Asaduddin Owaisi On Nameplate Row: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर बनाए गए नियम पर लगातार विवाद जारी है. विपक्षी दलों से लेकर एनडीए सरकार में शामिल पार्टी भी इसका विरोध कर रही हैं. इसी क्रम में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नेमप्लेट के मुद्दे पर भारत सरकार को दखल देना चाहिए.


उन्होंने कहा, “इस आदेश के बाद मुसलमानों के ढाबों पर कोई खाना खाने नहीं जा रहा है. ये भेदभाव की नीति है. ये विकसित भारत नहीं बल्कि हिटलरशाही है. हमने मुद्दे को उठाया है और भारत सरकार को इसमें दखल देना चाहिए.”


सोशल मीडिया पर भी की पोस्ट


इसके अलावा, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, “यूपी के कांवड़ मार्गों पर डर: यह भारतीय मुसलमानों के लिए नफरत की सच्चाई है. इस गहरी नफरत का श्रेय राजनीतिक दलों, हिंदुत्व के नेताओं और तथाकथित दिखावटी धर्मनिरपेक्ष दलों को जाता है.” उन्होंने अंडे बेचने वाले एक स्टॉल की तस्वीर शेयर की, जिस पर उसके मालिक का नाम लिखा हुआ है.


मुजफ्फरनगर में आदेश जारी होने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में ओवैसी ने इसे “रंगभेद” कहा था और इसकी तुलना हिटलर के जर्मनी में “जूडेनबॉयकॉट” से की थी, जो नाजी शासन के दौरान यहूदी व्यवसाय का बहिष्कार था. बॉलीवुड गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने भी इस आदेश को नाजी जर्मनी में हुई घटनाओं जैसा बताया था.


क्या है मामला?


दरअसल, उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर एक आदेश जारी किया गया है जिसके तहत दुकानदारों, ढाबा मालिकों, भोजनालयों और रेहड़ी पटरी पर सामान बेचने वालों को अपनी नेम प्लेट लगानी है. सबसे पहले इसे मुजफ्फरनगर सहारनपुर और शामली जैसे इलाकों में जारी किया गया, फिर बाद में पूरे उत्तर प्रदेश में लागू कर दिया गया.  


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