शहीद कैप्टन हनीफुद्दीन की कहानी, मां की जुबानी- शहादत परिवार को हिम्मत दे जाता है
करगिल विजय दिवस के 20 साल पूरे होने के मौके पर युद्ध में शहीदों के परिजनों ने एबीपी न्यूज़ के साथ अपनी कहानी साझा की. इस दौरान परिजनों ने बताया कि कठिन दिनों में कैसे उन्होंने खुद को और अपने परिवार को संभाला.
नई दिल्लीः करगिल विजय दिवस के 20 साल पूरा होने पर एबीपी न्यूज़ ने एक खास कार्यक्रम आयोजित किया. इस कार्यक्रम के जरिए शहीदों को याद किया गया. कार्यक्रम के दौरन परिजनों ने अपनी जिंदगी से जुड़ी यादों को साझा किया. यादों को साझा करने के दौरान भावुक हो गई. कैप्टन हनीफुद्दीन राजपूताना राइफल्स के हिस्सा थे. वह दिल्ली के रहने वाले थे. वह युद्ध के दौरान 6 जून को शहीद हुए थे. अपने बेटे को याद करते हुए कैप्टन हनीफुद्दीन की मां हेमा अज़ीज ने भी अपनी कहानी बताई.
परिवार की शहादत हिम्मत दे जाती है
हेमा अज़ीज ने कहा, ''कोई भी व्यक्ति जब चला जाए तो उसकी याद आती ही है. अगर कोई व्यक्ति घर का शहीद होता है तो परिवार को मोटिवेट कर जाए. मेरे बेटे के शहीद होने के बाद अंदर एक अलग तरह की हिम्मत आती है.''
सियाचीन में तैनाथ थे हनीफुद्दीन
अपने बेटे के बारे में बात करते हुए मां ने बताया, ''वो सियचीन में तैनाथ था. दो साल का टर्म खत्म होने वाला था. वह जल्द ही घर आने वाले थे. जब भी बात होती थी तो वह कहते थे कि फोन लाइन खाली रखना. मैं कहती थी आ जाओ घर कोई न कोई तो होगा ही. ऑपरेशन थंडर्वोल्ट की अगुवाई कर रहे थे. इस दौरान शहीद हो गए.'' अपने बेटे के शहादत को लेकर उन्होंने बताया कि हमें सच को स्वीकार करना होगा. मौत की खबर कहीं न कहीं से तो मिल ही जाती है.
करगिल विजय की कहानी शहीदों के परिवारों से सुनकर आंखें हो जाएंगी नम | Shikhar sammelan Kargil