24 जून 1999 को करगिल युद्ध में खत्म हो जाते नवाज़ और मुशर्रफ!
ABP न्यूज़ ने इस घटना के बारे में भारतीय वायुसेना के पूर्व एयर मार्शल ए.के. सिंह से बात की. एयर मार्शल एके सिंह वही वरिष्ठ पायलट हैं, जिन्होंने 18 साल पहले वायुसेना के जैगुआर लड़ाकू विमान को नवाज शरीफ और मुशर्रफ पर बम गिराने से रोका था.
नई दिल्ली: करगिल की जंग के दौरान 24 जून 1999 को भारतीय वायुसेना का एक लड़ाकू विमान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ पर बम गिराने वाला था, लेकिन एक सीनियर पायलट ने उसे ऐसा करने से रोक दिया, क्योंकि वाजपेयी सरकार ने वायुसेना को एलओसी पार ना करने की हिदायत दी थी.
ये चौंकाने वाला खुलासा करगिल की जंग में भारत की जीत की 18वीं सालगिरह के ठीक पहले हुआ है. ABP न्यूज़ ने इस घटना के बारे में भारतीय वायुसेना के पूर्व एयर मार्शल ए.के. सिंह से बात की. एयर मार्शल एके सिंह वही वरिष्ठ पायलट हैं, जिन्होंने 18 साल पहले वायुसेना के जैगुआर लड़ाकू विमान को नवाज शरीफ और मुशर्रफ पर बम गिराने से रोका था.
फायटर पायलट ने जगुआर के पायलट को रोका था
जानकारी के मुताबिक, 24 जून 1999 को भारतीय वायुसेना के एक जगुआर लड़ाकू विमान ने एलओसी पर पाकिस्तान के एक फॉरवर्ड मिलेट्री बेस पर हमला करने के लिए अटैक-सिस्टम को लॉक कर दिया था. लेकिन उसी वक्त पीछे से आ रहे एक दूसरे लड़ाकू विमान के सीनियर पायलट को रेडियो कम्युनिकेशन से ये जानकारी मिल गई. पीछे से आ रहे फायटर पायलट ने जगुआर के पायलट को ऐसा करने से रोक दिया.
फॉरवर्ड बेस पर सैनिकों को संबोधित करने आए थे शरीफ और मुशर्रफ
अगले दिन पता चला कि पाकिस्तान के इस मिलेट्री बेस पर उस वक्त प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुथ परवेज मुशर्रफ मौजूद थे. करगिल युद्ध को वक्त में नवाज शरीफ और मुशर्रफ इस फॉरवर्ड बेस पर सैनिकों को संबोधित करने आए हुए थे.
एबीपी न्यूज ने उस सीनियर फायटर पायलट से खास बातचीत की जिसने जगुआर के पायलट को ऐसा करने से रोका था. वो सीनियर पायलट तत्कालीन एयर-कमाडोर ए.के थे. सिंह जो बाद में वायुसेना की पश्चिमी कमान के एओसीएनसी यानि एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ के पद से रिटायर हुए. करगिल युद्ध में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ की जान बचाने वाले वायुसेना के कमाडोर ए के सिंह से एबीपी न्यूज ने खास बात की.
‘’सरकार ने हिदायत ने दी थी वायुसेना को एलओसी पार नहीं करनी है.’’
एयर मार्शल ए के सिंह ने एबीपी न्यूज को बताया, ‘’सरकार ने हिदायत ने दी थी वायुसेना को एलओसी पार नहीं करनी है.’’ ए के सिंह के मुताबिक उन्होनें अनजाने में ही अपने जूनियर पायलट को मना किया था कि पाकिस्तान के मिलेट्री बेस पर हमला ना करे. लेकिन एयर मार्शल ए के सिंह ने ये भी कहा कि अगर उन्हें पता होता कि नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ दोनों वहां पर मौजूद हैं तब भी वहां बम नहीं गिराते, क्योंकि भारत की कभी भी ऐसी प्रवृति नहीं रही है.
बाद में ए के सिंह पश्चिमी कमान के चीफ यानि यानि एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ बने (एओसीएनसी) उसी पद से वर्ष 2007 में रिटायर हुए. पश्चिमी कमान के अंतर्गत ही करगिल से लेकर कश्मीर, पंजाब और राजस्थान का वो इलाका आता है जो पाकिस्तान से सटा हुआ है.
गुलटेरी पर हमला करने की तैयारी कर रहे थे पायलट
करगिल युद्ध के वक्त एयर मार्शल ए के सिंह जगुआर ही उड़ाते थे. सिंह ने एबीपी न्यूज को बताया कि 24 जून 1999 को वे आदमपुर एयरबेस से अपने जगुआर में उड़े थे. क्योंकि वे ऑबजर्बर को तौर पर करगिल, द्रास और मसकोह घाटी से सटी एलओसी पर उड़ान भर रहे थे, तभी उन्हें अपनी ही वायुसेना के दो पायलट्स की बातचीत अपने कम्युनिकेशन सेट पर सुनी. वे दोनों पायलट एलओसी के करीब मश्कोह वैली की दूसरी तरफ बने पाकिस्तान के पीओके के एक मिलेट्री बेस, गुलटेरी (गुलटारी) पर हमला करने की तैयारी कर रहे थे.
पाकिस्तान का ये बेस Loc से करीब 09 किलोमीटर की दूरी पर था
एक पायलट के पास सीएलडीएस सिस्टम था और दूसरे के पास लेजर गाइडेड बम थे. पहले पायलट ने कॉकपिट लेजर डेजिगनेडट सिस्टम (सीएलडीएस) को लॉक कर दिया था ताकि उसे पीछे से आ रहा जगुआर उस पर लेजर गाईडेड बम से हमला कर दे. लेकिन ए के सिंह क्योंकि इस इलाके से अच्छी तरह वाकिफ थे इसलिए उन्हें पता था कि पाकिस्तान का ये बेस एलओसी से करीब 09 किलोमीटर की दूरी पर था. इसलिए सरकार की हिदायत को मानते हुए उन दोनों पायलट्स को ऐसा करने से रोक दिया.
एके सिंह बताते हैं कि उन्हें भी इस मिलेट्री बेस पर नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ के होने की बात काफी समय बाद पता चली. उनसे जब पूछा गया कि अगर उस दिन बम वहां गिर गया होता तो क्या होता, एके सिंह करहते हैं कि वे अटकलों में और किंतु परंतु में विश्वास नहीं करते.