Halal Meat Ban Bill: कर्नाटक में हिजाब पर हुए बवाल के बाद अब एंटी हलाल बिल (Anti Halal Bill) पर विवाद शुरू हो गया है. कर्नाटक में बीजेपी सरकार अब राज्य में हलाल मीट बेचने पर पाबंदी लगा रही है, तो वहीं विपक्ष इसका विरोध कर रहा है. विपक्ष का आरोप है कि इस कानून के जरिए सरकार एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने का काम कर रही है. 


कर्नाटक विधानसभा में शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है. बीजेपी विधायक एन रविकुमार इस बिल को सदन में पेश कर सकते हैं. उन्होंने FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) से सर्टिफाइड फूड आइटम्स के अलावा अन्य चीजों पर बैन लगाने की मांग की है. इस संबंध में उन्होंने राज्यपाल थावरचंद गहलोत को लेटर भी लिखा था. वहीं, विपक्ष ने राज्य की बीजेपी सरकार पर चुनाव से पहले हिंदुत्व कार्ड खेलने का आरोप लगाया है.


क्या होता है हलाल मीट? 


हलाल अरबी का लफ्ज है, जिसका मतलब होता है जायज़. इस्लाम में हलाल गोश्त ही खाने की मान्यता है. हलाल मीट के तहत किसी भी जानवर को एकदम से नहीं मार जाता है, बल्कि उसकी कुछ विशेष नसों को काट दिया जाता है. इससे शरीर का पूरा खून निकल जाता है और उसकी मौत हो जाती है. दावा किया जाता है कि इससे मरने वाले जानवर को कम तकलीफ होती है. 


क्यों लाया जा रहा एंटी-हलाल बिल?


इस साल अप्रैल में हलाल मीट पर कर्नाटक में बवाल हुआ था. हिंदू संगठनों ने हलाल मीट के बहिष्कार करने की अपील की थी. हलाल मीट के विरोध में हिंदू जागृति समिति, श्रीराम सेना, बजरंग दल समेत कई हिंदू संगठन कर्नाटक में सड़कों पर उतरे थे. हिंदू संगठनों का कहना था कि उगादि के मौके पर चढ़ाया जाने वाला मीट झटका ही होना चाहिए. उनका कहना है कि एक विशेष समुदाय के कारण सभी क्यों हलाल मीट खाएं?


सिख धर्म में हलाल मीट बैन


सिख धर्म में हलाल मीट नहीं खाया जाता है. दिसंबर 2021 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने पंजाब सरकार को मीट के संबंध में निर्देश जारी किया था. आयोग ने पंजाब सरकार कहा था कि वह अपने राज्य के होटलों और रेस्तरां मालिकों को आदेश दें कि परोसे जाने वाला मांस झटका है या हलाल. इसका साफ तौर पर जिक्र करें. आयोग की तरफ से कहा गया था कि यह बात संज्ञान में आ रही है कि पंजाब के होटलों में हलाल मीट ग्राहकों को परोसा जा रहा है, जबकि हलाल मांस पर सिख धर्म में बैन है.


कानून बनने से होंगे ये बदलाव


अगर कर्नाटक विधानसभा में ये एंटी हलाल बिल पास हो जाता है तो फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 में बदलाव किया जाएगा. किसी भी प्राइवेट संस्थान को फूड सर्टिफिकेट देने पर बैन लगाया जाएगा. बिल पास होने पर हलाल सर्टिफिकेशन पर बैन लगाया जाएगा. अगर यह कानून बन जाता है तो कर्नाटक देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जहां हलाल मीट पर बैन होगा. 


हलाल मीट का कारोबार कैसे प्रभावित होगा?


'स्टेट ऑफ द ग्लोबल इस्लामिक इकोनॉमी रिपोर्ट 2020-21' के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा हलाल मीट का निर्यात ब्राजील करता है. दूसरे नंबर पर भारत है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 में ब्राजील ने 16.2 अरब डॉलर का हलाल मीट एक्सपोर्ट किया था. वहीं, भारत ने 14.2 अरब डॉलर का हलाल फूड निर्यात किया था. हालांकि भारत सरकार के पास इससे जुड़ा कोई अधिकारिक आंकड़ा नहीं है.


इन देशों में भी हलाल मीट बैन


दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां इस पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है. 2021 में बेल्जियम ने हलाल मीट पर बैन लगाने के लिए नया नियम लागू किया था. नियम में कहा गया था कि जानवरों को मारने से पहले अनिवार्यतौर पर पहले बेहोश किया जाए ताकि हलाल मीट पर अपने आप रोक लग जाए. बेल्जियम के अलावा नीदरलैंड, जर्मनी, स्पेन, साइप्रस, ऑस्ट्रिया और ग्रीस में भी ऐसे कानून बन चुके हैं.


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