Congress Meeting: कांग्रेस आलाकमान ने पिछले कुछ समय से कर्नाटक में पार्टी के भीतर जारी असंतोष समाप्त करने के लिए दो अगस्त को नई दिल्ली में राज्य के पार्टी नेताओं की दो बैठकें बुलाई है. पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने यह जानकारी दी. 


कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पहली बैठक पार्टी आलाकमान और कर्नाटक के शीर्ष पार्टी नेताओं के बीच होगी. कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने बताया, ‘‘उस बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार, कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच. के. पाटिल, पार्टी महासचिव के. सी. वेणुगोपाल और रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित कुछ अन्य शीर्ष पदाधिकारी शामिल होंगे. 


दूसरी मीटिंग में क्या होगा?
पदाधिकारी ने बताया कि दूसरी बैठक कांग्रेस के मंत्रियों के साथ होगी, जिसमें पार्टी के कुछ वरिष्ठ विधायक भी हिस्सा ले सकते हैं. पार्टी विधायकों की शिकायतों को दूर करने के लिए गुरुवार (29 जुलाई) को कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बेनतीजा रहने के मद्देनजर ये बैठकें बुलाई गई हैं. 


कांग्रेस विधायक क्यों नाराज है?
कांग्रेस विधायक कथित तौर पर इस बात से नाराज हैं कि उनके निर्वाचन क्षेत्रों में कोई विकास कार्य नहीं हो रहे हैं. मीटिंग के दौरान उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मंत्री उन्हें समय नहीं दे रहे हैं और उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर रहे हैं. 


कांग्रेस के एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘‘इन विधायकों ने हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था, जिससे पार्टी नेताओं ने सही नहीं माना था. यहां तक कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सीएलपी बैठक के दौरान उन्हें चेतावनी दी थी कि वे ऐसी रणनीति का सहारा न लें, क्योंकि इससे सरकार की बदनामी होती है. ’’


कांग्रेस ने क्या कहा?
राज्य के गृह मंत्री डॉ. परमेश्वर ने इस बात से इनकार किया कि सीएलपी बैठक के दौरान कोई असहमति थी.  परमेश्वर ने कहा, ‘‘कुछ विधायकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें विधायक दल के सदस्यों की एक बैठक बुलानी चाहिए. इसका कारण यह था कि पिछली सीएलपी बैठक आधे समय में ही समाप्त हो गई थी, क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंत्रियों और विधायकों से मिलना चाहते थे. ’’


उन्होंने यह भी कहा कि सिद्धरमैया ने विधायकों से कहा कि पत्र लिखना उचित नहीं है.  परमेश्वर ने बताया, ‘‘मुख्यमंत्री ने विधायकों से कहा कि यदि आपने मुझे मौखिक रूप से बताया होता तो मैं बैठक बुला लेता। उन्होंने उनसे अनुरोध किया कि भविष्य में पत्र लिखने की परंपरा जारी नहीं रखी जानी चाहिए. ’’


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