Kanpur IT Raid: कानपुर के 'धन कुबेर' पीयूष जैन पर कसेगा शिकंजा, आपराधिक मुकदमा दर्ज कर रिमांड पर लेगी DRI
Kanpur Piyush Jain Raid: डीआरआई ने इस मामले में कुछ दस्तावेज भी अपने कब्जे में लिए हैं जिनके आकलन के बाद पीयूष जैन और उसके सहयोगियों पर शिकंजा कसेगा.
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Kanpur Income Tax Raid: कानपुर के काले धन के कुबेर पीयूष जैन की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं क्योंकि डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस काले धन का भेद खोलने के लिए उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कर उसे रिमांड पर लेगा. अब तक की जांच के दौरान जीएसटी टीम की अनेक लापरवाही भी सामने आई है, जिनके चलते ना तो पीयूष जैन का रिमांड मिला और ना ही काले धन का असली मालिक कौन है इसका भेद खुला.
डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस की टीम मंगलवार दोपहर को जांच के लिए पीयूष जैन के कन्नौज स्थित घर पहुंची इस टीम ने वहां मौजूद जीएसटी अधिकारियों से बरामद 23 किलो विदेशी सोना अपने कब्जे में लिया. साथ ही कुछ दस्तावेज भी अपने कब्जे में लिए. जीएसटी टीम को छापेमारी के दौरान ऐसा सोना बरामद हुआ था जिन पर विदेश की मोहर थी. आरंभिक जांच में पता चला कि यह सोना संभवत: दुबई से लाया गया होगा.
कस्टम एक्ट के तहत केस की हरी झंडी
डीआरआई के एक आला अधिकारी ने बताया की काले धन का भेद खोलने के लिए आरंभिक जांच के बाद पीयूष जैन के खिलाफ कस्टम एक्ट की धारा 123 के तहत मुकदमा दर्ज करने को हरी झंडी दे दी गई है. इस मामले में पीयूष जैन को यह साबित करना होगा कि यह सोना स्मगलिंग का नहीं है. साथ ही डीआरआई पूछताछ के लिए पीयूष जैन को रिमांड पर भी लेगी.
डीआरआई सूत्रों के मुताबिक इस धारा के तहत यदि कोई और व्यक्ति यह कहता है कि बरामद सोना उसका है तो उसे भी यह साबित करना पड़ेगा कि उसने यह सोना कहां से खरीदा था. साथ ही, पूछताछ के दौरान पीयूष जैन से ही यह जानने की कोशिश की जाएगी कि उसने सोना कहां से खरीदा था? कच्चे पैसों से खरीदा था या बैंक के जरिए?
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पीयूष जैन और सहयोगियों पर कसेगा शिकंजा
डीआरआई ने इस मामले में कुछ दस्तावेज भी अपने कब्जे में लिए हैं जिनके आकलन के बाद पीयूष जैन और उसके सहयोगियों पर शिकंजा कसेगा. अब तक की जांच के दौरान यह भी देखा गया है की सोने के बिस्कुट के ऊपर से कुछ नंबर मिटा कर सबूत मिटाने की कोशिश भी की गई है अधिकारियों को लगता है कि यह सोना दुबई से लाया गया होगा. जीएसटी सूत्रों के मुताबिक 5 दिन की छापेमारी और पूछताछ के बाद भी टीम यह पता नहीं लगा पाई कि काले धन का असली कुबेर कौन है? टीम ने ढाई सौ करोड़ रुपए बरामद कर इतिहास तो जरूर बनाया लेकिन जीएसटी टीम की अनेक लापरवाहियां भी सामने आई है.
पीयूष जौन को कौन बचा रहा है?
सूत्रों ने बताया की छापामार जीएसटी टीम कोर्ट के सामने इस मामले का सीजर मेमो पेश ही नहीं कर पाई जिसके चलते पीयूष जैन को पूछताछ के लिए रिमाड पर नहीं लाया जा सका. सीजर मेमो का मतलब होता है कि जिस व्यक्ति के यहां छापा पड़ा है उसके पास से अधिकारिक तौर पर क्या-क्या बरामद किया गया है. इसके अलावा पूछताछ के दौरान जीएसटी टीम यह भी पता नहीं लगा पाई की पीयूष जैन ने 194 करोड़ का इत्र या सामान किन लोगों को बेचा था और किन लोगों के पास से उसके पास पैसा आया था.
यदि यह जांच उसके दायरे में नहीं थी तो नियम के मुताबिक आयकर विभाग को छापे में क्यों नहीं बुलाया गया. जीएसटी टीम ने बरामद पैसे को एविडेंस एक्ट के तहत जब्त किया है. यानी जांच के दौरान पैसा कैसे आया यह पता चलता जाएगा और जांच आगे बढ़ती जाएगी लेकिन यह जांच जीएसटी विभाग नहीं कर सकता ऐसे में आयकर विभाग को छापे में शामिल ना करने पर जीएसटी की चुप्पी अपने आप में रहस्यमय है. सवाल भी उठता है कि आखिर पीयूष जैन को कौन बचाने की कोशिश कर रहा है.
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