Karnataka: कर्नाटक के CM सिद्धारमैया बोले- बिजली दरों में बढ़ोतरी का 'गृह ज्योति' योजना से कुछ भी लेना-देना नहीं, बताया कैसे बढ़े दाम
Karnataka News: एफकेसीसीआई के एक प्रतिनिधिमंडल ने बिजली दरों में बढ़ोतरी के चलते व्यापारियों और उद्योगों को होने वाली कठिनाइयों के बारे में शुक्रवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को अवगत कराया.
Siddaramaiah On Power Tariff Hike: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार (23 जून) को इन आरोपों को खारिज कर दिया कि बिजली दरों में बढ़ोतरी का 'गृह ज्योति' योजना से कुछ भी लेना देना है. राज्य सरकार की इस योजना के तहत कर्नाटक के घरों में हर महीने 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की पेशकश की गई है. इस योजना का लाभ लेने के लिए 18 जून को रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए थे.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि यह गलत धारणा है कि गृह ज्योति योजना का बोझ दूसरों पर डाल दिया गया है. उन्होंने फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FKCCI) के एक प्रतिनिधिमंडल से कहा, ''यह सोचना गलत है कि गृह ज्योति योजना का बोझ दूसरों पर डाला गया है.''
एफकेसीसीआई के प्रतिनिधिमंडल ने की सीएम से मुलाकात
एफकेसीसीआई के अध्यक्ष बी वी गोपाल रेड्डी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने बेंगलुरु स्थित मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से उनके गृह कार्यायलय 'कृष्णा' में मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बिजली दरों में अत्यधिक बढ़ोतरी के कारण व्यापारियों और उद्योगों को होने वाली कठिनाइयों के बारे में अवगत कराया. सीएम ने आश्वासन दिया कि वह एफकेसीसीआई की मांगों पर गौर करेंगे.
सीएम सिद्धारमैया ने बताई बिजली दरों में बढ़ोतरी की वजह
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली दरों में बढ़ोतरी उनकी सरकार की ओर से नहीं की गई, बल्कि कर्नाटक विद्युत नियामक आयोग की ओर से की गई. उन्होंने कहा कि टैरिफ बढ़ोतरी पर फैसला उनकी पार्टी के सत्ता में आने से पहले ही केईआरसी की ओर से ले लिया गया था.
एफकेसीसीआई के सदस्यों ने की ये अपील
मुख्यमंत्री ने कहा प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वित्त और उर्जा विभाग, कर्नाटक स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और एफकेसीसीआई के साथ अलग-अलग बैठकें करने के बाद उचित फैसला लिया जाएगा. एफकेसीसीआई के सदस्यों ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से अपील की है कि छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी को नौ फीसदी से घटाकर तीन प्रतिशत कर दिया जाए.
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