Karnataka Assembly Elections 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार अब अपने आखिरी पड़ाव में है, ऐसे में राज्य की दो प्रमुख पीर्टियां बीजेपी और कांग्रेस चुनाव को लेकर अपनी-अपनी तैयारी तेज कर दी है. कर्नाटक में सबसे ज्यादा सीटों पर वर्चस्व रखने वाली आबादी लिंगायत मतदाताओं की हैं, जिसे लेकर सूबे की पूरी राजनीति इसके इर्द-गिर्द दिखाई दे रही है. सभी पार्टियां लिंगायत समुदाय के 17 प्रतिशत मतदाताओं के वोट को अपने पाले में करने की होड़ में लगी हुई हैं और वोटरों को लुभाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही हैं.


लिंगायत समुदाय पर इमोशनल कार्ड 


बीजेपी अपने दो वरिष्ठ नेताओं और राज्य के प्रमुख लिंगायत चेहरों के जाने से खुद को एक नकारात्मक स्थिति में पा रही है. वहीं कांग्रेस अपनी तरफ इनको शामिल करके लिंगायत मतदाताओं को अपनी तरफ लाने का सोच रही होगी. ऐसे में दोनों पार्टियों के नेता इस समुदाय के गढ़ में पहुंच कर उन्हें अपनी ओर करने के दांव में जुटी हैं. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 19 अप्रैल की सुबह हुबली में लिंगायतों के दो प्रभावशाली माने जाने वाले सिद्धारूढा और मूरसाविरा मठ पहुंचकर उनसे संवाद किया. वहीं, बीजेपी के दिग्गज रहे जगदीश शेट्टार भी अपने पारंपरिक क्षेत्र पहुंच कर लिंगायत समुदाय पर इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं.


कांग्रेस नेता जगदीश शेट्टार कर्नाटक में येदियुरप्पा के बाद दूसरे सबसे बड़े लिंगायत नेता कहे जाते हैं. ऐसे में उनके साथ बीजेपी के बर्ताव से इस समुदाय के लोगों में क्या अंतर आया है ये तो चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे. फिलहाल, शेट्टार के नामांकन के दौरान उमड़े जनसैलाब से पता चलता है कि वरिष्ठ नेता का यहां दबदबा बरकरार है.


बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने यहां पहुंचकर संवाद किया. वो हुबली में हैं, जहां लिंगायत वोटरों का वर्चस्व है. शेट्टार भी इसी हुबली से आते हैं, वह लगातार छह बार हुबली-धारवाड़ सीट से चुनाव जीत चुके हैं. ऐसे में हुबली में सारे समीकरण उलटे नजर आ रहे हैं.


दोनों की अपनी-अपनी रणनीति


कांग्रेस जगदीश शेट्टार को अपने में शामिल कर इनके जरिए विक्टिम कार्ड खेलकर लिंगायतों में अपनी राह आसान करने में जुटी है. साथ ही बीजेपी जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी के खिलाफ कोई भी बात रखने में संकोच कर रही है. उन पर हावी होने के लिए हर मोर्चे पर येदियुरप्पा को ही आगे कर रही है. बीजेपी जानती है कि लिंगायत में येदयुरप्पा की पकड़ बाकी सभी नेताओं से ज्यादा है. ऐसे में सभी उनकी बात सुनेंगे. 


इसी के फलस्वरूप बीजेपी ने 224 विधानसभा सीटों पर सिर्फ लिंगायत चेहरे को करीब 35 प्रतिशत की हिस्सेदारी सौंपी है, पार्टी ने इस बार लिंगायत समुदाय के लगभग 68 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान मे उतारा है. ये पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 10 फीसदी अधिक है. इसके वाबजूद बीजेपी ने कर्नाटक में लिंगायत समाज के लिए 2% आरक्षण बढ़ाकर उनके विश्वास को और अधिक जीतने की कोशिश की है.


कांग्रेस ने भी इस बार लिंगायत समुदाय को रिझाने में कोई कसर नही छोड़ रही है, पार्टी लक्ष्मण सावदी और जगदीश शेट्टार जैसे बीजेपी के कद्दावरों को टिकट देकर लिंगायत समुदाय में सेंध लगाने में जुटी है. हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42 लिंगायत उम्मीदवार को मैदान में उतारे थे जिसमें से मात्र 18 ही जीत पाए थे. 


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