कर्नाटक: सीट बंटवारे में JDS के साथ 'तीसरे दर्जे के नागरिक' जैसा व्यवहार न करे कांग्रेस- कुमारस्वामी
गठबंधन सहयोगियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर होने वाली बातचीत से पहले कांग्रेस में अंदरुनी दबाव है कि वह जेडीएस के सामने ज्यादा ना झुके वहीं, कुमारस्वामी का कहना है कि दोनों पक्षों में किसी को भी संकीर्णता नहीं दिखानी चाहिए.
बेंगलुरू: कर्नाटक में सत्तारूढ़ गठबंधन सहयोगियों कांग्रेस और जेडीएस के बीच लोकसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे पर बातचीत से पहले मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी के साथ 'तीसरे दर्जे के नागरिकों' जैसा व्यवहार ना किया जाए. कुमारस्वामी ने कहा बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए दोनों साझेदारों को 'लेन-देन की नीति' अपनानी होगी. गठबंधन सहयोगियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर होने वाली बातचीत से पहले कांग्रेस में अंदरुनी दबाव है कि वह जेडीएस के सामने ज्यादा ना झुके वहीं, कुमारस्वामी का कहना है कि दोनों पक्षों में किसी को भी संकीर्णता नहीं दिखानी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता विरोधी लहर के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का करिश्मा घट रहा है. प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम सुझाते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि बीजेपी-विरोधी दलों में हालांकि गांधी के नाम को लेकर अभी तक सहमति नहीं है. कर्नाटक में अपनी सरकार के सात महीने पूरे होने पर जेडीएस नेता ने सरकार के भीतर मतभेद के आरोपों को नकारते हुए कहा कि वह इस कड़वाहट से आसानी से पार पा लेंगे.
सीट बंटवारे पर बातचीत असफल रहने पर क्या जेडीएस अकेले दम पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी, यह पूछने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ''हमारी समझ से हम दोनों (कांग्रेस और जेडीएस) को (लोकसभा चुनाव) साथ लड़ना चाहिए. क्योंकि (कर्नाटक में) सरकार बनाने का कारण बीजेपी को सत्ता में आने से रोकना और देश में माहौल को बेहतर बनाना था.'' उन्होंने कहा कि दक्षिण भारतीय राज्य में गठबंधन सरकार के गठन के बाद से देश के राजनीतिक परिदृश्य में बहुत बदलाव आए हैं. बीजेपी का पराभव हो रहा है, कुछ उपचुनावों और तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली है.
कुमारस्वामी ने कहा, ''मेरे विचार में अगर कांग्रेस राह भटक जाती है और अति-विश्वास के साथ आगे बढ़ती है तो क्या होगा, उन्हें पता है, अपने अतीत के अनुभवों के माध्यम से वह सब कुछ जानते हैं. मुझे नहीं लगता है कि वह इसे भूलेंगे.'' उन्होंने कहा, ''उन्हें हमारे साथ सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए. उन्हें हमारे साथ तीसरे दर्जें के नागरिक की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए. यहां नीति लेन-देन की होनी चाहिए.'' जेडीएस ने प्रदेश की 24 संसदीय सीटों में से 12 की मांग रखी है जिसपर कांग्रेस को आपत्ति है. 2014 के आम चुनावों में राज्य में बीजेपी को 17, कांग्रेस को नौ और जेडीएस को दो सीटें मिली थीं.
लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक में सीटों का बंटावारा कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के लिए अग्निपरीक्षा होगा. खास तौर से पुराने मैसूर की सीटों पर जहां वोक्कालिंग समुदाय में जेडीएस की पकड़ मजबूत है वहीं इन सीटों पर फिलहाल कांग्रेस के सांसद हैं. लोकसभा चुनाव साथ लड़ने की इच्छा दोहराते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों दलों के नेताओं के बीच बातचीत होने और इस महीने के अंत तक अंतिम फैसला होने की संभावना है.
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कुमारस्वामी ने कहा, ''हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष (एच. डी. देवे गौड़ा) को लगता है कि सरकार बनने के बाद हर बात में दो-तिहाई (कांग्रेस) और एक-तिहाई (जेडीएस) का फॉर्मूला अपनाया जा रहा है जैसा कि मंत्रालयों और बोर्ड कॉरपोरेशन की नियुक्तियों में हुआ है.'' उन्होंने कहा, ''28 सीटें हैं, उन्हें दो तिहाई लेनी चाहिए और हमें एक-तिहाई देना चाहिए, मेरा यही विचार है और मुझे लगता है कि वह इसे स्वीकार करेंगे.''
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