौरान कहा कि कांझावाला मामले में बहुत सारे पहलू को देखना पड़ेगा. सबसे जरूरी है कि लड़की के चरित्र पर सवाल उठाने के बजाए,आरोपियों को सख़्त से सख़्त सज़ा मिले उसके ऊपर बात होनी चाहिए,मुद्दे को न भटकाया जाये. उन्होंने कहा कि हमारे समाज में बड़े से बड़े क्राइम को भटकाने के लिए महिलाओं के चरित्र पर चर्चा की जाती है. जो कि बिल्कुल गलत है. एक तरफ हम कहते हैं कि हमारा देश बदल रहा है और दूसरी तरफ महिलाओं के लेकर दकियानूसी सोच से बाहर आने के लिए तैयार नहीं हैं.
क्या है पूरा मामला
31 दिसंबर 2022 को दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में देर रात एक युवती अपने दोस्त के साथ स्कूटी से जा रही थी. इस बीच एक कार की स्कूटी से टक्कर हो गई. इस एक्सीडेंट में स्कूटी पर सवार दोनों घायल हो गए. जिस कार ने स्कूटी को टक्कर मारी थी उसमें पांच लोग सवार थे और सभी नशे में थे.
कार सवार लोगों ने टक्कर मारने के बाद गाड़ी रोके बिना ही उसकी स्पीड तेज कर दी. स्कूटी पर सवार लड़की का पैर टक्कर लगने के कारण एक्सल में फंस गया और कार की रफ्तार के साथ वो भी खींची चली गई. उस दौरान उसके सारे कपड़े फट गए. युवती की मौके पर ही मौत हो गई.
कार सवार पांच आरोपियों ने कंझावला रोड पर जोंटी गांव के पास जब कार रोका तो पाया कि उसके कार में एक युवती फंसी हुई है. आरोपी ने उस युवती को कार से निकाल कर वहीं फेंक दिया और फरार हो गए. जब पुलिस को उसका शव मिला तब उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था.
पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी और सीसीटीवी फुटेज की मदद से सभी आरोपियों को पकड़ लिया है.