ठीक 14 महीने में गिर गई कुमारस्वामी की सरकार, येदियुरप्पा का CM बनना तय, 10 प्वाइंट्स में पढ़ें पूरा सियासी घटनाक्रम
जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी पिछले साल 23 मई को कर्नाटक की सत्ता पर काबिज हुए थे. इसके ठीक 14 महीने बाद कुमारस्वामी विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल रहे. अब एक बार फिर येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनाने जा रही है.
बेंगलुरू: कर्नाटक में 15 दिनों से जारी सियासी ड्रामे का अंत 14 महीने पुरानी सरकार के जाने के साथ हुआ. मंगलवार को कुमारस्वामी विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने में विफल रहे. विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने एलान किया कि 99 विधायकों ने विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया है जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मत दिया है. इसी के साथ सूबे में बीजेपी की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है. सियासी हलचल को देखते हुए राजधानी बेंगलुरू में धारा 144 लागू कर दी गई है.
10 प्वाइंट्स में पढ़ें पूरा राजनीतिक घटनाक्रम-
1. 99 पर आउट: आज चौथे दिन विश्वासमत प्रस्ताव पर चर्चा के लिए विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई. कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस-जेडीएस के साथ-साथ बीजेपी ने हंगामा किया लेकिन चर्चा जारी रही. शाम होते-होते विधानसभा अध्यक्ष ने विश्वासमत परीक्षण की प्रक्रिया शुरू की. बीजेपी के कुल 105 विधायकों ने विश्वासमत के खिलाफ वोट किया. वहीं कांग्रेस-जेडीएस की सरकार के पक्ष में 99 वोट पड़े.
2. 16 अपने विधायकों ने संकट में डाला: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 37 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने कांग्रेस के 79, बीएसपी के एक और दो निर्दलीय विधायकों की मदद से गठबंधन की सरकार बनाई थी. लेकिन जेडीएस के तीन, कांग्रेस के 13 विधायकों के बागी होने के बाद से सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे. यही नहीं दो निर्दलीय विधायकों ने भी अपना समर्थन वापस ले लिया था. यानि कुल 18 विधायक बागी हुए थे. आज जब वोटिंग हुई तो बीएसपी के एक विधायक भी अनुपस्थित रहे. कुमारस्वामी के समर्थन में वोट नहीं करने की वजह से मायावती ने विधायक को निष्कासित कर दिया है.
3. जादुई आंकड़ा: आज विधानसभा कार्यवाही में 21 विधायकों ने हिस्सा नहीं लिया जिससे सदन की प्रभावी क्षमता घटकर 204 रह गयी. कार्यवाही में कांग्रेस-जेडीएस (17), बीएसपी, निर्दलीय (दो) के विधायक नहीं आए. इस तरह 103 का जादुई आंकड़ा नहीं जुट पाया. कुमारस्वामी के समर्थन में 99 वोट पड़े.
4. कुमारस्वामी का बयान: विधानसभा में बहुमत परीक्षण से पहले कुमारस्वामी ने कहा कि मैं खुशी से इस पद का बलिदान करने को तैयार हूं. उन्होंने कहा कि ‘‘यह भी चर्चा चल रही है कि मैंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया और कुर्सी पर क्यों बना हुआ हूं.’’ उन्होंने कहा कि जब विधानसभा चुनाव का परिणाम (2018 में) आया था, वह राजनीति छोड़ने की सोच रहे थे. कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘मैं राजनीति में अचानक और अप्रत्याशित तौर पर आया था.’’
5. कुमारस्वामी का इस्तीफा: विश्वास मत हासिल करने में असफल रहने के ठीक बाद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी राजभवन पहुंचे और उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपा. राज्यपाल ने नई व्यवस्था तक कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए कहा है. यानि जब तक नई सरकार नहीं बन जाती है तब तक कुमारस्वामी सीएम पद पर बने रहेंगे.
6. येदियुरप्पा बनेंगे CM: कुमारस्वामी की सदन में हार के बाद बीजेपी के विधायकों ने विक्ट्री साइन दिखाए. पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा का फिर से मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है. बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड मुख्यमंत्री के रूप में येदियुरप्पा को नामित करेगा. इस सिलसिले में दिल्ली में जेपी नड्डा और अमित शाह की मुलाकात हुई. येदियुरप्पा कल राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात करेंगे. येदियुरप्पा ने कहा कि पहले प्रधानमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात करूंगा, उसके बाद ही राज्यपाल से मिलने जाऊंगा.
7. बीजेपी का बयान कर्नाटक बीजेपी ने कहा, ''ये कर्नाटक के लोगों की जीत है. ये एक भ्रष्ट और अपवित्र गठबंधन के युग का अंत है. हम कर्नाटक के लोगों के लिए स्थिर और सशक्त शासन का वादा करते हैं. साथ मिलकर हम कर्नाटक को दोबारा समृद्ध बनाएंगे.'' केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा, ''आख़िरकार सच सामने आ गया. अब कर्नाटक में बीजेपी की लोकप्रिय सरकार होगी. सत्ता के भूखे #कांग्रेस और #जेडीएस ने हर वो अलोकतांत्रिक तरीक़ा अपनाया जिससे वो सत्ता में बने रहें. आज कर्नाटक में असत्य पर सत्य की जीत हुई है. यह कर्नाटक की जनता की जीत है.''
8. कांग्रेस करेगी प्रदर्शन: कर्नाटक विधानसभा में एचडी कुमारस्वामी नीत सरकार का विश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि बीजेपी ने 'अनैतिक ढंग' से भले ही संख्या के मामले में बढ़त हासिल कर ली, लेकिन उसे और सहयोगी जेडीएस को नैतिक जीत मिली है. पार्टी के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि कांग्रेस बीजेपी की इस 'राजनीतिक खरीद-फरोख्त' के खिलाफ अब देशभर में प्रदर्शन करेगी.
9. 14 महीने में गिरी सरकार: पिछले साल 23 मई को कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री की गद्दी संभाली थी. ठीक 14 महीने बाद वह विश्वास मत हासिल करने में विफल रहे. विधायकों की खरीद-फरोख्त के डर से बीजेपी, कांग्रेस, जेडीएस ने अपने विधायकों को होटलों में रखा. बागी विधायक मुंबई के होटल में अब भी ठहरे हैं. इन्हें मनाने के लिए कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार मुंबई भी गए लेकिन पुलिस ने होटल के अंदर जाने से रोक दिया. अब बागी विधायकों के खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है. यानि बागी विधायकों की सदस्यता जा सकती है.
10. सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा मामला: कर्नाटक में राजनीतिक संकट का मसला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. लेकिन कांग्रेस-जेडीएस को कोई खास राहत नहीं मिली. 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में व्यवस्था दी कि 15 बागी विधायकों को वर्तमान विधानसभा सत्र की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और शीर्ष अदालत से कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को आदेश दें कि वह विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करें.