नई दिल्ली: येदुरप्पा कर्नाटक में बीजेपी के दिग्गज नेता हैं. 75 साल की उम्र में भी बीजेपी के बीएस येदुरप्पा के तेवर युवा नेताओं पर भारी पड़ते दिखते हैं. दमदार छवि वाले येदुरप्पा कभी चावल मिल के क्लर्क थे. फिर किसान नेता बने और इससे आगे बढ़कर साउथ में वो ऐसे कद्दावर नेता बन गए जिसने बीजेपी के लिए दक्षिण में दो-दो बार सरकार का दरवाजा खोला.


येदुरप्पा अब तक तीसरी बार मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठने से पहले दो बार तीन साल दो महीने तक सीएम रहे. लेकिन कभी गठबंधन के सहयोगी ने सत्ता छीनी तो कभी भ्रष्टाचार के आरोप ने कुर्सी से उतार दिया.


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साल 2006 में येदुरप्पा ने जेडीएस के साथ मिलकर कर्नाटक में सरकार बनाई थी. गठबंधन की शर्त ये थी कि पहले एचडी कुमारस्वामी सीएम बनेंगे फिर येदियुरप्पा. लेकिन साल 2007 में जब येदियुरप्पा का नंबर आया तो कुमारस्वामी ने कुर्सी नहीं छोड़ी.


नाराज येदुरप्पा कुमारस्वामी की सरकार से अलग हो गए. बाद में फिर गठबंधन हुआ और येदुरप्पा सीएम बने लेकिन सात दिन के अंदर ही एक बार गठबंधन टूट गया. इन झटकों के बाद येदियुप्पा ने कर्नाटक में बीजेपी को मजबूत किया और साल 2008 में जीत कर बीजेपी सरकार बनाई.


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येदुरप्पा के लिए सबकुछ ठीक चल रहा था कि तभी 2011 में उन पर खनन घोटाले में आरोप लगे. बीजेपी ने दबाव बनाया तो येदुरप्पा ने सीएम की कुर्सी के साथ बीजेपी भी छोड़ दी और अलग पार्टी बना ली. बीजेपी और येदुरप्पा के इसी झगड़े का कांग्रेस के सिद्धारमैया को फायदा हुआ और साल 2013 में येदुरप्पा के बिना बीजेपी हार गई.


लेकिन पीएम मोदी जानते थे कि येदुरप्पा का जादू ही कर्नाटक में कमल खिल सकता है. इसलिए 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी येदुरप्पा को बीजेपी में वापस लेकर आए. कर्नाटक में लोकसभा की बीजेपी ने तब 17 सीटें जीतीं.


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