Kargil Vijay Diwas: आज से ठीक 20 साल पहले कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को भारतीय सेना ने धूल चटाई थी. इस युद्ध में भारतीय सेना के सिपाहियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए लगातार पाकिस्तानी आर्मी से लोहा लिया. ऐसे ही एक जांबाज सैनिक थे ग्रुप कैप्टन कमबमपति नचिकेता. नचिकेता को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया था और उनको कई दिनों तक यातनाएं सहनी पड़ी थी. पाकिस्तानी आर्मी उनसे भारतीय आर्मी की जानकारी निकालने की कोशिश कर रही थी लेकिन भारत मां के इस जांबाज बेटे ने अपना मुंह नहीं खोला.


साल 1999 में जब कारगिल युद्ध हुआ तो उस वक्त नचिकेता भारतीय सेना के नौंवे स्क्वाड्रन में तैनात थे. यह स्क्वाड्रन युद्धग्रस्त बटालिक सेक्टर में तैनात था. नचिकेता को 17 हजार फीट की ऊंचाई से 80 एमएम राकेट दागने का जिम्मा दिया गया था. 27 मई को दुश्मन की चौकियों पर युद्धक विमान मिग-27 से हमला कर रहे थे. एक रॉकेट के हमले में उनके विमान का इंजन रुक गया और उन्हें पैराशूट लेकर कूदना पड़ा. इस दौरान उन्‍हें पाकिस्‍तानी सीमा में उतरना पड़ा. उन्हें पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया और रावलपिंडी की जेल में ले जाया गया. वहां उन्हें पाकिस्तानी सैनिकों ने बहुत यातनाएं दीं.


इस बात का खुलासा नचिकेता ने अपने एक इंटरव्यू में किया था. उन्होंने बताया था कि कैसे पाकिस्तान की सेना ने उनको यातनाएं दी थी. पाकिस्तानी सेना ने उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से टॉर्चर किया था. उन्होंने बताया, ''प्लेन से बाहर निकलते ही कुछ समझ नहीं आता. लोग अधिकतर बेहोश हो जाते हैं. लेकिन मुझे पता था कि मेरे साथ क्या हो रहा है. मैं जल्द ही नीचे गिर गया. वहां सबकुछ सफेद-सफेद सा नजर आ रहा था. बर्फबारी के कारण पहाड़ी बर्फ से ढकी हुई थी. मेरे आस पास गोलियों की बरसात होने लगी. मेरा लक्ष्य था कि खुद को कवर किया जाए. आधे घंटे बाद ही पाकिस्तानी जवान मुझ पर घात लगाकर हमला कर रहे थे. मेरे पास छोटी पिस्टल थी. मुझे 5-6 लोग नजर आ रहे थे. मैंने पहला राउंड फायर किया. लेकिन पिस्टल सिर्फ 25 यार्ड की दूरी तक ही फायर कर सकती थी. वहीं उनके पास एके-56 राइफल्स थीं. जैसे ही मैं दूसरी मैग्जीन लोड कर रहा था. तभी उन्होंने मुझे पकड़ लिया.''


पाकिस्तानी आर्मी उनसे भारतीय आर्मी की जानकारी निकालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. उनके प्लेन क्रैश की खबरें इंटरनेशनल मीडिया में रहीं. पाकिस्तान सरकार पर दबाव रहा और 8 दिन बाद पाकिस्तानी आर्मी ने नचिकेता को इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस को सौंपा. इसके बाद नचिकेता को वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत भेजा गया. वायु सेना में उनकी बहादुरी को देखते हुए वायु सेना मेडल सम्मानित से किया.


दरअसल जेनेवा संधि के तहत युद्धबंदी को कुछ अधिकार मिलते हैं. इसके तहत युद्धबंदी से कुछ पूछने के लिए उसके साथ जबरदस्ती नहीं की जा सकती. उनके खिलाफ धमकी या दबाव का इस्तेमाल नहीं हो सकता.


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