Live Bomb Found in Kargil: भारत और पाकिस्तान (India Pakistan) के बीच हुए कारगिल वार (Kargil War) के निशान आज भी मौजूद हैं. साल 1999 में कई महीनों तक रणभूमि रही कारगिल में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी. इस युद्ध के निशान आज भी मिल रहे हैं. कारगिल के इलाके में युद्ध के 23 साल बाद जिंदा बम (Live Bomb) मिले हैं. स्थानीय प्रशासन (State Administration) को यहां 6 जिंदा बम मिले जिसे भारतीय सेना (Indian Army) की मदद से निष्क्रिय कर दिया गया.



दरअसल स्थानीय‌ प्रशासन करगिल में एस्ट्रो-टर्फ यानि क्रिकेट और दूसरे खेलों के लिए जमीन पर काम करके उसे समतल कर रहा था और इसी दौरान वहां प्रशासन को 6 जिंदा बम मिले जो फटे नहीं थे. इस पर स्थानीय प्रशासन ने भारतीय सेना के सैपर्स यानि कोर ऑफ इंजीनियर्स को बुलाया और उसकी मदद लेकर इन बमों को निष्क्रिय कर दिया.




जंग संसाधनों से नहीं बल्कि हौसलों से जीती जाती है


इस बात का जीता जागता सबूत कारगिल युद्ध है. ऊंचाई पर बैठे दुश्मन की लोकेशन तक पता नहीं और ऐसे में हौसला ही है जो इन जवानों के पास था. इसी हौसले के दम पर भारतीय सेना के जवानों युद्ध को जीत में बदल दिया. उस समय आज के समय की तरह बेहतरीन टेक्नोलॉजी भी नहीं थी कि अनदेखे दुश्मन को पहचाना जा सके. तो वहीं दुश्मन पाकिस्तान के जवानों की पोजीशन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो भारतीय जवानों के सीधी आंख में गोली मार सकते थे. लेकिन फिर भी भारतीय जवानों ने हौसला नहीं खोया और जंग जीतकर पाकिस्तान को मार भगाया.


कारगिल युद्ध में शहीद हुए परमवीर योद्धा मनोज पांडे का जन्मदिन


हाल ही में कारगिल युद्ध (Kargil War) में शहीद हुए परमवीर योद्धा मनोज पांडे (Manoj Pande) को याद किया गया था. 25 जून को मनोज पांडे का जन्मदिन (Birthday) था. 24 साल की उम्र में वो कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे. कहा जाता है कि मनोज पांडे ने दुश्मन को हराकर पहाड़ों पर जीत की बांसुरी बजाई थी. ये बांसुरी उन्होंने ढाई साल की उम्र में खरीदी थी. जब उनका पार्थिव शरीर घर वापस आय़ा था तो उनके साथ वो बांसुरी भी आई थी.




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