(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कन्नूर यूनिवर्सिटी सावरकर और गोलवलकर के कार्यों को अपने पाठ्यक्रम में नहीं करेगा शामिल, जानें क्या कहा?
कन्नूर यूनिवर्सिटी ने सावरकर और गोलवलकर के कार्यों को अपने पाठ्यक्रम में शामिल नहीं करने का फैसला लिया है. यूनिवर्सिटी के इस फैसले पर बीजेपी ने आलोचना की है.
कन्नूर विश्वविद्यालय ने वीडी सावरकर और एम एस गोलवलकर के कार्यों के बारे में नहीं पढ़ाने का निर्णय लिया है. पहले वीडी सावरकर और एस एस गोलवलकर के कार्यों के बारे में पोस्ट ग्रेजुएट के गवर्नेंस और राजनीति के पढ़ाई में जोड़ा गया था.
यह निर्णय तब लिया गया जब विश्वविद्यालय ने इसके लिए दो लोगों की कमिटि का गठन पाठ्यक्रम का रिव्यू करने के लिए किया था.
वामपंथी शिक्षाविदों ने लगाया था भगवाकरण करने का आरोप
सावरकर के “हिंदुत्व: कौन एक हिंदू है”, और गोलवलकर के “बंच ऑफ थॉट्स” और “वी ऑर अवर नेशनहुड डिफाइंड”, दीनदयाल उपाध्याय के “एकात्म मानववाद” और बलराज मधोक के “भारतीयकरण: क्या, क्यों और कैसे” से उद्धरणों का समावेश ने विपक्षी दलों और वामपंथी शिक्षाविदों के साथ विवाद को जन्म दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सत्तारूढ़ माकपा राज्य में शिक्षा के भगवाकरण की सुविधा प्रदान कर रही है
हालांकि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर गोपीनाथ रविंद्रन ने सेल्ब्स का बचाव किया था, पर खुद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इसे अपवाद माना और इसका विरोध किया था.
गुरुवार को वाइस चांसलर रविंद्रन ने कहा कि आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचारों पर बहस”, जिसमें उद्धरण शामिल थे, पाठ्यक्रम के तीसरे सेमेस्टर से हटा दिए जाएंगे. जरूरी बदलाव के बाद चौथे सेमेस्टर में पेपर शामिल किया जाएगा। 29 सितंबर को अकादमिक परिषद की बैठक के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा.
बीजेपी ने किया विरोध
वहीं भारतीय जनता पार्टी ने यूनिवर्सिटी के इस निर्णय पर अपना विरोध दर्ज किया है. उन्होंने कहा यह निर्णय केरल में सीपीआई(एम) और कांग्रेस का आपस में गठजोड़ दिखाता है. यह आश्चर्यजनक है कि कांग्रेस के डिमांड के बाद सीपीआई(एम) देश के नेशनल लीडर्स के कामों की जानकारी अपने पाठ्यक्रम से हटा देती है. केरल बीजेपी अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने कहा कि जिहादियों के प्रेशर के कारण मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से सेल्बस से टेक्सट को हटा दिया.
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