करनाल: तीन घंटे की बातचीत बेनतीजा रही, अब करनाल को दिल्ली बॉर्डर बनाने की तैयारी में किसान
करनाल की सीमा यूपी से भी लगती है, जहां अगले कुछ महीनों में इलेक्शन है. ऐसे में अगर किसानों के गुस्से का केंद्र करनाल ही बना रहे तो यूपी में बीजेपी की मुश्किल कम होगी.
हरियाणा के करनाल में किसानों और सरकार के बीच बातचीत नाकाम होने के बाद आज प्रदर्शनकारियों के रुख पर नजर रहेगी. मिनी सचिवालय के बाहर किसानों के धरने का आज तीसरा दिन है. किसानों ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वो करनाल में दिल्ली बॉर्डर की तर्ज पर धरना जारी रखेंगे. लेकिन सरकार ने फिलहाल झुकने के कोई संकेत नहीं दिए हैं.
दरअसल बुधवार को किसानों और सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत बेनतीजा खत्म हो गई. बातचीत तीन घंटे चली लेकिन इसमें भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है. किसान नेताओँ ने एलान कर दिया है कि एक मोर्चा अब करनाल में भी खुला रहेगा. किसान नेता राकेश टिकैत से लेकर पंजाब के किसान नेता तक इस प्रदर्शन में शामिल हुए हैं. सरकार किसानों को मुआवजे के लिए तो तैयार है लेकिन एसडीएम आयुष सिन्हा पर एक्शन के लिए तैयार नहीं है.
किसान एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करने की मांग को लेकर ही सड़कों पर उतरे हुए हैं. राकेश टिकैत ने कहा, ''अगर अधिकारी हमसे बात करेंगे तो हम बातचीत भी करेंगे, दिल्ली वाला प्रदर्शन भी हमारा जारी रहेगा, पहले अफसर पर कार्यवाही हो उसके बाद आगे की बात करेंगे, पहली मांग तो हमारी यहीं है उसके बाद आगे की बात करेंगे.''
किसानों की मांगों पर फैसला लेने से कतरा रही सरकार
किसान नेताओं ने कहा है कि आम जनता अपना काम कराने के लिए सचिवालय आ सकती है, उन्हें नहीं रोका जाएगा, लेकिन धरना जारी रहेगा. उधर प्रशासन को उम्मीद है कि बातचीत से रास्ता निकल आएगा. प्रशासन भले ही सब ठीक कर लेने का दावा कर रहा हो लेकिन सरकार किसानों की मांगों पर फैसला लेने से कतरा रही है. खट्टर सरकार इस मुद्दे को जल्द सुलझाने के मूड में भी नहीं दिख रही. क्योंकि हरियाणा में चुनाव 2024 में होने वाले हैं. करनाल की सीमा यूपी से भी लगती है, जहां अगले कुछ महीनों में इलेक्शन है. ऐसे में अगर किसानों के गुस्से का केंद्र करनाल ही बना रहे तो यूपी में बीजेपी की मुश्किल कम होगी.
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