कर्नाटक में नाटक: बहुमत साबित करने के लिए ये है BJP सरकार का नया प्लान
कांग्रेस और जेडीएस को भी इस बात का आभास है कि उनके विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. इसलिए दोनों पार्टियां अपने-अपने विधायकों को बचाए रखने के लिए कर्नाटक से बाहर ले गई.
नई दिल्ली: बीजेपी बहुमत का आंकड़ा हासिल करने के लिए अब एंग्लो इंडियन को नामांकित करने का रास्ता भी निकाल रही है. बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए 112 विधायक चाहिए. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के संपर्क में 12 विधायक है लेकिन अभी तक तीन विधायक छोड़कर किसी ने भी कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा है.
कांग्रेस विधायक आंनद सिंह इस मुहिम का नेतृत्व कर रहे हैं और अभी तक कांग्रेस खेमे से लापता है. आंनद सिंह के साथ दो और विधायक अभी तक कांग्रेस खेमे में लौटे नहीं हैं. बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए कम से कम सात और विधायकों के समर्थन की ज़रूरत है. अगर कांग्रेस के सात विधायक बीजेपी के पक्ष में मतदान कर देंगे तो येदुरप्पा सदन में बहुमत साबित कर देंगे.सदन में कैसे बहुमत साबित करेंगे येदुरप्पा?
राज्य में 224 में से 222 सीटों पर ही चुनाव हुआ था. अगर बीजेपी एक एंग्लो इंडियन सदस्य को नामांकित कर देगी तो सदस्य संख्या 223 हो जाएगी. नामांकित सदस्य के पास भी बाकी विधायकों की तरह सभी अधिकार होते हैं. वह विश्वास प्रस्ताव पर वोट भी कर सकता है. ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 112 ही रहेगा. लेकिन अगर कांग्रेस या जेडीएस के सात विधायक बहुमत प्रस्ताव या बीजेपी के पक्ष में मतदान कर दे तो बीजेपी के पक्ष में पड़े मतों की संख्या हो 104+ 1 एंग्लो इंडियन+ 7 विपक्ष के बागी विधायक यानी 112 हो जाएगी और विपक्ष के विधायकों की संख्या 111 रह जाएगी.
कर्नाटक: बेंगलूरु से हैदराबाद भेजे गए कांग्रेस-JDS विधायक, 4 गायब विधायकों का अभी तक पता नहींआज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
कांग्रेस और जेडीएस को भी इस बात का आभास है कि उनके विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. इसलिए दोनों पार्टियां अपने-अपने विधायकों को बचाए रखने के लिए कर्नाटक से बाहर ले गई. कांग्रेस-जेडीएस राज्य में बीजेपी को सरकार बनाने के न्योते के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं. आज सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई भी करेगा.
कोर्ट से क्या चाहती हैं कांग्रेस-जेडीएस?
कांग्रेस और जेडीएस की कोशिश है कि सुप्रीम कोर्ट या तो राज्यपाल के निर्णय को पलट दे या उनके गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रण देने का फैसला सुनाए. लेकिन ऐसा संभव दिखाई नहीं देता क्योंकि सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल के विवेक पर सवाल नहीं उठाएगा. दोनो दलों की दूसरी कोशिश है कि बहुमत सबित करने का 15 दिन का वक्त घटा दिया जाए ताकि विधायकों के तोड़फोड़ की समयावधि कम हो जाए. ऐसे में दोनों दलों को कुछ राहत तो मिल ही सकती है. आज कोर्ट क्या कहता है इस पर सबकी निगाहें ज़मी हुई हैं.