Karnataka Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में आधे उम्मीदवार निर्दलीय, अब तक 92 फीसदी की जब्त हो चुकी है जमानत
Karnataka Elections: सभी पार्टियों की ओर से 3,632 उम्मीदवारों ने कुल 5,102 पर्चे दाखिल किए हैं. इसमें बीजेपी से 707, कांग्रेस से 651 और 1,720 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.
Karnataka Assembly Elections 2023: कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में दो प्रमुख पार्टियों, बीजेपी और कांग्रेस के अलावा कई दलों ने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. सभी पार्टियों की ओर से 3,632 उम्मीदवारों ने कुल 5,102 पर्चे दाखिल किए हैं. इसमें बीजेपी से 707, कांग्रेस से 651 तो वहीं कुल 1,720 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं.
गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा भी एक बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कर्नाटक विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. तब उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार एचडी डोड्डेगौड़ा को हासन जिले के होलेनरसीपुरा क्षेत्र में 5,284 मतों से हराया था.
पूर्व पीएम ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा था
1962 के चुनाव में एचडी देवेगौड़ा 28 साल के थे और तब उन्होंने कांग्रेस के एचडी डोड्डेगौड़ा को हराया था. उस चुनाव में देवगौड़ा के साथ 27 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी जीत दर्ज की थी. उस साल कुल 179 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में उतरे थे.
वहीं साल 1962 से पहले के चुनाव में 35 निर्दलीय चुनाव जीते थे, जबकि 1967 में 331 निर्दलीय उम्मीदवारों में 41 विधान सभा पहुंचे थे. इसके बाद, कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 2004 तक निर्दलीय उम्मीदवार दोहरे अंकों में चुने गए थे, लेकिन पिछले तीन चुनावों में निर्दलीय से केवल छह, नौ और एक तक ही सीमित रह गए.
इन आंकड़ों को देखें तो यह पता चलता है कि कर्नाटक के मतदाता केवल तीन बड़े दलों के लोगों को ही ज्यादा पसंद करते हैं. साल 1978 के बाद से निर्दलीय विधायक कभी भी 400 से नीचे नहीं आए हैं. तब से अब तक हुए 10 चुनावों में करीब 10,000 से अधिक निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं. इनमें से सबसे अधिक साल 1994 (1,256) में चुनाव लड़े थे.
वहीं साल 1957 के चुनाव के बाद से अब तक 9,971 निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं. इसमें से 92.6% की जमानत जब्त हो चुकी है, जबकि सिर्फ 246 निर्दलीय उम्मीदवार जीत सके हैं. साल 1983 में 22 और 1999 में 19 के साथ सबसे अधिक निर्दलीय चुनाव जीते थे.
11.6 प्रत्याशी हर सीट से चुनाव मैदान में
इन चुनावों को अगर तीन भागों में बांटकर एक आकलन करें, यानी कि साल 1957 से 1978, 1983 से 1999 और 2004 से 2023 की अवधि का अध्ययन करने से पता चलता है कि धीरे-धीरे निर्दलीय जीतने वालों की संख्या कम होती जा रही है. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो कई लोगों के लिए यह अपने क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल करने का एक जरिया होता है. हालांकि कुछ मामलों में इन उम्मीदवारों ने प्रमुख दलों से टिकट ना मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा होता है. वहीं निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव दर चुनाव प्रति सीट औसत की संख्या को बढ़ा रहे हैं.
कर्नाटक के तीन चुनावी साल 1957, 1962 और 1967 में निर्विरोध जीतने वाले तीन मुख्यमंत्री शामिल हैं. कर्नाटक में पिछले पांच विधानसभा चुनावों के आंकड़ों को देखे तो साल 1999 में कुल 1,341 उम्मीदवारों में से हर एक सीट पर औसतन 5.9 उम्मीदवार चुनाव में थे, 2018 में यह संख्या बढ़कर 2,636 हो गई और लगभग 11.8 उम्मीदवार प्रत्येक सीट से मैदान में थे. इस साल अब तक के सबसे ज्यादा करीब 11.6 प्रत्याशी हर सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं.