कर्नाटक के नये किंग बने येदुरप्पा, इस ट्रिक से बहुमत जुटा लेगी बीजेपी
बीजेपी को 104 सीटें मिली हैं लेकिन बहुमत के लिए 112 सीटें चाहिए. राज्यपाल ने न्योता देते वक़्त येदुरप्पा को कहा कि वे 15 दिनों के भीतर बहुमत हासिल करें.
नई दिल्ली: कर्नाटक में बीजेपी के बीएस येदुरप्पा तीसरी बार सीएम बन गए. कर्नाटक में सरकार बनाने को लेकर मिडनाइट ड्रामे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुबह 5.30 बजे येदुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इसके बाद बीएस येदुरप्पा ने पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक आज सुबह 9 बजे सीएम पद की शपथ ली. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि शुक्रवार सुबह 10.30 बजे मामले को फिर से सुना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी से उन विधायकों की लिस्ट भी सौंपने को कहा है जो उसे समर्थन दे रहे हैं.
अब येदुरप्पा मुख्यमंत्री तो बन गए हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर वे बहुमत के लिए आंकड़े कहां से लाएंगे. बीजेपी को 104 सीटें मिली हैं लेकिन बहुमत के लिए 112 सीटें चाहिए. राज्यपाल ने न्योता देते वक़्त येदुरप्पा को कहा कि वे 15 दिनों के भीतर बहुमत हासिल करें.
विधानसभा में बहुमत हासिल करने के लिए बीजेपी के सामने दो विकल्प है. एक कि वह बाकी दोनों पार्टियों से विधायक तोड़े और दूसरा कि विपक्षी पार्टियों के विधायकों को विश्वास प्रस्ताव के वक़्त गैर हाजिर करा दे जिससे कि बहुमत का आंकड़ा घट जाए और बीजेपी मौजूदा संख्या के आधार पर विश्वास प्रस्ताव जीत ले.
बीजेपी के पास 104 विधायक हैं. एक निर्दलीय ने भी बीजेपी को समर्थन दिया है यानी विधायक हो गए 105 अगर दूसरा निर्दलीय भी समर्थन दे देता है तो आंकड़ा हो जाएगा 106 बहुजन समाज पार्टी के एकमात्र विधायक को भी अगर बीजेपी तोड़ लेती है तो बीजेपी के खेमे में 107 हो जाएंगे. अभी 2 सीटों पर चुनाव होना बाकी है. मान लीजिए अगर उनमे से एक सीट भी बीजेपी जीत लेती है तो आंकड़ा 108 हो जाता है. अब इस 108 के आंकड़े को पाकर भी बीजेपी को बहुमत के लिए 4 सीटें कम पड़ती हैं.
इसका तोड़ ये है कि बहुमत के आंकड़े यानी मैजिक फिगर को ही छोटा कर दिया जाए. अगर बीजेपी, कांग्रेस के 7 विधायकों जो कथित तौर पर जेडीएस से गठबंधन की वजह से नाराज़ हैं, उन्हें विश्वास मत के दौरान गैरहाज़िर रहने के लिए मना लेती है तो बहुमत का आंकड़ा 108 पर आ जायेगा और बीजेपी विश्वास मत जीत जाएगी.
बीजेपी ने इस रणनीति पर काम करना भी शुरू कर दिया है. कांग्रेस के 4 ऐसे विधायक हैं जो कि न तो बुधवार को विधायक दल की बैठक में आये, न बाकी विधायकों के साथ रिसोर्ट में गए और न ही आज विधान सभा के बाहर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. कयास लगाए जा रहे हैं कि ये विधायक बीजेपी से संपर्क में हैं और इसी वजह से येदुरप्पा आत्मविश्वास के साथ कह रहे हैं कि वे 5 साल का कार्यकाल पूरा करेंगे.
उधर कांग्रेस ने येदुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाये जाने के राज्यपाल के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में तो चुनौती दी ही है अदालत के बाहर भी आंदोलन छेड़ दिया है. कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के विधायकों ने कर्नाटक विधान सभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
इस बीच जब कर्नाटक के राजनीतिक तस्वीर में एक एक विधायक मोल रखता है मायावती ने ये कह कर सनसनी फैला दी कि उनका राज्य में चुना गया एकमात्र विधायक एन. महेश किसी के साथ नहीं जाएगा. लेकिन महेश ने बताया कि वो कांग्रेस जनता दल गठबंधन के साथ है.
गवर्नर ने तो येदुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों का समय दिया है. सियासत के घाघ यही मानते हैं कि इन 15 दिनों में बीजेपी सरकार बचाने के लिए साम दाम दंड भेद सबकुछ इस्तेमाल कर सकती है. बस उन्हें चिंता इसी बात की है कि शुक्रवार की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट कहीं ये मियाद 15 दिनों से घटा न दे.
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