Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध के 20 साल पूरे हो गए हैं लेकिन आज भी इसकी यादें धुंधली नहीं हुई है. आज भी शहीदों की शहादत पर आंखें नम हो जाती है. एक ऐसे ही वीर सपूत थे स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा. उनकी शौर्य की कहानी और जांबाजी के बारे में सुनकर सीना चौड़ा हो जाता है.
स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा को पाकिस्तानी सैनिकों ने बंधक बना लिया था और फिर गोली मार दी. दरअसल करगिल युद्ध के दौरान, भारतीय वायुसेना ने 'ऑपरेशन सफेद सागर' लांच किया. इस ऑपरेशन का मकसद था, एलओसी पर भारतीय सीमा में कब्जा किए हुए पाकिस्तानी सैनिकों की पोजीशन का पता लगाना. वायुसेना की भटिंडा स्थित ‘गोल्डन-एरोज़’ (GOLDEN AROOWS) की स्कावड्रन में अजय आहूजा फ्लाइट कमांडर थे.
अजय आहूजा को जिम्मेदारी दी गई कि वे एलओसी पर पाकिस्तानी सेना की पोजिशन की जानकारी इकठ्ठा करके लाएं. अजय आहूजा अपनी मिग-21 विमान से एलओसी के ऊपर उड़ने लगे. तभी उन्हे जानकारी मिली कि उनके इस मिशन में साथी फ्लाइट-लेफ्टिनेंट, नचिकेता को अपने मिग-27 विमान में आग लगने की वजह से कूदना पड़ा है.
स्कावड्रन लीडर अजय आहूजा भलीभांति जानते थे कि पाकिस्तान की सीमा में दाखिल होना जोखिम भरा हो सकता है. लेकिन अपने साथी को बचाने के लिए वो दुश्मन की सीमा में भी दाखिल हो गए. इसी दौरान एक बम का गोला उनके प्लेन से आ टकराया जिससे उनके मिग 21 प्लेन में आग लग गयी. उन्होंने पाकिस्तानी सीमा में ही कूदना पड़ा. 27 मई 1999 का. स्कावड्रन लीडर अजय आहूजा से एयरफोर्स का संपर्क टूट चुका था.
फिर खबर आई कि पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें बंधक बना लिया था और फिर गोली मार दी. भारत ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया, क्योंकि ये संयुक्त राष्ट्र की जिनेवा-कनवेंशन का उल्लंघन था. पाकिस्तान का तर्क था कि वे प्लेन से नीचे गिरने के चलते उनकी मौत हुई थी. लेकिन बाद में पोस्टमार्टम से साफ हो गया कि उन्हे बेहद करीब से गोलियां मारी गईं थी. स्कावड्रन लीडर अजय आहूजा को उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया.
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