बेंगलुरू: कर्नाटक में अचानक हुए एक राजनीतिक घटनाक्रम में बीजेपी के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने पक्ष में आंकड़े जुटाने की है. शपथ ग्रहण करने के बाद येदियुरप्पा ने कहा कि हम 29 जुलाई को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव रखेंगे. वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य में येदियुरप्पा के नेतृत्व में स्थिर सरकार बनने का विश्वास जताया.
कांग्रेस -जद (एस) गठबंधन सरकार के तीन दिन पहले विश्वास मत हारने के बाद येदियुरप्पा ने शुक्रवार को अकेले शपथ ली. राज्यपाल वजुभाई वाला ने शाम में राजभवन में हुए एक समारोह में 76 साल के येदियुरप्पा को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. दक्षिण भारत में 2008 में पहली बार बीजेपी सरकार बनवाने का श्रेय येदियुरप्पा को जाता है. लिंगायत नेता ने शुक्रवार की सुबह अचानक सरकार गठन का दावा करने की पहल की. एक दिन पहले ही विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने कांग्रेस- जद (एस) के तीन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराया था.
अमित शाह ने ट्वीट कर बी एस येदियुरप्पा को दी बधाई
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने शपथ लेने के बाद बी एस येदियुरप्पा को बधाई दी और विश्वास जताया कि पार्टी राज्य में उनके नेतृत्व में स्थिर, किसान समर्थक और विकासोन्मुखी सरकार देगी. केंद्रीय गृह मंत्री ने ट्वीट किया, "कर्नाटक के नये मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को बधाई. मुझे पूरा विश्वास है कि उनके नेतृत्व और प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में बीजेपी राज्य में स्थिर, किसान समर्थक और विकासोन्मुखी सरकार देगी. मैं कर्नाटक के लोगों को आश्वास्त करता हूं कि बीजेपी उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है."
सरकार गठन पर अचानक बदले घटनाक्रम में येदियुरप्पा ने शपथ ग्रहण करने से पहले बीजेपी कार्यकर्ताओं से कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ने सुबह में उनसे फोन पर बात की और शुक्रवार को उन्हें शपथ लेने के लिए तैयार रहने को कहा. हफ्तों चले राजनीतिक ड्रामा और कानूनी लड़ाई के बाद उन्होंने शपथ ग्रहण किया. राज्य में कांग्रेस और जद (एस) के 15 बागी विधायकों के इस्तीफे के बाद मंगलवार को गठबंधन की सरकार गिर गई थी.
मई 2018 में महज तीन दिन टिक पाई थी येदियुरप्पा की सरकार
मई 2018 में राज्य में येदियुरप्पा की सरकार महज तीन दिन टिक पाई थी, जब चुनावों में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद उन्होंने सरकार बनाने का दावा किया था. लेकिन कांग्रेस- जद (एस) के बीच गठबंधन होने के कारण वहां कुमारस्वामी के नेतृत्व में सरकार बनी और येदियुरप्पा को तीन दिनों के अंदर ही मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी.
दिल्ली में बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने विपक्ष के दावे को खारिज कर दिया कि गठबंधन सरकार को गिराने में उनकी पार्टी ने दल- बदल करवाया. नड्डा ने कहा कि गठबंधन की सरकार अंदरूनी कलह की वजह से गिरी और पार्टी के लिए येदियुरप्पा मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार थे.
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