कर्नाटक में चुनाव नतीजों से पहले जो रुझान सामने आए हैं उनमें कांग्रेस बहुमत के आंकड़े को पार कर चुकी है. 3 बजे के रुझानों के आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस 137 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर जीत की ओर बढ़ रही है. वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी 63 के आंकड़े पर सिमट गई है. अगले कुछ घंटों में नतीजे सामने आ जाएंगे, ऐसे में ये साफ है कि कांग्रेस कर्नाटक में सरकार बना लेगी. वहीं वहीं जेडीएस लगभग 20 से सीटों पर आगे है. इस राज्य में 10 मई को चुनाव हुए थे.


चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक में इस बार 73.19 फीसदी मतदान हुआ जो कि राज्य के लिए एक रिकॉर्ड है.


सीटें हुई कम लेकिन वोट प्रतिशत पर नहीं पड़ा असर


कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटें हैं जिसमें से किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 113 सीटों का जादुई आंकड़ा चाहिए. साल 2018 के विधानसभा के नतीजों को देखें तो उस वक्त बीजेपी ने 104 सीटें अपने नाम की थी और राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. वहीं कांग्रेस को 80 सीटें और जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं.


साल 2018 में वोट प्रतिशत


साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम में कांग्रेस 38.04 वोट प्रतिशत के साथ बीजेपी (36.22% वोट प्रतिशत) से आगे थी. वहीं जेडीएस का वोट प्रतिशत 17.7 फीसदी था.


साल 2023 में वोट प्रतिशत


साल 2023 के नतीजे में बीजेपी को 36% वोट प्रतिशत ही मिलते दिख रहे हैं. वहीं कांग्रेस के वोट प्रतिशत में बड़ा इजाफा हुआ है. अभी तक तक जो रुझान सामने आए हैं उससे कांग्रेस को करीब 43 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं और जेडीएस का वोट प्रतिशत 13 फीसदी है. 


जिसका मतलब साफ है कि इस बार भले ही बीजेपी सीटों के मामले में कांग्रेस काफी पीछे है लेकिन वोट प्रतिशत के मामले में पार्टी पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है. वहीं जेडीएस का वोट इस बार कांग्रेस की ओर शिफ्ट होता दिखाई दे रहा है और यही वजह कि पार्टी बंपर जीत की ओर चली गई.


राज्य में कुल कितने मतदाता हैं?


चुनाव आयोग के अनुसार कर्नाटक में कुल 5.21 करोड़ मतदाता हैं, इन वोटर्स में महिलाओं और पुरुषों के बीच बहुत कम अंतर है. कर्नाटक में कुल पुरुष मतदाताओं की संख्या 2.62 करोड़ है, जबकि महिला मतदाता लगभग 2.59 करोड़ है.


साल 2023 विधानसभा चुनाव में  9.17 लाख ऐसे वोटर्स थे जिन्होंने पहली बार वोट डाला था. इसके अलावा 41,000 ऐसे वोटर्स  हैं, जो 1 अप्रैल, 2023 को 18 साल के हो जाने वाले थे और उन्हें विधानसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार मिल जाता.


बता दें कि कर्नाटक के 224 विधानसभा सीटों में से 36 सीटें अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं,15 सीटों अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं.


कितने हैं बुजुर्ग मतदाता?


राज्य चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक कर्नाटक में 80 साल से ज़्यादा उम्र वाले बुजुर्गों की संख्या 12.15 लाख है. जबकि 16,976 वोटर्स हैं जिनकी उम्र 100 साल से ज्यादा है.


राज्य में 5.55 लाख मतदाता विकलांग हैं, यह संख्या पिछली बार यानी साल 2018 के विधानसभा चुनाव की तुलना में लगभग 150 प्रतिशत ज्यादा है.


2008 में पहली बार हुई थी राज्य में बीजेपी की एंट्री


बीजेपी के लिए साल 2008 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव ऐतिहासिक रहा. यह पहली बार था, जब भारतीय जनता पार्टी दक्षिण भारत के किसी राज्य में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो पाई थी. 224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी को साल 2008 के चुनाव में 110 सीटें मिली थीं.


साल 2008 में बीजेपी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. तब कर्नाटक में बीजेपी की कमान बीएस येदियुरप्पा के पास थी और वह मुख्यमंत्री बने थे.


कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी ने साल 2008 और 2019 में दो बार अपनी सरकार बनाई, हालांकि दोनों की चुनाल में पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था.


साल 2008 में भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज़्यादा यानी 110 सीटें मिली थीं. इसके बाद साल 2018 में 105 सीटें मिली थी. उस वक्त कांग्रेस को 78 और जनता दल सेक्युलर को 37 सीटें मिली थीं.


2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को उस वक्त झटका लगा जब बीएस येदियुरप्पा ने पार्टी छोड़ अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने का फैसला लिया. उस साल हुए चुनाव में बीजेपी 40 सीटों पर सिमट कर रह गई थी.