Karnataka Assembly Election 2023: चुनाव आयोग की पैनी नजर के कारण आजकल मतदान के दिन से पहले मुफ्त शराब और नकदी वितरित करना उम्मीदवारों के लिए मुश्किल हो गया है. हालांकि कई नेता अब एक कदम और आगे निकल गए हैं. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इसका नजारा देखने को मिल रहा है. कई संभावित उम्मीदवारों ने वोटर्स को लालच देने के लिए अलग-अलग तरीके निकाल लिए हैं. 


चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है. कर्नाटक में इसके उल्लंघन से बचने के लिए कई मौजूदा विधायक और इच्छुक उम्मीदवारों ने दो महीने पहले ही उपहार बांटने शुरू कर दिए. ये अनुमान लगाया गया है कि राजनेता प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 5 करोड़ रुपये से 30 करोड़ रुपये के बीच खर्च करते हैं. जहां प्रत्येक सीट पर दो लाख से कम मतदाता होते हैं. 


जीवन बीमा प्रीमियम, फ्री कोचिंग दी जा रही 


चुनाव में अभी भी शराब, साड़ी, प्रेशर कुकर और टेलीविजन सेट बांटे जा रहे हैं. वहीं कुछ उम्मीदवार समय के साथ आगे बढ़ गए हैं. कर्नाटक में कुछ नेताओं ने मतदाताओं के लिए जीवन बीमा प्रीमियम का भुगतान किया है. हुबली धारवाड़ पश्चिम सीट से कांग्रेस टिकट के इच्छुक नागराज गौरी आईएएस/केएएस/पीएसआई परीक्षा देने वाले स्नातकों के लिए मुफ्त कोचिंग प्रदान करने के लिए एक स्थानीय कोचिंग सेंटर के साथ सहयोग कर रही हैं. वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. 


गौरी ने कहा कि छात्रों के दो बैच की कोचिंग खत्म हो चुकी है और तीसरा बैच चल रहा है. इसके अलावा लगभग 2000 महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दिया गया है और हमने मेरे निर्वाचन क्षेत्र में महिलाओं का चयन करने के लिए 600 सिलाई मशीनें वितरित की हैं. हुबली-धारवाड़ पश्चिम से कांग्रेस के एक अन्य उम्मीदवार दीपक चिंचोरे ने कहा कि वह अपने अनीश फाउंडेशन के माध्यम से महिलाओं के लिए स्वरोजगार प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं. 


मतदाताओं को ट्रिप पर भेज रहे


दीपक चिंचोरे ने कहा कि स्त्री शक्ति हमारी मुख्य ताकत है. हमने अब तक 20,000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया है. हर बैच को पूरा करने के बाद मैं 200-300 महिलाओं को टूरिस्ट ट्रिप पर भेजता हूं. चिंचोरे ने कहा कि दानदाताओं की मदद से वह मतदाताओं के लिए बादामी बनशंकरी, धर्मस्थल, पट्टडकल्लू, दानम्मा देवी मंदिर और अन्य स्थानों जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थलों की तीन-चार-दिवसीय यात्राओं को भी प्रायोजित करते हैं. 


एलईडी टीवी मतलब वोट पक्की !


सबसे आम उपहारों में डिनर सेट, प्रेशर कुकर, डिजिटल घड़ियां, सोने की अंगूठियां और साड़ियां शामिल हैं. जबकि एलईडी टेलीविजन सेटों को "डील-क्लिंचर्स" के रूप में देखा जाता है. कुछ स्थानीय धार्मिक आयोजनों में भव्य लंच या डिनर का आयोजन किया जा रहा है. शिवरात्रि (18 फरवरी) पर, चिकपेट, बेंगलुरु में मतदाताओं पर उपहारों की बौछार की गई. एक मतदाता ने कहा कि हमें विभिन्न संभावित उम्मीदवारों से चावल, दाल, तेल और कई अन्य घरेलू सामान मिले. 


क्या कहना है नेताओं का?


एक पूर्व मंत्री ने कहा कि पहले कुछ वोटर कैश देने से मना कर देते थे. अब लोग तब तक वोट नहीं देते जब तक कि उन्हें स्थानीय उम्मीदवारों से पैसे और उपहार नहीं मिलते. उनका मानना है कि 2008 के विधानसभा चुनाव के बाद ट्रेंड बदल गया. अन्य राजनेता सहमत हैं और कहते हैं कि खर्च दोगुना हो गया है, लेकिन कुछ राजनेताओं का तर्क है कि प्रलोभन सब कुछ नहीं है. कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि पैसा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन लोग उस उम्मीदवार को वोट देना जारी रखेंगे जो उन्हें सबसे अच्छा लगता है.


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