बेंगलुरू: कर्नाटक की राजनीति में बीते दो हफ्ते से जारी उठापटक के बीच आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तस्वीर साफ होती दिख रही है. देश की सबसे बड़ी कोर्ट ने साफ किया है कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला विधानसभा के स्पीकर लेंगे. इसी के साथ कोर्ट ने बागी नेताओं को पार्टी व्हिप के मानने की बाध्यता से छूट दे दी है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का मतलब क्या है?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सीधा मतलब ये हुआ कि कांग्रेस और जेडीएस के बागी 15 विधायक के इस्तीफों पर जब तक स्पीकर फैसला नहीं लेते हैं, तब तक विधानसभा की कार्यवाही में उनका हाजिर रहना जरूरी नहीं है. ऐसी स्थिति में अगर स्पीकर विश्वासमत के दिन यानि 18 जुलाई तक फैसला नहीं लेते हैं तो कांग्रेस और जेडीएस के विधायक पार्टी व्हिप के बावजूद विधानसभा से गैर हाजिर रह सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो मौजूदा राजनीतिक समीकरण के मुताबिक कुमारस्वामी की सरकार का जाना तय माना जा रहा है.
क्या हैं समीकरण?
कर्नाटक विधानसभा में निर्वाचित विधायकों की संख्या 224 है. अगर विश्वासमत के दौरान कांग्रेस और जेडीएस के बागी 15 विधायक गैर मौजूद रहते हैं तो विधानसभा की ताकत 209 पर पहुंच जाएगी. इस हिसाब से बहुमत का जादुई आंकड़ा 105 पर पहुंच जाता है.
बीजेपी के पास इस वक्त 105 विधायक
बीजेपी के पास इस वक्त 105 विधायक हैं. एक निर्दलीय का उन्हें समर्थन है केपीजेपी के एक विधायक ने समर्थन का एलान किया है. इस तरह बीजेपी के पास विधायकों की संख्या 107 पहुंच जाती है. इसका सीधा मतलब है कि कुमारास्वामी की सरकार विश्वासमत में हार जाएगी. अगर ऐसा हुआ तो चंद दिनों में कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनती दिखेगी.
15 विधायक गैरहाजिर रहने पर सदन का जोड़ गुणा भाग
कुल विधायक – 224
गैरहाजिर विधायक – 15
अब कुल विधायक – 209
बहुमत के लिए – 105
बीजेपी – 105
निर्दलीय बीजेपी के साथ – 1
केपीजेपी का विधायक बीजेपी के साथ - 1
बीजेपी+ 107
कुमारस्वामी सरकार के साथ
कांग्रेस– 66 (स्पीकर के साथ)
जेडीएस– 34
बीएसपी– 1
कुल– 101
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