कारगिल युद्ध के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा का आज जन्मदिन है. पूरा देश उन्हें याद कर रहा है और उनकी जांबाजी को सलाम कर रहा है. कैप्टन बत्रा चोटी नंबर 4875 पर अपने एक साथी की जान बचाते हुए शहीद हुए थे. उन्हें मरणोपरांत भारतीय सेना के सर्वोच्च पुरस्कार परमवीर चक्र से नवाजा गया था.


कैप्टन बत्रा के कारगिल युद्ध शौर्य के किस्से भारतीय जनमानस में अमर हो गए हैं. आज हम आपको उनकी प्रेम कहानी बताने जा रहे हैं. उनकी प्रेमिका डिंपल चीमा आज भी उनकी यादों के सहारे अपना जीवन बिता रही हैं.


विक्रम बत्रा और डिंपल चीमा की मुलाकात साल 1995 में पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में हुई थी. दोनों ने एमए में दाखिला लिया था लेकिन दोनों ही एमए पूरा नहीं कर पाए. 2016 में दिए एक इंटरव्यू में डिंपल चीमा ने कहा था कि यह किस्मत थी जो हम दोनों को करीब लाई और फिर हम दोनों एक दूसरे के हो गए.



विक्रम बत्रा ने 1996 में इंडियन मिलिट्री अकादमी ज्वाइन की थी. डिंपल चीमा के मुताबिक विक्रम ने यह खुशखबरी देने के लिए उसे फोन किया था. डिंपल का कहना था कि विक्रम आईएमए ज्वाइन करने को लेकर बहुत उत्सुक था.


डिपंल ने बताया कि विक्रम के आईएमए ज्वाइन करने के बाद उनका रिश्ता और मजबूत हो गया. डिंपल के मुताबिक जब कभी परिवार की तरफ से शादी का प्रेशर मुझ पर डाला गया तो विक्रम कहता कि जिससे प्यार करती हो उसे पाने की कोशिश करो वरना तुम्हें उससे प्यार करने को मजबूर हो जाओगी जो तुम्हें मिलेगा.



डिपंल  ने कहा, "एक बार जब विक्रम उनसे मिलने आया तो मैंने शादी का जिक्र किया क्योंकि मैं थोड़ा असुरक्षित महसूस कर रही थी. विक्रम ने कुछ नहीं कहा अपने वॉलेट से ब्लेड निकल कर अपनी ऊंगली काटी और मेरी मांग भर दी. यह मेरे जीवन का सबसे खुशी का लम्हा था. बाद में उसे चिढ़ाती थी कि वह पूरा फिल्मी है.”


डिंपल के मुताबिक चार सालों हमारे रिश्ते की यादों कुछ शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है. विक्रम को याद करते हुए डिंपल बताती हैं, इतने साल बीत जाने के बाद एक दिन भी ऐसा नहीं हुआ जब मैंने खुद को तुमसे जुदा पाया हो. मुझे लगता है कि तुम कहीं पोस्टिंग पर हो. मुझे यकीन है कि हम एक बार फिर मिलेंगे. यह बस समय की बात है.”


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