Kargil Vijay Diwas 2024: कारगिल विजय दिवस के आज 25 साल पूरे हो गए हैं. आज के ही दिन इंडियन आर्मी ने कारगिल की जंग में पाकिस्तान को धूल चटाई थी. इस मौके पर कारगिल जंग से जुड़े कई किस्से सामने आ रहे हैं. 


इसी कड़ी में भारतीय फाइटर पॉयलट के नचिकेता ने भी बताया कि कैसे युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने उन्हें बंधक बना लिया था. पाकिस्तान में उन्हें कई दिनों तक प्रताड़ित किया गया था. उन्हें करीब 8 दिन के बाद भारत को सौपा गया था. इस दौरान उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में उनके साथ क्या-क्या हुआ. 


खराब हो गया था इंजन


कारगिल युद्ध में नचिकेता भी थे. वो एक रोज़ फाइटर प्लेन मिग-27 उड़ा रहे थे और दुश्मनों को अपना निशाना बना रहे थे. इसी दौरान उनके विमान का इंजन फेल हो गया और उन्हें विमान से निकलना पड़ा था. जैसे ही जमीन पर लैंड हुए, उन्हें पाकिस्तानी आर्मी के सैनिकों ने घेर लिया था. 


इसको लेकर NDTV से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'उस दिन हमारे साथ तीन अन्य लड़ाकू पायलटों ने उड़ान भरी थी. हमारे निशाने पर  मुन्थो ढालो नाम की जगह थी. ये पाकिस्तान लॉजिस्टिक बेस का सेंटर था. हम लगातार अपने निशानों को तबाह कर रहे थे, तभी मेरा इंजन खराब हो गया. मेरे पास विमान से निकलने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था. जब मैं विमान से बाहर निकल गया तो मैंने देखा पहाड़ों में विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.


युवा सैनिक को ट्रिगर दबाने से रोका 


उन्होंने आगे बताया, 'कुछ ही देर में मैंने देखना कि पाकिस्तानी सैनिकों ने मुझे घेर रखा है. इसी बीच ने एक सैनिक ने मेरे मुंह में  एके-47 की बैरल घुसेड़ दी थी. मैं उसके ट्रिगर को देख रहा था. मैं यही सोच रहा था कि ये ट्रिगर पुल करेगा या नहीं, शायद किस्मत को कुछ और मंजूर था. इसी बीच एक युवा सैनिक को ट्रिगर दबाने से रोक दिया. उसने समझाया कि वो भी सैनिक के रूप में अपनी ड्यूटी कर रहा है. इसके बाद मुझे बंदी बनाकर शिविर स्थल पर ले जाया गया.'


ISI के स्पेशल सेल को सौंप दिया था 


शिविर में जाने के बाद उन्होंने बताया कि शिविर में उन्हें काफी ज्यादा टॉर्चर किया था. नचिकेता राव ने कहा, इजेक्शन की वजह से मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था. मुझे C130 (विमान) से  मुझे इस्लामाबाद और फिर रावलपिंडी ले जाया गया. इसके एक दिन बाद मुझे  ISI के स्पेशल सेल को सौंप दिया था. 


'जो भी हुआ था बहुत बुरा हुआ था'


उन्होंने आगे बताया, 'मुझे सेल में अकेला रहना पड़ता था. ये मेरे लिए कठिन था क्योंकि वो मुझे  मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक रूप से तोड़ना चाहते थे, ताकि मैं उन्हें सब बता दूं. लेकिन मैं भाग्यशाली था क्योंकि उसे बाद थर्ड डिग्री शुरू होती है और इसमें  शरीर पर निशान पड़ जाते हैं. वो इसमें ये कह कर बच सकते हैं कि मैं सहयोग नहीं कर रहा था और भागने की कोशिश कर रहा था. लेकिन उसे पहले मुझे भारत वापस लाने का फैसला किया गया था. 


हुआ था जोरदार स्वागत 


नचिकेता ने आगे बताया, उन्हें इसके बाद  इंटरनेशनल रेड क्रॉस सोसाइटी लाया गया था. इसके बाद उनका  बेसिक ट्रीटमेंट हुआ था. डॉक्यूमेंटेशन मुझे  भारतीय दूतावास को सौंप दिया गया था. वतन आने के बाद उनका जोरदार तरह इ स्वागत किया गया था. उन्हें लेने के लिए उनके माता-पिता एयरपोर्ट पर आए थे.