Karnataka Election 2023: आरक्षण कोटा बढ़ाकर ST की 15 और सीटें पाने की उम्मीद में बीजेपी, वाल्मीकि नायक समुदाय पर नजर
Karnataka: अनुसूचित जनजातियों की आबादी के अनुपात में कोटा बढ़ाने की मांग को पूरा करके बीजेपी कर्नाटक की 224 सीटों में 15 और सीटों पर एसटी समुदाय के वोटों को अपने पक्ष में करने की उम्मीद कर रही है
BJP on Karnataka Elections: कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है. वहां के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण को लेकर दरियादिली दिखाई है. सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक अनुसूचित जनजाति वर्तमान में राज्य की आबादी का लगभग 7 प्रतिशत हिस्सा हैं. पिछले साल के अक्टूबर महीने में बोम्मई सरकार ने समुदाय की जनसंख्या के अनुपात में एसटी के लिए आरक्षण कोटा 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत करने की घोषणा की थी. अपने मौजूदा कार्यकाल के अंतिम दौर में कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने प्रभावित कोटा में सभी परिवर्तनों में से एसटी के लिए कोटा में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है, जो राज्य में किसी भी समुदाय को प्राप्त हुई सबसे बड़ी बढ़ोतरी है.
इसके बाद प्रमुख लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों को 11 और 15 प्रतिशत के बीच की मांग के बावजूद क्रमशः 5 से 7 प्रतिशत रखा गया. वहीं, 4 प्रतिशत के मुस्लिम ओबीसी कोटा को रद्द करने के बाद केवल 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है. इसके अलावा, अनुसूचित जाति (एससी) कोटा भी केवल 2 प्रतिशत बढ़ाकर 15 से 17 प्रतिशत कर दिया गया है.
एसटी वोटों को अपने पक्ष में करने की उम्मीद
अनुसूचित जनजातियों की आबादी के अनुपात में कोटा बढ़ाने की मांग लंबे समय से लंबित है. अब बीजेपी इस मांग को पूरा करके कर्नाटक की 224 सीटों में 15 और सीटों पर एसटी समुदाय के वोटों को अपने पक्ष में करने की उम्मीद कर रही है, जो अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं.
बीजेपी की नजरें विशेष रूप से प्रमुख वाल्मीकि नायक समुदाय पर टिकीं हैं. वहीं, एसटी कोटे के कदम के साथ बीजेपी पिछले तीन विधानसभा चुनावों में अपने एसटी नेताओं की विफलता को दूर करने की भी उम्मीद कर रही है, जहां वह कांग्रेस के बराबर या उसके बाद दूसरे स्थान पर रही थी. हाल के दिनों में बीजेपी में बड़े आदिवासी नेताओं के उभरने के बावजूद कांग्रेस एसटी समुदायों में अपने पारंपरिक आधार को बनाए रखने में कामयाब रही है.
9 सीटों पर जीती थी कांग्रेस
साल 2013 में कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 15 सीटों में से 9 पर जीत हासिल की थी. उस समय बल्लारी से कांग्रेस के मुख्य अनुसूचित जनजाति नेता बी श्रीरामुलु ने अपनी खुद की पार्टी (बीएसआर कांग्रेस) बनाई थी और तीन आरक्षित सीटों पर जीत हासिल की थी. साल 2008 और 2018 के चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी सात एसटी-आरक्षित सीटों के साथ समाप्त हुई थी.
बीजेपी को एसटी और वाल्मीकि नायकों के समर्थन का भरोसा
पिछले साल अक्टूबर में एसटी कोटा में बढ़ोतरी की घोषणा हुई थी. इसको लेकर वाल्मीकि नायक समुदाय से आने वाले कांग्रेस के पूर्व सांसद वीएस उगरप्पा ने कहा था कि यह बीजेपी का राजनीतिक फैसला है. इतने दिन तो सोए थे और अब अचानक जाग गए हैं. यह भारत जोड़ो यात्रा, महंगाई और बीजेपी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का असर है. वे इस मुद्दे पर अचानक सक्रिय हो गए हैं.
बताया गया कि इस फैसले से बीजेपी को एसटी खासकर वाल्मीकि नायकों का समर्थन हासिल होने का भरोसा है, जो डिप्टी सीएम के पद के वादे को पूरा करने में विफल रहे और बी श्रीरामुलु को दरकिनार कर दिया. साल 2018 में श्रीरामुलु ने बागलकोट में बादामी जिले से कांग्रेस के तत्कालीन सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ चुनाव लड़ा था. उस दौरान श्रीरामुलु ने बीजेपी की ओर से एसटी कोटा में बढ़ोतरी का वादा किया था.
बता दें कि बल्लारी में वाल्मीकि नायकों की अच्छी खासी आबादी है और इसी वजह से श्रीरामुलु पिछले एक दशक से बीजेपी के प्रमुख आदिवासी नेता हैं. तब से लेकर अभी तक श्रीरामुलु ने अपनी प्रमुखता को धीरे-धीरे कम होते भी देखा है.