Karnataka News: अंडे और मीट के सेवन हो सकते हैं लाइफस्टाइल डिसऑर्डर, कर्नाटक शिक्षा नीति पैनल ने कही ये बात
Karnataka News: कर्नाटक शिक्षा नीति पैनल ने कहा कि अंडे और मीट के सेवन से छात्रों में लाइफस्टाइल डिसऑर्डर हो सकते हैं.
Karnataka News: मिड-डे मील में अंडे (Egg) और मांस (Meat) के सेवन से छात्रों में लाइफस्टाइल डिसऑर्डर (Lifestyle Disorders) हो सकते हैं. कर्नाटक शिक्षा नीति पैनल द्वारा पेश किए गए एक स्थिति पत्र में अंडे और मीट को मिड-डे मील (Mid-day Meal) से हटाने का सुझाव दिया गया है. इस प्रस्ताव पत्र में मन और भावनाओं की भलाई के लिए सात्विक भोजन खाने की भी सिफारिश की गई है. ये पोजिशन पेपर उस प्रक्रिया का हिस्सा है जिसके तहत राज्यों को केंद्र को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy) के बारे में सुझाव देने के लिए कहा गया है.
नीति के हिस्से के रूप में उन्हें लागू करने से पहले केंद्र सरकार और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद कागजात की समीक्षा करेंगे. कर्नाटक सरकार ने स्कूल पाठ्यक्रम पर स्थिति (पोजिशन) पत्र तैयार करने के लिए 26 समितियों का गठन किया है. प्रत्येक स्थिति पत्र का नेतृत्व एक अध्यक्ष और पांच से छह शिक्षाविद कर रहे हैं.
क्या कहा गया प्रस्ताव पत्र में?
कर्नाटक सरकार को "स्वास्थ्य और भलाई" पर दिए गए प्रस्ताव पत्र में सुझाव दिया गया कि भारतीयों के छोटे शरीर के फ्रेम को देखते हुए, अंडे और मांस के नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल के माध्यम से प्रदान की जाने वाली कोई भी अतिरिक्त ऊर्जा जीवन शैली विकारों (लाइफस्टाइल डिसऑर्डर ) की ओर ले जाती है. प्रस्ताव पत्र की समिति की अध्यक्षता नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज में बाल और किशोर मनश्चिकित्सा विभाग के प्रमुख के जॉन विजय सागर ने की है.
अंडे, बिस्किट को बच्चों को ना देने का दिया सुझाव
प्रस्ताव पत्र में दावा किया गया है कि भारत में मधुमेह, प्रारंभिक मासिक धर्म और प्राथमिक बांझपन जैसे विकार और बीमारियां, पशु-आधारित खाद्य पदार्थों के कारण बढ़ रही हैं. इसमें कहा गया है कि "मोटापे और हार्मोनल असंतुलन" को रोकने के लिए बच्चों के आहार में अंडे, फ्लेवर्ड मिल्क और बिस्किट से बचा जाना चाहिए. पेपर में कहा गया कि सभी बच्चों के साथ समान व्यवहार करना और 'पंक्ति बेधा' (खाद्य भेदभाव) के बिना, प्रामाणिक भारतीय दर्शन या धर्म है.
दादी के तरीके से तैयार किए गए खाने को बताया अच्छा
पेपर में कहा गया कि जीवन के चार लक्ष्यों - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्राप्त करने के लिए स्वस्थ रहना चाहिए. धार्मिकता, समृद्धि, सुख और मुक्ति, ये चार गुण हैं जिन्हें हिंदू धर्मग्रंथों में पुरुषार्थ या मानव जाति के लक्ष्य के रूप में माना जाता है. इस पेपर में कौन सा खाना अच्छा या बुरा है इसको चिह्नित करती एक तालिका भी शामिल थी. उदाहरण के लिए चीनी, नमक और मांस (Meat) की एक उच्च मात्रा को खराब बताया गया है, जबकि भोजन जो दादी के तरीके से तैयार किया गया है, उसे अच्छा बताया गया है.
ये भी पढ़ें-
Sawan Diet: सावन में भूलकर भी न खाएं कढ़ी! हो सकता है यह बड़ा नुकसान