नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में बीएस येदुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कांग्रेस ने देर रात सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था और शपथ पर रोक लगाने की मांग की थी. शपथ पर रोक से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- शपथ ग्रहण नहीं रोका जाएगा. पद पर कोई रहेगा या नहीं ये केस के अंतिम निष्कर्ष से तय होगा, लेकिन कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता.


हालांकि, कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट से कम से कम कल शाम तक शपथ टालने की दरख्वास्त की.


सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का निचोड़


अटॉर्नी जनरल रोहतगी- कोर्ट को बाद में ज़रूरी लगे तो येदियुरप्पा पद से हट भी सकते हैं, लेकिन राज्यपाल के आदेश पर रोक, ये कैसी मांग है? राज्यपाल के आदेश पर रोक नहीं लग सकती. सवाल यही है कि बहुमत परीक्षण कितने दिन में हो,  क्या इस सवाल पर सुबह के 4 बजे बहस होगी?

कांग्रेस के वकील सिंघवी ने कहा-राज्यपाल को येदियुरप्पा की तरफ से सौंपे कागज़ न होने के चलते सुनवाई टालने की बात की जा रही है. वो वकील भेज सकते हैं. कागज़ नहीं? बहानेबाज़ी है

रोहतगी- मैं टालने की नहीं, खारिज करने की मांग कर रहा हूँ. रात को 10 बजे के बाद याचिका दायर कर के पूरे कागज़ मांग रहे हैं

जज- अगर कई छोटी पार्टियां होती तो बात अलग थी. यहां BJP बड़ी पार्टी ज़रूर है, लेकिन दूसरी 2 बड़ी पार्टियां संख्या में उससे ज़्यादा है.

एटॉर्नी- हम नहीं जानते राज्यपाल ने क्या तथ्य देखे. अगले 10 दिन में पता चल जाएगा कि बहुमत किसके पास है

जज - ये अलग सवाल है. 10 दिन, 15 दिन क्यों

सिंघवी की मांग- कोर्ट 2 दिन के लिए शपथ ग्रहण टाल दे

एटॉर्नी जनरल- ये कानूनी सवाल नहीं. हम नहीं जानते राज्यपाल ने क्या तथ्य देखे. याचिका अनुमान पर आधारित है

रोहतगी- कोर्ट को ये मामला सुनना ही नहीं चाहिए था. वो भी इस तरह से रात में. आखिरी बार ऐसे याकूब मेमन पर सुनवाई हुई थी

सुनवाई करीब 2.10 पर शुरू हुई. 1 घंटे तक लगातार अभिषेक मनु सिंघवी ये दलाली देते रहे कि राज्यपाल का फैसला गलत है.

कोर्ट का सवाल- राज्यपाल ने अपनी विवेकाधीन शक्तियों (descretionary powers) का इस्तेमाल किया. हम कैसे दखल दे सकते हैं?

कर्नाटक : कुछ देर में जस्टिस ए के सीकरी, एस ए बोबडे और अशोक भूषण की बेंच कांग्रेस-जेडीएस की याचिका पर सुनवाई शुरू करेगी.

कांग्रेस के लिए अभिषेक मनु सिंघवी और केंद्र के लिए ASG तुषार मेहता दलीलें रखेंगे.

कांग्रेस की मांग है कि येदुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाई जाए. ये याचिका कांग्रेस और जेडीएस की ओर से  दायर की गई है.


क्या हुआ?


जैसे ही ये खबर आई है कि राज्यपाल ने येदुरप्पा को शपथ ग्रहण के लिए न्यौता दिया है. कांग्रेस हरकत में आ गई. कांग्रेस-जेडीएस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. याचिका की जांच करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार चीफ जस्टिस के घर पहुंचे और मामले की जानकारी दी. कांग्रेस की यचिका पर सुनवाई का फैसला चीफ जस्टिस ने लिया.


बता दें कि राज्यपाल वजुभाई वाला ने बुधवार को कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया. इस के बाद बीजेपी ने गुरुवार सुबह नौ बजे बीएस येदुरप्पा के शपथग्रहण समारोह का एलान कर दिया. राज्यपाल ने बीजेपी को सदन में बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त दिया है. बीजेपी नेता मुरलीधर राव ने राज्यपाल के बुलावे और शपथ ग्रहण की जानकारी दी.


