Delhi Kanjhawala Case: दिल्ली के कंझावला कांड में जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ रही है, रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. कार हादसे में जान गंवाने वाली अंजलि के खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाने का एक मामला पहले से ही दर्ज है. 6 महीने पुराने इस मामले में डॉक्टरों की मेडिकल रिपोर्ट में उसके मुंह से शराब की बदबू आने की बात भी कही गई है.
दिल्ली पुलिस ने कंझावला कांड के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने की बात कही है. हालांकि, पुलिस की जांच में पहले ही सामने आ चुका है कि ये मामला सिर्फ सड़क हादसे का है, नाकि कत्ल का. कुल मिलाकर कंझावला कांड के आरोपियों पर गैर-इरादतन हत्या का ही मामला दर्ज होगा. जिसमें आरोपियों को 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.
कंझावला कांड की जांच में शुरुआत से ही एक के बाद एक झोल सामने आ रहे थे. अंजलि की मौत के कई घंटों बाद पुलिस को पता चला कि अंजलि के साथ उसकी एक दोस्त निधि भी स्कूटी पर थी. वहीं, अब पुलिस ने कहा है कि उस रात कार में सिर्फ 4 लोग सवार थे और मामले में यही आरोपी हैं. आइए जानते हैं कंझावला कांड के उन 14 घंटों की पूरी कहानी, जिसमें अंजलि की मौत पर सस्पेंस बना हुआ है.
कौन हैं चारों आरोपी?
आरोपियों में से एक अमित खन्ना उत्तम नगर में एसबीआई बैंक के क्रेडिट कार्ड डिपार्टमेंट में काम करता है. दूसरा आरोपी कृष्ण कनॉट प्लेस के स्पेनिश कल्चर सेंटर में काम करता है. तीसरा आरोपी मिथुन हेयर ड्रेसर है. चौथा आरोपी मनोज मित्तल इलाके का बीजेपी नेता है और सुलतानपुरी में राशन की दुकान चलाता है.
नए साल का जश्न, शराब का दौर और मुरथल में पार्टी
कंझावला कांड के पहले सिरे की बात करें, तो चारों आरोपियों ने 31 दिसंबर 2022 की शाम को पहले सुलतानपुरी में नए साल का जश्न मनाया. मनोज मित्तल की दुकान पर शाम से ही शराब का दौर शुरू हो गया था. इस पार्टी में मनोज के साथ अमित, कृष्ण और मिथुन भी शामिल थे. देर रात तक शराब का दौर चलता रहा. इसके बाद मुरथल जाकर खाना खाने का प्लान बना.
आशुतोष की कार मांगी, लेकिन कार मालिक है लोकेश
31 दिसंबर की रात करीब दस बजे के अमित अपने दोस्त आशुतोष से उसकी कार मुरथल जाने के लिए मांगता है. नोएडा की एक टेक फर्म में काम करने वाला आशुतोष उसे कार दे देता है. हालांकि, पुलिस की जांच में सामने आया कि ये कार आशुतोष की नहीं, बल्कि उसके जीजा लोकेश की है. कार कुछ दिनों से आशुतोष के घर पर ही खड़ी हो रही थी.
अमित ही कर रहा था ड्राइविंग
आशुतोष की कार लेकर अमित फिर से मनोज मित्तल की दुकान पर पहुंचता है. यहां से सभी लोग रात करीब ग्यारह बजे के आसपास मुरथल के लिए निकल पड़ते हैं. मुरथल में पहुंचकर खाना खाने से लेकर वापस सुलतानपुरी लौटने तक कार अमित ही चला रहा था. हालांकि, पुलिस को जांच में गुमराह करने के लिए आरोपियों ने दीपक नाम के शख्स को कार चलाने का आरोप अपने ऊपर लेने के लिए मना लिया था.
होटल में अंजिल और निधि ने की थी पार्टी
कंझावला कांड के दूसरे सिरे की बात करें, तो 31 दिसंबर 2022 की रात अंजलि भी अपनी दोस्त निधि के साथ नए साल का जश्न मनाने की तैयारी कर रही थी. अंजलि अपने घर से शाम को करीब साढ़े छह बजे स्कूटी से निधि के घर पहुंचती है. यहां से दोनों शाम साढ़े सात बजे के करीब विवान होटल पहुंचते हैं. अंजलि और निधि इस होटल में रात को डेढ़ बजे तक रुकते हैं. इसके बाद अंजलि और निधि स्कूटी से घर लौटने के लिए निकलते हैं.
