कर्नाटक: विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में 'ऑल इज नॉट वेल'
बताया जा रहा है कि जब से सिद्धारमैया के बेटे यतीन्द्रा के खिलाफ वरुणा से येदियुरप्पा के बेटे का टिकट कटा है तब से येदियुरप्पा नाराज़ है और पार्टी फिलहाल उन्हें शांत करने में लगी हुई है.
नई दिल्ली: कर्नाटक चुनाव के लिए अब महज दो हफ्ते ही बाकी रह गए हैं. दक्षिण में एंट्री के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही बीजेपी के लिए नई परेशानी खड़ी हो गयी है. बीजेपी के लिए नई मुश्किल येदियुरप्पा बने हुए हैं जो कि पार्टी सूत्रों के मुताबिक इन दिनों नाराज़ चल रहे हैं. बताया जा रहा है कि जब से सिद्धारमैया के बेटे यतीन्द्रा के खिलाफ वरुणा से येदियुरप्पा के बेटे का टिकट कटा है तब से येदियुरप्पा नाराज़ है और पार्टी फिलहाल उन्हें शांत करने में लगी हुई है.
बताया जा रहा है कि 26 अप्रैल को अमित शाह ने बेंगलुरू में एक गुप्त बैठक रखी थी जिसमे येदियुरप्पा शामिल नहीं हुए. जिसके बाद वे शुक्रवार को अमित शाह से बेंगलुरु में मिले और इस पर उन्होंने अपनी नाराजगी जताई. उनके और अमित शाह के बीच बैठक सिर्फ 10 मिनट तक ही चली जिसके बाद वे हासन के लिए निकल गए. सूत्रों का यह भी कहना है कि वरुणा में जब येदियुरप्पा के बेटे विजयेन्द्र प्रचार कर रहे थे तब कुछ नहीं कहा गया और आखिरी पल उनका टिकट काट दिया. 26 अप्रैल की गुप्त बैठक में बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे जिनमें बीएल संतोष, अनंत कुमार, पी मुरलीधर राव भी थे. इसमें अंदरूनी क्लेष पर बातचीत हुई. इस बैठक में येदियुरप्पा ने नाराज़गी की वजह से खुद को दूर रखा.
इससे पहले येदियुरप्पा ने तब सबको हैरान कर दिया जब उन्होंने ये एलान कर दिया था कि उनके बेटे विजयेन्द्र, वरुणा से चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि उनकी जगह पार्टी के किसी आम सदस्य को मौका दिया जाएगा. उस एलान के बाद तो विजयेन्द्र के समर्थक गुस्से में बेकाबू हो गए थे और पुलिस को उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठी चार्ज का सहारा लेना पड़ा था. अब भी समर्थकों में बहुत गुस्सा है जो कि बीजेपी के लिए मुश्किल भरा संकेत है.
सूत्रों की मानें तो येदियुरप्पा को दिल्ली से एक फोन आया था. उनसे सवाल किया गया कि विजयेन्द्र पर्चा भरने की तैयारी में क्यों हैं जबकि उनके नाम पर अभी अंतिम मुहर ही नहीं लगी है. उसके बाद विजयेन्द्र का नाम हट जाने से येदियुरप्पा नाराज़ हो गए.
आपको बता दें कि वरुणा सियासी रूप से बहुत ही अहम सीट है क्योंकि येदियुरप्पा के बेटे विजयेन्द्र मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे डॉ यतीन्द्र से टक्कर लेने वाले थे. सिद्धारमैया ने ये सीट खास तौर पर अपने बेटे के लिए खाली की थी और खुद पड़ोस के चामुंडेश्वरी और बादामी से चुनावी मैदान में उतरे हैं. वरुणा से सिद्धारमैया दो बार जीत चुके हैं.
इससे पहले कांग्रेस ने भी बीजेपी में चल रहे इस अंदरूनी घमासान पर तंज कस चुकी है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पूछा कि क्या बीजेपी आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की तरह येदियुरप्पा को भी मार्गदर्शक मंडली में बिठाने की सोच रही है? इस वार पलटवार के बीच एक बात तो साफ़ है कि 2013 की हार के बाद सत्ता में आने की क़ोशिश कर रही पार्टी के भीतर 'ऑल इज़ नॉट वेल.'