कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही कांग्रेस और बीजेपी के बीच की राजनीतिक जंग तेज हो चुकी है. इसी बीच कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों से ये कह दिया है कि कोई भी नेता विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या हिंदुत्व की आलोचना न करे. इसके बजाय वो अपना ध्यान केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकारों की विफलताओं, 40 फीसदी भ्रष्टाचार के आरोप और महंगाई को टारगेट करने में लगाए.
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के कार्यकारी अध्यक्ष रामलिंगा रेड्डी ने मीडिया को बताया कि कांग्रेस ने ये अनौपचारिक निर्देश सभी 124 उम्मीदवारों को दिया है. इन उम्मीदवारों के नाम की घोषणा पहली लिस्ट में हुई है. कर्नाटक में 10 मई को वोटिंग होगी. 13 मई को वोटों की काउंटिंग होगी.
रामलिंगा रेड्डी ने मीडिया को ये बताया कि हमारा चुनावी मुद्दा राज्य और केंद्र की बीजेपी सरकार की विफलता, 40 फीसदी कमीशन शुल्क और महंगाई और बेरोजगारी होगी. हमने पीएम मोदी पर किसी तरह का बयान देने से बचने के लिए अभी तक कोई रणनीति नहीं बनाई है, लेकिन ये तय है कि पीएम मोदी पर कोई भी बयान नहीं दिया जाएगा.
किसी भी पार्टी की जीत या हार की और भी कई वजहें होती हैं, लेकिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस एक तरह से भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चला रही है. कांग्रेस पूरी तरह से बीजेपी पर जुबानी हमला करने से बचना चाह रही है. कांग्रेस को ये डर है कि कहीं बीजेपी पर फेंका गया उनका ये पासा उल्टा उन्हीं पर भारी न पड़ जाए.
पार्टी नेतृत्व चाहती है कि कोई भी उम्मीदवार पीएम मोदी के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी करने या हिंदुत्व-धर्मनिरपेक्षता को बहस में घसीटे जाने से बचे. कांग्रेस का ये मानना है कि अगर वो पीएम मोदी के खिलाफ कुछ भी बोलते हैं तो इसका सीधा फायदा बीजेपी उठाएगी. इससे बीजेपी पूरा चुनावी एजेंडा बदल कर रख देगी.
रामलिंगा रेड्डी के मुताबिक कांग्रेस बीजेपी को इसकी जगह नहीं देगी. कांग्रेस राज्य में पिछले 1 साल से धर्म के मामले में सावधानी बरत रही है. हालांकि हिजाब और हलाल मामले पर कांग्रेस ने शुरुआत में अक्रामक रवैया इख्तियार किया था, लेकिन उरीगौड़ा-नंजेगौड़ा मुद्दे के बाद कांग्रेस ने संवेदनशील मुद्दों पर नरमी बरतनी शुरू कर दी.
हाल ही में कर्नाटक से 4 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण खत्म किया गया. कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर इसका विरोध भी नहीं किया. हालांकि इसकी पूरी उम्मीद थी. अब कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों से पार्टी के चार बड़े चुनावी वादों पर फोकस करने को कहा है.
पार्टी को ये लग रहा है कि ये चाल चुनाव में कांग्रेस को फायदा पहुंचाएगी. पार्टी ने 200 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को 2,000 रुपये प्रति माह, गैर-रोजगार स्नातकों को 3,000 रुपये प्रति माह और बीपीएल परिवारों के प्रति व्यक्ति 10 किलो चावल की घोषणा की है.
कांग्रेस नेताओं की चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट करने को लेकर दिए बयान की एक लंबी फेहरिश्त है. ये भी साबित हो चुका है कि कांग्रेस नेताओं के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर दिए विवादित बयानों का सीधा फायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को हुआ है.
ऐसे मौके जब पीएम मोदी पर सीधा हमला करने से हुआ कांग्रेस को बड़ा नुकसान
इसी साल फरवरी में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिता को लेकर विवादित बयान दिया. मामला गरम हो गया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, लेकिन बीजेपी इस मुद्दे को सियासी शक्ल देने में लग गई थी.
पवन खेड़ा का बयान ऐसे समय में आया था जब देश में पूर्वोत्तर के राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले थे. उस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने चुनावी मंच से कांग्रेस को इसका नतीजा भुगतने की चेतावनी भी दे डाली थी.
2024 में कांग्रेस पार्टी दूरबीन लेकर भी ढूंढने से नहीं मिलेगी- अमित शाह
केंद्रीय गृहमंत्री मंत्री अमित शाह ने एक बयान में ये कहा था कि कांग्रेस ने 2019 में भी मोदी के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था, नतीजा आपने देखा कि कांग्रेस का विपक्ष का दर्जा भी नहीं मिला. जिस तरह की भाषा आज इस्तेमाल हुई है और जैसी प्रतिक्रिया आ रही, आप 2024 के नतीजे देखिएगा, कांग्रेस पार्टी दूरबीन लेकर भी ढूंढने से नहीं मिलेगी.
