बेंगलूरू: कर्नाटक के बीजेपी अध्यक्ष बीएस येदुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के साथ ही तय है की कांग्रेस-जेडीएस के मुख्यमंत्री पद के चेहरे कुमारस्वामी सूबे की कमान संभालेंगे. उन्हें राज्यपाल वजुभाई वाला बुधवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाएंगे. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि की वजह से सोमवार को होने वाला शपथग्रहण टाला गया है.


कर्नाटक में बदले सियासी समीकरण के बहाने राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों को साथ लाने की कवायद शुरू हो गई. जिसकी छाप कुमारस्वामी के शपथग्रहण में दिखेगी. कुमारस्वामी ने कहा, ''शपथग्रहण के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू, के चंद्रशेखर राव, बीएसपी चीफ मायावती को आमंत्रित किया गया है. हमने सभी क्षेत्रिये दलों को शपथग्रहण समारोह में बुलाया है.''


मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा के शपथग्रहण के साथ ही कर्नाटक में राजनीतिक संकट जैसी स्थिति बन गई थी. चुनाव बाद बने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन का दावा था कि बीजेपी के पास बहुमत नहीं है और राज्यपाल ने असंवैधानिक तरीके से येदुरप्पा को शपथ दिलाई. मामला कोर्ट में गया. जहां सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी को झटका देते हुए बहुमत साबित करने की मियाद 15 दिन से घटाकर कल शाम 4 बजे तक की कर दी. शनिवार को फ्लोर टेस्ट से पहले पर्याप्त संख्याबल से दूर होता देख येदुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया. इसी के साथ कर्नाटक में तीन दिन पुरानी बीजेपी की सरकार गिर गई.


येदुरप्पा आगे क्या करेंगे?


चेहरे पर हार के भाव के साथ येदुरप्पा ने एक संक्षिप्त भावनात्मक भाषण के बाद विधानसभा के पटल पर अपने निर्णय की घोषणा की. उन्होंने कहा,‘‘मैं विश्वास मत का सामना नहीं करूंगा. मैं इस्तीफा देने जा रहा हूं.’’ येदुरप्पा ने कहा कि वह अब ‘‘ लोगों के पास जायेंगे. ’’


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येदुरप्पा के इस्तीफे के कुछ घंटे बाद जेडीएस- कांग्रेस -बीएसपी गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार एच डी कुमारस्वामी ने राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात की और उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है. कुमारस्वामी ने कहा ,‘‘बीजेपी सरकार सदन में अपनी ताकत दिखाने में विफल रही. इस आधार पर राज्यपाल ने अगली सरकार बनाने के लिए मुझे आमंत्रित किया. ’’



जद (एस) प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के 58 वर्षीय बेटे ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया है लेकिन उन्होंने कहा , ‘‘ हमें 15 दिनों की जरूरत नहीं है. ’’


कांग्रेस - जद (एस) गठबंधन ने 224 सदस्यीय विधानसभा में 117 विधायकों के समर्थन का दावा किया है. दो सीटों पर विभिन्न कारणों से मतदान नहीं हुआ था जबकि कुमारस्वामी दो सीटों से चुनाव जीत थे. कांग्रेस 78 सीटों पर जीत दर्ज करके दूसरे स्थान पर रही थी जबकि जद (एस) को 37 सीटों पर जीत मिली थी.


खरीद-फरोख्त के लगे आरोप


बीजेपी द्वारा विधायकों की खरीद - फरोख्त के आरोपों के बीच कांग्रेस अपने विधायकों को बेंगलुरू के बाहर एक रिजार्ट ले गई जबकि जद (एस) के विधायक राज्य की राजधानी में एक होटल में रहे. इसके बाद उन्हें हैदराबाद के एक होटल ले जाया गया और कांग्रेस - जद (एस) की याचिका पर बहुमत साबित किये जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विधायक वापस लौटे.


इस बीच कांग्रेस ने एक ऑडियो टेप जारी किया जिसमें मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा एक विधायक को कथित रूप से प्रलोभन देते हुए कहते सुने गये कि यदि वह विश्वास मत के दौरान भाजपा सरकार का समर्थन करते है तो उन्हें मंत्री पद दिया जायेगा.


इस तरह के आरोप भी लगाये गये कि कांग्रेस विधायक आनंद सिंह को बीजेपी ने ‘‘बंधक’’ बना लिया लेकिन वह येदुरप्पा के अपना भाषण शुरू करने से कुछ मिनट पहले विधानसभा पहुंच गये. अपने भाषण के दौरान भावुक येदुरप्पा ने अपने इस्तीफे के संकेत दे दिये थे. उन्होंने कहा ,‘‘मैंने किसानों का संघर्ष देखा है , उन्हें जमीन दी है और उनके आंसूओं को पोंछा था. मैं उनके एक लाख रुपये तक के कर्ज को माफ करना चाहता था. ’’


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उन्होंने एक राजनेता के रूप में अपने संघर्ष को याद किया और कहा कि उन्होंने पार्टी बनाने में कैसे मदद की. पहले एक समय केवल दो ही विधायक थे और अब 104 विधायक है. येदुरप्पा ने कहा ,‘‘मैं गरीबों के घरों में गया , उनके साथ रहा. मैंने अपने पूरे जीवन संघर्ष किया है. मैं अपनी अंतिम सांस तक अपने लोगों की सेवा करूंगा.’’


उन्होंने कहा कि वह अब पूरे कर्नाटक की यात्रा करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि पार्टी लोकसभा चुनावों में राज्य की सभी 28 सीटों और अगले विधानसभा चुनाव में 156 सीटों पर जीत दर्ज करें. इसके बाद आठ बार विधायक रहे और दो बार सांसद रहे येदुरप्पा ने इस्तीफा देने के अपने निर्णय की घोषणा की. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने ‘‘ खरीद - फरोख्त ’’ को रोकने और ‘‘ संविधान , लोकतंत्र और कानून की रक्षा करने ’’ के लिए न्यायपालिका को धन्यवाद दिया.


आजाद ने कहा कि राज्यपाल ने येदुरप्पा को 15 दिन का समय दिया क्योंकि उन्हें आश्वस्त किया गया था कि बहुमत हासिल करने के लिए कुछ विधायकों की कमी है. राज्यपाल ने हमारी पार्टी को तोड़ने .... खरीद - फरोख्त करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया. येदुरप्पा का सत्ता में रहने का यह सबसे कम समय था. वह 2007 में जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे उस समय केवल सात दिन ही मुख्यमंत्री रहे थे. वह दूसरी बार उस समय मुख्यमंत्री बने थे जब 2008 में कर्नाटक में भाजपा ने पहली बार अपनी सरकार बनाई थी.


(इनपुट एजेंसी से भी)