Karnataka News: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने बेंगलुरु के एक ठेकेदार की संपत्ति की तलाशी के दौरान बरामद की गई धनराशि को कर्नाटक की कांग्रेस सरकार और उसके नेताओं से जोड़ने को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा. उन्होंने सवाल किया कि जनता दल (सेक्युलर) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता इस मामले में आईटी विभाग विभाग के प्रतिनिधियों की तरह व्यवहार क्यों कर रहे हैं? 


बीजेपी और जेडीएस के नेताओं पर साधा निशाना


उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा, "आयकर विभाग ने अब तक तलाशी और वहां से बरामद की गई सामग्री के संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. वे (बीजेपी और जेडीएस नेता) जो चाहे बोल रहे हैं. इस छापेमारी पर आयकर विभाग को आधिकारिक बयान देने दीजिए, उसके बाद बोलेंगे. जेडीएस नेता कुमारस्वामी या बीजेपी नेता आयकर विभाग के प्रतिनिधि नहीं हैं, लेकिन वे ऐसे बात कर रहे हैं जैसे वे विभाग के प्रतिनिधि हों.’’ 


आईटी ने बरामद की नकदी


यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें राज्य में आयकर विभाग के और छापे की उम्मीद है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी कुछ नहीं कहूंगा, आयकर विभाग के पास जो जानकारी है, उसे जारी करने दीजिए और बाद में इस पर बात करते हैं.’’


आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, आईटी अधिकारियों ने कुछ ठेकेदारों की संपत्ति की तलाशी ली है और कथित तौर पर शहर के एक ठेकेदार की संपत्ति में कई बक्सों में छिपाकर रखी गई भारी मात्रा में नकदी बरामद की है.


बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना


कई बीजेपी नेताओं और जेडीएस के कुमारस्वामी ने इसे लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया है कि आयकर अधिकारियों की ओर से बरामद किया गया धन वास्तव में ठेकेदारों से उनके लंबित बिल को मंजूरी देने के बदले में कमीशन के रूप में जमा किया गया था, ताकि पांच राज्यों में आगामी चुनावों में वो खर्च किया जा सके.


बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आर अशोक ने शनिवार (14 अक्टूबर) को कहा, "बीजेपी तलाशी के दौरान बरामद धन की सच्चाई जानने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच की मांग करती है. एक ठेकेदार जिसकी पत्नी पहले कांग्रेस पार्षद थी, उसके घर से 42 करोड़ रुपये से अधिक नकदी बरामद की गई है. यह दर्शाता है कि यह सरकार कैसे काम कर रही है. इस बात पर संदेह है कि ठेकेदार को इतना पैसा कैसे मिला, जबकि उन्हें पिछले कुछ वर्षों से कोई ठेका नहीं मिला था और न ही कभी उन्हें बड़े ठेके मिले थे."


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