राज्यपाल का फैसला गलत, हम अधिकारों का इस्तेमाल करेंगे- कांग्रेस
कांग्रेस ने राज्यपाल के फैसले को गलत बताया है, कांग्रेस ने राज्यपाल पर बीजेपी के मुखौटा होने का आरोप लगाते हुए अपने अधिकारों के इस्तेमाल की बात कही. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पीएम मोदी और अमित शाह पर हमला बोला. उन्होंने कहा, ''अमित शाह और मोदी ने आज संविधान का एनकाउन्टर किया है. मोदी और शाह ने संविधान को रौंद डाला. राज्यपाल ने मोदी और शाह से निर्देश लिए ना कि संविधान से. "


कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाया खरीद फरोख्त का आरोप
बीजेपी को न्योता मिलने के आधिकारिक एलान से पहले कांग्रेस ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, ''ये दुख की बात ही जब कुमार स्वामी के साथ बहुमत है तब भी ना बुलाना ऐसा लगता है कि इसके पीछे कोई ताकत काम कर रही है. मन की बात अब धन की बात होने वाली है. राज्यपाल ने अगर उन्हें सरकार बनाने का न्योता दिया है तो स्पष्ट है कि जोड़ तोड़ की राजनीति होने वाली है.''


कांग्रेस हमें संविधान ना सिखाए, अपना इतिहास देखे: रविशंकर प्रसाद
कांग्रेस के संविधान के उल्लंघन के आरोपों पर बीजेपी ने जबरदस्त पलटवार किया है. बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''कांग्रेस का इतिहास संविधान की धज्जियां उड़ाने वाला रहा है. जिस पार्टी ने राष्ट्रपति शासन लगाया वो हमें मर्यादा सिखा रही है. राज्यपाल और राष्ट्रपति को अपने विवेक के आधार पर निर्णय लेने का अधिकार है. अगर राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए बुलाया है तो सभी नियमों और संविधान के मुताबिक ही बुलाया है.''


उन्होंने कहा, ''कांग्रेस पार्टी अगर लोकतांत्रिक मर्यादा की बात करती है तो ये भी मर्यादा है कि नया चुनाव हो तो मैनडेट का सम्मान करो.'' राहुल गांधी पर तंज करते हुए कहा कि वो तो 2 - 3 दिन से गायब हैं, मैंने उन्हें कहीं नहीं देखा.


कांग्रेस ने विधायकों को रिजॉर्ट भेजा
अपने विधायकों को टूट से बचाने के लिए कांग्रेस ने सभी विधायकों को बस में बैठाकर बेंगलुरू के एक रिजॉर्ट में भेज दिया है. जेडीएस ने आज दिन में आरोप लगाया था कि बीजेपी ने उसके विधायकों को 100 करोड़ रुपये का ऑफर दिया है. प्रकाश जावड़ेकर ने जेडीेएस के आरोपों को काल्पनिक बताया.


कांग्रेस-जेडीएस ने भी की थी राज्यपाल से मुलाकात
आज शाम पांच बजे के करीब कांग्रेस और जेडीएस नेताओं राज्यपाल से मुलाकात कर बहुमत होने की जानकारी दी, जेडीएस के कुमारस्वामी ने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा किया. राज्यपाल से मुलाकात के बाद कुमार स्वामी ने कहा, ''हमारे पास बहुमत है, सरकार बनाने पर पहला अधिकार हमारा है.'' कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि हमारे पास 117 विधायकों का समर्थन है, अगर राज्यपाल चाहें तो सभी को उनके सामने पेश कर सकते हैं.


कैसे बन सकती है बीजेपी की सरकार?
बीजेपी के पास बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त है. सदन में अभी बहुमत का आंकड़ा 112 है. बीजेपी के गणित को समझें तो 104 बीजेपी की सीट, एक निर्दलीय और एक केपीजेपी का विधायक मिलाकर आंकड़ा 106 तक पहुंचता है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि बहुमत परीक्षण के दौरान कांग्रेस के 12 विधायक गैरहाजिर रह सकते हैं. ऐसे में सदन में सदस्यों की संख्या 210 हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 106 पर आ जाएगा. बीजेपी आसानी से बहुमत साबित कर देगी.


कर्नाटक में जनता ने किसे क्या दिया?
कर्नाटक में जनता ने किसी को बहुमत नहीं दिया. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी साबित हुई, बीजेपी के खाते में 104 सीटें आईं, 2013 के मुकाबले बीजेपी के हिस्से 64 सीटें ज्यादा आईं. वहीं कुर्सी बचाने के लिए मैदान में उतरी कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा. कांग्रेस को सिर्फ 78 सीटें जो पिछले चुनाव से 44 कम हैं. एचडी कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस को भी दो सीट का नुकसान हुआ और वो 40 से 38 पर आ गई. अन्य के खाते में भी दो सीटें आई हैं. आपको बता दें साल 2013 में कर्नाटक में निर्दलीय विधायकों की संख्या 22 थी.