Ladakh Protest: ‘लद्दाख को मिले पूर्ण राज्य का दर्जा’, मांग को लेकर सड़कों पर उतरे हजारों लोग, भूख हड़ताल का ऐलान
Protest In Kargil: लद्दाख और जम्मू कश्मीर के पूर्ण राज्य की मांग पर कारगिल में बुधवार को विरोध प्रदर्शन हुए हैं. केडीए के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन में सोनम वांगचुक के साथ एकजुटता जतायी गई.
Ladakh Statehood Demands: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पूर्ण राज्य की मांग पर कारगिल में हजारों की संख्या में लोगों ने बुधवार (20 मार्च) को फातिमा चौक से हुसैनी पार्क तक रैली निकाल कर अपनी मांगों के समर्थन में हुंकार भरी. लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और इसे छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग करते हुए नारे लगाए गए.
कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन को लेह अपेक्स बाड़ी (एलएबी) का भी समर्थन मिला है. दोनों जिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों के अलग-अलग समूह संयुक्त रूप से इन मांगों के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं.
24 मार्च से कारगिल में भूख हड़ताल शुरू करने का आह्वान
केडीए नेतृत्व ने हुसैनी पार्क में एक विशाल सभा को संबोधित किया. नेताओं ने लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहने का आग्रह किया. उन्होंने 24 मार्च से कारगिल में भूख हड़ताल शुरू करने की भी घोषणा की है. केडीए के सह-अध्यक्ष असगर अली करबलाई ने कहा, "हम बातचीत के माध्यम से अपनी मुख्य मांगों का समाधान चाहते हैं लेकिन केंद्र सरकार ने हमारी दोनों मुख्य मांगों - राज्य का दर्जा और (छठी अनुसूची के तहत शामिल) - को अस्वीकार कर चार मार्च को बातचीत के दरवाजे बंद कर दिए, जिससे लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा." दरअसल लद्दाख का मौजूदा सांसद बीजेपी के जामयांग सेरिंग नामग्याल हैं.
सोनम वांगचुक के साथ जताई एकजुटता
केडीए ने प्रसिद्ध शिक्षा सुधारवादी सोनम वांगचुक के साथ एकजुटता दिखाते हुए 20 मार्च को आधे दिन की आम हड़ताल का आह्वान किया था, जिनकी केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए राज्य के दर्जे और संवैधानिक सुरक्षा उपायों के समर्थन में भूख हड़ताल 15वें दिन में प्रवेश कर गई. केडीए और लेह एपेक्स बॉडी के नेताओं के बीच एक बैठक हुई थी जिसमें उन्होंने सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल के समर्थन में हाथ मिलाने का वादा किया था, जिसे शुरुआती 21 दिनों की भूख हड़ताल से अनिश्चितकालीन हड़ताल तक बढ़ाया जा सकता है.
मांगों के समर्थन में लद्दाख में आंदोलन आने वाले दिनों में और तेज होने की संभावना है क्योंकि इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ उनकी बैठक में गतिरोध पैदा होने के बाद केडीए और लेह स्थित शीर्ष निकाय एक संयुक्त रणनीति बनाने की योजना बना रहे हैं.
अनशन पर हैं सोनम वांगचुक
केडीए-सर्वोच्च निकाय और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता विफल होने के एक दिन बाद 6 मार्च से वांगचुक यहां अनशन पर हैं. वांगचुक लद्दाख के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपायों के प्रमुख प्रचारक रहे हैं, उन्होंने सोमवार को कहा कि "भारत सरकार को लद्दाख के पर्यावरण और आदिवासी स्वदेशी संस्कृति की रक्षा करने के उनके वादों की याद दिलाने के लिए" 250 लोग शून्य से 12 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान में भूखे सोए.
वांगचुक के साथ लेह और आसपास के इलाकों के लगभग 250 लोग शामिल थे, जो लेह के पोलो ग्राउंड में उनके साथ खुले में सोए थे, जहां 14वें दिन मंगलवार को दिन भर के उपवास में लगभग 1000 लोग उनके साथ शामिल हुए थे. उन्होंने कहा, ''यह सरकार भारत को 'लोकतंत्र की जननी' कहना पसंद करती है. लेकिन अगर भारत लद्दाख के लोगों को लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित करता है और इसे नई दिल्ली से नियंत्रित नौकरशाहों के अधीन रखना जारी रखता है तो इसे केवल लद्दाख के संबंध में लोकतंत्र की सौतेली मां कहा जा सकता है.
मार्च करेंगे 10 हजार खनाबदोश
वांगचुक ने चीनियों द्वारा भूमि हड़पने और अपूर्ण पर्यावरणीय सेडेगार्डों के कारण पारंपरिक चरागाह भूमि के नुकसान को उजागर करने के लिए लद्दाख सीमाओं की ओर 10 हजार मजबूत खानाबदोशों के मार्च की भी घोषणा की है. वांगचुक ने एक्स पर लिखा, "हमारे खानाबदोश दक्षिण में विशाल भारतीय औद्योगिक संयंत्रों और उत्तर में चीनी अतिक्रमण के कारण मुख्य चरागाह भूमि खो रहे हैं. जमीनी हकीकत दिखाने के लिए हम जल्द ही 10,000 लद्दाखी चरवाहों और किसानों के सीमा मार्च की योजना बना रहे हैं."
हालांकि वांगचुक की भूख हड़ताल ने आंदोलन को केवल बौद्ध बहुल लेह क्षेत्र तक ही सीमित रखा था, लेकिन कारगिल में हड़ताल और विरोध रैली से पता चला है कि आंदोलन धार्मिक समुदायों में भी फैल रहा है.
केडीए ने कहा - हम आंदोलन में एकजुट हैं
केडीए के सह अध्यक्ष असगर अली करबलाई ने कहा, "लद्दाख में हर कोई आंदोलन का हिस्सा है और मांगों के समर्थन में एकजुट है. लद्दाख में चल रहा आंदोलन एक समुदाय या एक जिले तक सीमित नहीं है, जैसा कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा पेश किया जा रहा है जो लद्दाख के लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना चाहते हैं. , “
करबलाई ने कहा कि केडीए और शीर्ष निकाय दोनों का नेतृत्व केंद्र द्वारा मुख्य मांगों - छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा उपायों की अस्वीकृति के बाद भविष्य की रणनीति तैयार करने के लिए जल्द ही लेह या कारगिल में बैठक कर रहा है.
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