Karnal Farmer Protest: 28 अगस्त को हरियाणा के करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में प्रदर्शनकारी किसानों ने आज करनाल के अनाज मंडी से मिनी सचिवालय तक मार्च किया. मार्च के बाद बड़ी संख्या में किसान मिनी सचिवालय पहुंचने के बाद वहीं गेट पर बैठ गए हैं. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, "हमारा गेट पर कब्ज़ा हो गया है अब. हम तो आराम से बैठकर बात कर रहे हैं. हम तो यहां आराम करेंगे. अपने कपड़े मंगवा रहे हैं. खाने पीने का इंतज़ाम कर रहे हैं. कर लेंगे बात (सरकार से). वो तय कर के बताएं कि उन्हें क्या बताना है."


किसानों ने इससे पहले एलान किया था कि अनाज मंडी में महापंचायत के बाद मिनी सचिवालय का घेराव किया जाएगा. इसके मद्देनज़र ज़िला प्रशासन ने हर जगह सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए थे. बीते रोज़ ही करनाल समेत चार ज़िलों में 24 घंटों के लिए इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं पर पाबंदी लगा दी थी. इसके अलावा प्रशासन ने करनाल में धारा 144 लागू करते हुए 5 लोगों से ज्यादा की भीड़ इकट्ठा होने पर रोक लगा दी.


कुछ देर के लिए राकेश टिकैत समेत कई नेता हिरासत में


प्रशासन के भरसक प्रयास के बावजूद किसानों की भारी भीड़ मिनी सचिवालय तक पहुंचने में कामयाब रही. कुछ जगहों पर किसान और सुरक्षाकर्मियों में झड़पें भी हुईं और प्रशासन ने किसानों पर वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया. इसके अलावा मार्च के दौरान राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव समेत कई नेताओं को कुछ देर के लिए पुलिस ने हिरासत में लिया. हालांकि जल्द ही उन्हें छोड़ दिया गया.


कांग्रेस ने कही ये बात


करनाल में लाठीचार्ज के विरोध में किसानों की तरफ से किए जा रहे लघु सचिवालय के घेराव के बीच कांग्रेस ने सवाल किया कि आखिर सरकार किसानों के साथ बात क्यों नहीं करती. कांग्रेस ने कहा कि सरकार किसानों का अपमान कर रही है. किसानों को बुलाकर सरकार को बात करनी चाहिए. 


हरियाणा सरकार ने क्या कहा


हरियाणा सरकार ने कहा, "किसान करनाल में मिनी सचिवालय के गेट के सामने देर रात तक बैठे हैं. डीसी निशांत कुमार यादव, आईजी ममता  सिंह और एसपी गंगाराम पुनिया एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी अभी भी प्रदर्शनकारियों से बात कर रहे हैं ताकि कुछ सकारात्मक हल खोजा जा सके."


क्या है किसानों की मांग


लाठीचार्ज की घटना को लेकर किसान संगठनों ने हरियाणा सरकार के सामने कुछ मांगें रखी हैं. किसान संगठनों की मांग है कि एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया जाए. इसके अलावा करनाल में कथित लाठीचार्ज के बाद जान गंवाने वाले किसान के परिवार वालों को सरकार 25 लाख रुपये का मुआवज़ा दे और मृतक के बेटे को सरकारी नौकरी दी जाए. यही नहीं किसानों ने ये भी मांग की है कि लाठीचार्ज में घायल किसानों को 2-2 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाए.


आपको बता दें कि 28 अगस्त की घटना के दौरान एसडीएम आयुष सिन्हा का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो किसानों का सिर फोड़ने की बात कहते नज़र आए थे. जिसके बाद से किसान संगठन उनपर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.



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