Chennakeshava Temple Rathotsava: कर्नाटक के बेलूर में स्थित ऐतिहासिक चेन्नाकेशव मंदिर एक बार फिर खबरों में है, लेकिन इस बार खबरों में रहने की वजह इसका भाईचारे का संदेश देने वाली कई साल पुरानी परंपरा नहीं, बल्कि एक बवाल है जिसे राइट विंग के कुछ संगठनों ने शुरू किया है.
दरअसल, इस मंदिर में 3 अप्रैल को वार्षिक रथ उत्सव (रथोत्सव) की शुरुआत होनी है. इस रथ उत्सव को चिह्नित करने के लिए कुरान के अंशों का पाठ करने की परंपरा है. लेकिन मंगलवार को कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इसी परंपरा का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया.
हिंदू संगठनों का दावा, प्राची नहीं है यह प्रथा
बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान राज्य सरकार से इस प्रथा को रोकने का आग्रह किया, जो 1932 से मंदिर के मैनुअल का हिस्सा है. वीएचपी के महिपाल ने कहा कि यह कहने के लिए पर्याप्त शोध किया गया है कि यह प्रथा प्राचीन नहीं है, इसे 1932 के बाद से शुरू किया गया है. “मुस्लिम समुदाय का मंदिर की गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन यह एक मैनुअल बन गया है. हम सरकार से इसे हटाने की मांग कर रहे हैं.
प्रदर्शन के दौरान साकिब नाम के लड़के को पकड़ा
इस बीच, प्रदर्शन के दौरान बजरंग दल और वीएचपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ नारेबाजी करने वाले साकिब पाशा नाम के व्यक्ति को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. हासन के एसपी हरिराम शंकर ने कहा कि कोई अप्रिय घटना नहीं हुई. पुलिस ने पाशा नाम के शख्स को हिरासत में लिया है.
पिछले साल से शुरू हुआ है इसे लेकर विरोध
जानकारी के मुताबिक, कि त्योहार की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए कुरान के अंशों को पढ़ना इस मंदिर का एक अनुष्ठान रहा है, लेकिन इतिहासकारों के अनुसार यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि इसकी शुरुआत कब हुई. हालांकि इसे 1932 में मंदिर के मैनुअल में शामिल किया गया था, और कई वर्षों तक लोगों की तरफ से कुरान के अंशों का पाठ करने पर किसी ने आपत्ति नहीं की थी. पिछले साल, हिंदू संगठनों ने इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने और मुसलमानों को त्योहारों के दौरान स्टॉल लगाने से रोकने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था.
पहले भी इसे लेकर हुआ है विवाद
जिला प्रशासन की ओर से मामले पर एक रिपोर्ट पेश करने के बाद, मुजरई विभाग के तत्कालीन आयुक्त रोहिणी सिंधुरी ने यह कहते हुए अनुष्ठान की अनुमति दी कि हिंदू धर्म अधिनियम 2002 की धारा 58 के अनुसार, मंदिर, धार्मिक अनुष्ठानों और परंपराओं में कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. इसके बाद मंदिर समिति को कुरान की आयतें पढ़ने की इजाजत दी गई.
बेहद खास है यह मंदिर
बता दें कि 12वीं शताब्दी का बेलुरु चेन्नाकेशव मंदिर राज्य के प्राचीन मंदिरों में से एक है और इसे वास्तुशिल्प का चमत्कार माना जाता है. होयसल परिवार ने 103 साल में तारे के आकार के मंदिर का निर्माण पूरा किया.
ये भी पढ़ें