Kargil Vijay Diwas: कारगिल में लड़ा गया युद्ध (Kargil War) सिर्फ एक जंग नहीं बल्कि भारत के वीर सपूतों के अदम्य साहस की गौरवगाथा है. ये कहानी है उन जाबांजों की है जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में दिलेरी दिखाते हुए चोटियों पर बैठे दुश्मन को खदेड़ा था. इस जंग से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं जो आज भी सुनने वालों के रोंगटे खड़े कर देते हैं और जिन्हें सुनकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. ऐसा ही एक किस्सा सुनाया ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने.
ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) खुशाल ठाकुर ने बीबीसी को बताया कि उस समय हमारे सामने काफी चुनौतियां थीं. जंग भी रात में लड़ी जा रही थी. हमारे पास न आर्टिलरी थी न मैप्स, बस इतना पता था कि ऊपर टाइगर हिल और तोलोलिंग पर कई मुजाहिदीन बैठे हुए हैं. इस जंग के दौरान भारतीय सेना के ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट की 18वीं बटालियन में शामिल रहे खुशाल ठाकुर ने बताया कि इस जंग में टाइगर हिल पर कब्जा करना बड़ी चुनौती का काम था.
दुश्मन की तादाद के बारे में नहीं थी कोई जानकारी
उन्होंने बताया कि ये लड़ाई करीब 130 किमी के क्षेत्र में लड़ी गई थी. हमारी यूनिट को दरास सेक्टर में जाने का आदेश मिला था जहां दुश्मनों ने चोटियों पर कब्जा कर लिया था. जब हम वहां पहुंचे थे पाकिस्तानियों की तरफ जोरदार गोलीबारी की जा रही थी. हमारे कई सैनिक घायल हो गए थे. हमारे पास दुश्मन की तादाद के बार में भी जानकारी नहीं थी.
तोलोलिंग पर ऐसे की फतह हासिल
ब्रिगेडियर ने बताया कि हम जैसे-जैसे ऊपर बढ़ रहे थे तो हमारे और ज्यादा सैनिक घायल हो रहे थे. हमारे पास हाई एल्टीट्यूड वाले कपड़े भी नहीं थे. वहां ऑक्सीजन की कमी थी और ऊपर से गोलियां बरस रही थी. ये बहुत मुश्किल लड़ाई थी, लेकिन हमने विजय हासिल की.
उन्होंने बताया कि तोलोलिंग को फतह करने के लिए हमने 24 दिन तक लगातार जंग लड़ी थी. ये सबसे पहली लड़ाई थी. फतह के बाद हमें पता चला कि वहां दुश्मन की एक कंपनी ने कब्जा कर रखा था. तोलोलिंग पर जीत हासिल करने के बाद पाकिस्तान की साजिश का खुलासा हुआ था.
कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को चटाई धूल
कारगिल की जंग 1999 में मई से जुलाई के बीच लड़ी गई थी. इस लड़ाई में हमारे 527 वीर जवानों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. जबकि 1300 से ज्यादा सैनिक घायल हुए थे. पाकिस्तानी सैनिकों की मौत का आंकड़ा करीब तीन से चार हजार के बीच रहा था. 26 जुलाई 1999 को भारत के वीरों ने कारगिल पर जीत का परचम लहराया था.
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