गुजरात चुनाव में मोदी का अपमान पड़ा था भारी- पीएम मोदी पर दिए गए कांग्रेस के बयान को भुनाने में बीजेपी को महारत हासिल है. पिछले साल गुजरात चुनाव में भी बीजेपी ने कांग्रेस नेताओं द्वारा मोदी पर दिए गए आपत्तिजनक बयानों को चुनावी मुद्दा बना दिया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लगभग हर मंच से कांग्रेस नेताओं के ‘मौत का सौदागर’, ‘नीच आदमी’ और ‘नाली का कीड़ा’ जैसे बयानों को मुद्दा बनाया था. गुजरात में बीजेपी की बड़ी जीत हुई. ये जीत इस बात का साफ इशारा है कि मोदी के अपमान का हमेशा से बीजेपी को फायदा होता है.
मौत का सौदागर- इस फेहरिश्त में सबसे पहला नाम सोनिया गांधी का आता है. साल 2007 में कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहते हुए सोनिया गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को 'मौत का सौदागर' कहा था.
सोनिया गांधी के इस बयान को नरेंद्र मोदी ने गुजरात की अस्मिता के साथ जोड़ कर पूरे चुनाव के रूख को ही मोड़ दिया था. चुनावी नतीजों में बीजेपी की बड़ी जीत हुई .
गंदी नाली का कीड़ा- साल 2009 में कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने नरेंद्र मोदी को गंदी नाली का कीड़ा कहा था. बीके हरिप्रसाद ने मोदी की तुलना गंदी नाली के कीड़े से करते हुए बीजेपी को हराने की बात कही थी.
2014 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय सोनिया गांधी ने पीएम मोदी का नाम लिए बगैर ये कहा था कि आप लोग ऐसे लोगों को स्वीकार नहीं करेंगे, जो जहर की खेती करते हैं.
बंदर और मोदी रेबीज से पीड़ित- 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव के समय तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोडवाडिया ने नरेंद्र मोदी की तुलना बंदर से की थी. मोडवाडिया ने ये बयान दिया था कि नरेंद्र मोदी रेबीज से पीड़ित है.
नीच किस्म आदमी- कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच आदमी’ बताकर सीधा हमला किया था.
बीजेपी ने मणिशंकर अय्यर के इस बयान को गरीब विरोधी और पिछड़ी जाति विरोधी करार दिया था. बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया. इसके अलावा मणिशंकर अय्यर ने 2014 में मोदी को चायवाला बताकर उन पर तंज किया था.
रावण से तुलना - 2017 के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी की तुलना रावण से की . खरगे के इस बयान को पीएम मोदी ने एक बार फिर गुजरात की अस्मिता जोड़ा. बीजेपी को इसका फायदा चुनाव में मिला. खरगे से पहले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी मोदी की तुलना रावण से कर चुके है.
मोदी की भस्मासुर से तुलना- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ये कहा था कि मोदी लालकृष्ण आडवाणी को खा गए. जयराम रमेश ने मोदी की तुलना भस्मासुर से की थी.
चौकीदार चोर है- 2018 के चुनावों में राहुल गांधी पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा था कि चौकीदार ही चोर है. बीजेपी इस मुद्दे को चुनाव में उठाने के साथ कोर्ट तक ले गई थी. इस मामले में राहुल गांधी पर मानहानी का मुकदमा भी दर्ज किया गया. राहुल की सांसदी भी चली गई.
जवानों के खून की दलाली- साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी पर विवादित बयान दिया था. राहुल ने जवानों के खून की दलाली जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था. बीजेपी ने इस बयान को खूब भुनाया. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई थी.
मोस्ट स्टुपिड पीएम- कांग्रेस नेता राशिद अल्वी नेपीएम मोदी को मोस्ट स्टुपिड पीएम बताया था.
तानाशाह- कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने नोटबंदी पर विरोध प्रदर्शन के दौरान नरेंद्र मोदी तानाशाह बताया. आनंद शर्मा ने नरेंद्र मोदी को बीमार मानसिकता से पीड़ित व्यक्ति बताया था.
मोदी को औकात दिखा देंगे- 2022 गुजरात चुनाव के समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री ने प्रधानमंत्री के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा था कि इस चुनाव में उन्हें औकात दिखा देंगे. मधुसूदन घोषणा पत्र जारी करने के दौरान नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदलकर सरदार पटेल करने का एलान किया था, उन्होंने कहा था कि इस चुनाव में मोदी को औकात दिख जाएगी.
हिटलर की मौत मरेगा- 12 जून 2022 को झारखंड के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध में मंच से पीएम मोदी की तुलना हिटलर से की. उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री हिटलर के रास्ते पर चलेंगे तो वह हिटलर की मौत मरेंगे.
पीएम मोदी कायर हैं - 2019 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि इनसे बड़ा कायर और कमजोर प्रधानमंत्री मैंने जिंदगी में नहीं देखा.
पीएम मोदी को बंदर कहा- साल 2013 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की बंदर के साथ तुलना की. उन्होंने कहा कि मोदी इस तरह भीड़ को खिंचते हैं, जैसे लोग बंदर के करतब देखने जाए.
पीएम मोदी की तुलना कुख्यात अपराधी रंगा-बिल्ला से की- 18 जुलाई, 2020 को कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने एक टीवी डिबेट के दौरान पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तुलना कुख्यात अपराधी रंगा-बिल्ला से की.