टीम इंडिया के इस विश्व विजेता कप्तान ने कहा, ''विश्वकप में हमारे निजी रिश्ते नहीं है, वो एक इवेंट है. आप एक बड़े स्टेज पर पाकिस्तान के पीएम की वजह से उस कार्यक्रम का बहिष्कार नहीं कर सकते. हर जगह जाने के लिए आप तैयार हैं. ऐसे में कभी ये नहीं पूछा जाता कि हमें नहीं करना चाहिए. आखिर क्यों क्रिकट पर ही ऐसा पूछा जाता है.''
कपिल ने कहा, ''इंटरनेशनल फोरम पर मैच हो सकते हैं क्योंकि इस स्तर पर अगर कोई मैच हो रहा है तो उसमें बहिष्कार नहीं करना चाहिए.'' वहीं दूसरी तरफ कपिल ने साफ किया कि अंत में उनकी राय देश की राय है. कपिल बोले, ''मेरी खुद की इस मामले में कोई राय नहीं है, मेरी राय, देश की राय है. जो देश फैसला लेगा, मेरा भी वही फैसला होगा. कुछ लोग कह रहे हैं कि व्यापार बंद कर देना चाहिए. ये उन लोगों(सरकार) पर छोड़ना चाहिए जो इसका फैसले लेंगे.''
वहीं उन्होंने ये भी कहा कि क्रिकेट की बेहतरी के बारे में सोचना चाहिए. कपिल ने कहा, ''ये आईसीसी पर है कि वो पाकिस्तान को क्रिकेट से अलग-थलग कर दे. लेकिन मैं सिर्फ इतना ही सोच सकता हूं कि क्रिकेट आगे जाना चाहिए और बेहतर होना चाहिए.
वहीं जब शिखर सम्मेलन में उनसे बाकी क्रिकेटर्स से जुड़ा सवाल पूछा गया कि सचिन और गावस्कर ने विश्वकप में मैच खेलने का पक्ष लिया है. जबकि गांगुली और हरभजन ने विश्वकप में मैच खेलने का विरोध किया है. इस पर कपिल देव ने कहा, ''जब खिलाड़ी राजनीति की बात करते हैं तो वो अपनी सोच रखते हैं. मैं इतना समझदार नहीं हूं कि इतनी गंभीर समस्या को बड़ी आसानी से बता सकूं.''
कपिल ने साथ ही ये भी कहा कि इस वक्त देश को इमोशनल होने से ज्यादा उन लोगों पर ये फैसला छोड़ देना चाहिए जिन्हें इसके लिए पॉलिसी बनानी है. कपिल ने कहा, ''आज इमोशनल होने से ज्यादा इस पर बैठकर चर्चा होनी चाहिए. पहले भी मुंबई ब्लास्ट के वक्त लोगों ने ज़ोर-ज़ोर से पाकिस्तान का विरोध किया. लेकिन मैं यही कहूंगा कि इसके खिलाफ पॉलिसी होनी चाहिए.''
कपिल देव ने कहा, ''पाकिस्तान का मामला बहुत संवेदनशील है, हम जैसे लोगों को इनफ्लुएंस नहीं करना चाहिए. कुछ चीज़ें हमें सरकार पर छोड़नी चाहिए, उनकी पॉलिसी पर सोचना चाहिए क्योंकि सरकार हम सबने बनाई है.''
लेकिन साथ ही कपिल देव ने ये भी कहा कि देश के सामने क्रिकेट एक छोटी सी चीज़ है.