Karnataka CM Race: 'खरगे को हटाने के लिए पार्टी को ब्लैकमेल किया', डीके के 30 प्वाइंटर्स सिद्धारमैया के लिए बन सकते हैं बड़ी मुश्किल
Karnataka Government Formation: कर्नाटक में सीएम पद को लेकर कांग्रेस मुश्किल में है. इस बीच डीके शिवकुमार अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए 30 प्वाइंटर्स लेकर राहुल गांधी से मुलाकात करने वाले हैं.
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Karnataka CM Race: कर्नाटक में कांग्रेस के सीएम को लेकर सस्पेंस अभी खत्म नहीं हुआ है. इस बीच दोनों टॉप दावेदार सिद्धारमैया (Siddaramaiah) और डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) दिल्ली में मौजूद हैं. डीके शिवकुमार बुधवार (17 मई) को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मुलाकात करने वाले हैं.
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके इस मुलाकात में राहुल गांधी के सामने 30 प्वाइंटर्स रखेंगे, जिसमें वह बताएंगे कि सिद्धारमैया ने कब-कब पार्टी को नुकसान पहुंचाया और साथ ही ये भी बताएंगे कि उन्होंने किन-किन मौकों पर पार्टी के लिए कुर्बानी दी. वह उस घटना का भी जिक्र करने वाले हैं जब उन्हें जेल जाना पड़ा था.
डीके मुलाकात में रख सकते हैं ये प्वाइंट
- कांग्रेस पार्टी ने सिद्धारमैया के अहिन्दा कार्यक्रम को फंड दिया. अगर अहिन्दा सफल हुआ तो यह केवल कांग्रेस के समर्थन के कारण था. इसी ने उन्हें नेता बनाया. उनके उपचुनाव में पूरी कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी थी और वह सिर्फ 252 वोट से जीते.
- सिद्धारमैया ने पार्टी में शामिल होने के बाद किसी भी उपचुनाव में भाग नहीं लिया क्योंकि वे कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता पद की मांग कर रहे थे. उन्होंने सुनिश्चित किया कि उनका समुदाय पार्टी को वोट न दे. उस समय आरवी देशपांडे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष थे और डीके शिवकुमार कार्यकारी अध्यक्ष थे और खरगे सीएलपी थे.
- उन्होंने रातों-रात खरगे जी को सीएलपी के पद से हटाने के लिए पार्टी को ब्लैकमेल किया और सीएलपी बन गए. उनके पास सीएलपी बनने के लिए नंबर नहीं थे. उनके कितने विधायक थे?
- सीएलपी बनने से पहले उन्होंने कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार इकबाल अहमद सरदागियां को हराया और एमएलसी बनने के लिए निर्दलीय उम्मीदवार बैराथी सुरेश का समर्थन किया. सुरेश वित्तीय मामलों सहित उनकी सभी गतिविधियों का प्रबंधन करते हैं. इस एमएलसी चुनाव के दौरान उन्होंने सभी जेडीएस विधायकों को तैयार किया, जो आधिकारिक पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ क्रॉस वोट करने के लिए कांग्रेस में चले गए, जो हाईकमान के आदेश का उल्लंघन था.
- 2013 तक उनका पार्टी में योगदान कुछ भी नहीं था. तत्कालीन केपीसीसी अध्यक्ष डॉ जी परमेश्वर ने दो साल से अधिक की अवधि के लिए अपने खुद के पैसे से पार्टी को खड़ा किया था. सिद्धारमैया ने चुनाव के दौरान कुछ भी नहीं किया. उन्होंने कोराटागेरे में केपीसीसी अध्यक्ष डॉ जी परमेश्वर को हराने के लिए काम किया. उन्होंने अपने समुदाय के लोगों से डॉ परमेश्वर के खिलाफ वोट करने के लिए कहा और यह बात सभी की जानकारी में है.
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