Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्रों में लड़ी गई जंग में शामिल है. इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के दांत खट्टे किए थे. उसके धुसपैठ की साजिश को नाकाम किया था. इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया था. हालांकि ऑपरेशन विजय की शौर्य गाथा लिखने में कई मां भारती के सपूतों ने अपनी जान दे दी थी. कैप्टन अनुज नायर भी उन्हीं में से एक थे.







दिल्ली के रहने वाले अमर शहीद कैप्टन अनुज नायर 17 जाट रेजीमेंट के अधिकारी थे. जिस वक्त कारगिल की जंग में वो शामिल हुए, उस वक्त उम्र सिर्फ 22 साल थी. उन्हें जिम्मेदारी मिली थी पिंपल टू नाम से मशहूर चोटी प्वाइंट 4875 से दुश्मन को खदेड़ने की.


6 जुलाई 1999 को कैप्टन अनुज नायर की चार्ली कंपनी ने बिना किसी हवाई मदद के इस चोटी को पर विजय हासिल करने के लिए कूच कर दिया. चोटी की ऊंचाई थी करीब 16 हज़ार फीट. प्वाइंट 4875 पर पाकिस्तानी सेना ने कई भारी भरकम बंकर बना रखे थे. भारी गोलीबारी के बीच कैप्टन अनुज नायर और उनके सात सैनिकों ने हमला बोल दिया. अकेले अनुज नायर ने पाकिस्तानी सेना के 9 सैनिकों को मार गिराया और तीन मशीनगन बंकरों को तहस नहस कर दिया, लेकिन चौथे बंकर के हमले के दौरान उनपर एक बम का गोला सीधे आकर गिरा. जिससे वो घायल हो गए.


घायल होने के बावजूद ये अनुज नायर और उनके साथी सैनिकों की ज़बरदस्त बहादुरी का नतीजा था कि पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा. इसी बीच दुश्मनों का आरपीजी यानि रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड सीधे कैप्टन अनुज नायर को आ लगा. कुछ ही दिनों बाद शादी का सेहरा उनके सर पर सजने वाला था लेकिन वो तो किसी और मकसद के लिए दुनिया में आए थे. कैप्टन अनुज नायर को उनकी इस बहादुरी के लिए महावीर चक्र से नवाज़ा गया.


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