कार से हुई टक्कर और नीचे फंस गई अंजलि
रात के करीब दो के आसपास मुरथल से आ रही आरोपियों की कार और स्कूटी के बीच टक्कर हो जाती है. टक्कर होने के बाद अंजलि और निधि स्कूटी से गिर पड़ते हैं, लेकिन अंजलि कार के नीचे फंस जाती है. आरोपियों को पता था कि अंजलि कार के नीचे फंस गई है, लेकिन नशे में धुत आरोपियों ने कार नहीं रोकी और उसे घसीटते रहे.
कंझावला में कार के नीचे से निकली अंजलि की लाश
करीब दो घंटे तक कार को सड़कों पर नचाते हुए आरोपी करीब चार बजे कंझावला मोड़ पर पहुंचते हैं. इसी दौरान अंजलि की लाश कार के नीचे से निकल जाती है. पुलिस को लाश के बारे में करीब चार बज कर दस मिनट पर सूचना मिलती है.
अमित के भाई अंकुश ने दिया दीपक को शामिल करने का आईडिया
कार चला रहे अमित के साथ ही किसी भी आरोपी के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था. तिस पर चारों आरोपियों ने शराब भी पी रखी थी. उन्हें पता था कि देर-सवेर पुलिस उन तक पहुंच ही जाएगी और बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाने पर सजा बढ़ भी सकती है. जिसके बाद अमित अपने भाई अंकुश के पास पहुंचा. अंकुश ने अपने चचेरे भाई दीपक को इसमें शामिल करने का आईडिया दिया. दीपक को तैयार किया गया कि वो पुलिस से कहेगा कि हादसे के वक्त कार वो ही चला रहा था.
दीपक के साथ की सेटिंग और आशुतोष के घर छोड़ दी कार
दीपक को बताया गया था कि मामूली एक्सीडेंट हुआ है. जिसके बाद वो तैयार हो गया था. यहां से चारों आरोपी सीधे कार लेकर आशुतोष के घर जाते हैं. यहां अमित आशुतोष को हादसे के बारे में बताता है. इसके बाद चारों आरोपी ऑटो पकड़ कर अपने-अपने घर चले जाते हैं.
सीसीटीवी फुटेज मिलते ही गिरफ्तार हुए सभी आरोपी
सभी आरोपी अपने घर पहुंच जाते हैं. हालांकि, उस समय तक दिल्ली पुलिस के हाथ हादसे का सीसीटीवी फुटेज लग चुका था. कार के नंबर के सहारे पुलिस ने सभी आरोपियों को सुबह करीब आठ बजे तक गिरफ्तार कर लिया था. आरोपियों में दीपक भी शामिल था.
दीपक ने खोली थी सच्चाई
ड्राइविंग का आरोप खुद पर लेने वाले दीपक को पूछताछ में जब पता चला कि हादसे में लड़की की मौत हो गई है, तो उसने पुलिस को सच्चाई बता दी. दीपक ने बताया था कि कार वो नहीं, अमित चला रहा था. दीपक के बयान की जांच के लिए पुलिस ने कॉल डिटेल से उसकी लोकेशन खोजी, तो वो उसके घर पर ही मिली. वहीं, चारों आरोपियों की लोकेशन हादसे वाले इलाके में ही थी.
पुलिस की जांच में कई गलतियां
कंझावला कांड के हादसे के 14 घंटों की पूरी कहानी पुलिस के सामने सीसीटीवी फुटेज और चश्मदीदों के बयानों से साफ थी. इसके बावजूद पुलिस की जांच में कई गलतियां होती रहीं. दीपक कार नहीं चला रहा था, कार में सिर्फ चार ही लोग थे, हादसे के वक्त अंजलि के साथ निधि भी मौजूद थी. ये तमाम बातें कंझावला कांड के कई घंटों बाद पुलिस के सामने आईं.
अंजलि की मौत से सदमे में परिवार
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के मंगोलपुरी में रहने वाली अंजलि छह भाई-बहनों में दूसरे नंबर की संतान थी. एक बड़ी बहन की शादी हो चुकी है. बाकी के भाई-बहन अंजलि से छोटे हैं. आठ साल पहले अंजलि के पिता की मौत हो चुकी है. मां एक स्कूल में नौकरी करती थी, लेकिन लॉकडाउन में नौकरी छूट गई. घर का खर्च अंजलि ही चला रही थी.
अंजलि पर थी पूरे परिवार की जिम्मेदारी
पूरे परिवार की जिम्मेदारी अंजलि के कंधों पर ही थी. ब्यूटीशियन का कोर्स करने वाली अंजलि शादी और दूसरे फंक्शन में महिलाओं और लड़कियों का मेकअप करती थी. इसके साथ ही अंजलि पार्ट टाइम शादियों में मेहमानों का स्वागत करने के लिए उन पर फूल बरसाने का काम भी करती थी. इन पैसों से ही घर का खर्च चलता था.
ये भी पढ़ें: