Karnataka News: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने अपने खिलाफ मुकदमा चलाने की सीबीआई को दी गई मंजूरी के खिलाफ सोमवार (12 जून) को खंडपीठ अपील दायर की. राज्य सरकार की ओर से सीबीआई को दी गयी मंजूरी के खिलाफ दायर याचिका कर्नाटक हाई कोर्ट की एकल पीठ में खारिज हो गई थी.
कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और जज एमजीएस कमल की खंडपीठ ने शिवकुमार की अपील पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार और सीबीआई को अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी करने का आदेश दिया और सुनवाई स्थगित कर दी.
सीबीआई ने 2020 में दर्ज की थी एफआईआर
शिवकुमार के वकील ने दलील दी कि मंजूरी घृणा के मकसद से दी गई थी और इसलिए इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए. केंद्रीय एजेंसी के एक अनुरोध के बाद राज्य सरकार ने 25 सितंबर, 2019 को मुकदमे की मंजूरी दी थी. जिसके बाद सीबीआई ने तीन अक्टूबर, 2020 को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.
शिवकुमार ने हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष मुकदमे की मंजूरी को चुनौती दी थी. जस्टिस के. नटराजन ने 20 अप्रैल, 2023 को याचिका खारिज कर दी थी, जिसे खंडपीठ में चुनौती दी गयी है. आयकर विभाग ने 2017 में शिवकुमार के कार्यालयों और आवास पर तलाशी और जब्ती अभियान चलाया था.
शिवकुमार पर लगे ये आरोप
आयकर विभाग के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिवकुमार के खिलाफ अपनी जांच शुरू की थी. ईडी की जांच के आधार पर सीबीआई ने राज्य सरकार से उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मंजूरी मांगी थी. सीबीआई ने एकल न्यायाधीश के सामने दायर याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि आरोपी यह मांग नहीं कर सकता कि उसके खिलाफ कौन सी एजेंसी जांच करे.
यह तर्क दिया गया था कि चूंकि सीबीआई एक विशेष अधिनियम के तहत अधिनियमित की गई थी, इसलिए अभियोजन की मंजूरी देने के कारणों का उल्लेख करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. शिवकुमार पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2) और धारा 13(1)(ई) के तहत आरोप लगाये गए हैं.
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