नई दिल्ली: विधानसभा चुनाव नतीजे सामने आने के बाद कर्नाटक में बड़ा नाटक हो रहा है. किसी पार्टी को बहुमत नहीं है इसलिए सरकार का मामला फंसा हुआ है. कर्नाटक में जनादेश बीजेपी या कांग्रेस-जेडीएस, किसको मिली है, यह सियासी मुद्दा बना हुआ है. किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिली है कांग्रेस के समर्थन से जेडीएस ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है तो बीजेपी ने भी सरकार बनाने की दावेदारी की हुई है. गेंद अब राज्यपाल के पाले में है. अब ऐसे में सबकी नजर राज्यपाल के फैसले पर है कि वह किसे पहले बुलाते हैं.


पेंच सरकार किसकी बनेगी इसको लेकर फंसा है. आपको बताते हैं कि इस मुद्दे पर संविधान क्या कहता है? संविधान में सीधे तौर पर इसका जिक्र नहीं लेकिन परंपरा के मुताबिक जिस पार्टी को बहुमत मिलता है या फिर सबसे बड़ी पार्टी या सबसे बड़े गठबंधन को राज्यपाल सरकार बनाने का न्योता देते हैं. सरकार के लिए पहले किसको बुलाया जाए ये राज्यपाल पर निर्भर करता है.


कर्नाटक में सरकार बनाने का न्योता किसे मिलेगा? यह फैसला राज्यपाल वजुभाई वाला के हाथों में है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि राहु काल खत्म होने के बाद सूबे में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी को सरकार बनाने के न्योता दे सकते हैं. वहीं कांग्रेस ने भी आगे की रणनीति तैयार कर ली है.


सूत्रों के मुताबिक, अगर राज्यपाल बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता देते हैं तो कांग्रेस तत्काल कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. यानि अगर आज न्योता मिलता है तो कांग्रेस आज ही सुप्रीम कोर्ट जाएगी. कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के पास विकल्पों में राज्यपाल के सामने विधायकों की परेड भी शामिल है.


कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे कुमारस्वामी ने आज कहा कि मुझे नहीं पता राज्यपाल क्या करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ''अगर बीजेपी को राज्यपाल की तरफ से मौका दिया जाता है तो हम इसपर कुछ नहीं कर सकते. मुझे किसी बात को लेकर डर नहीं है, मैं निश्चिन्त हूं. हम राज्यपाल से दोबारा मिलने जाएंगे.''


कांग्रेस का कहना है कि गोवा, मेघालय और मणिपुर की तरह ही कर्नाटक में भी राज्यपाल वजुभाई वाला को फैसला लेना चाहिए. राज्यपाल कांग्रेस-जेडी (एस) गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करे.


मार्च 2017 में हुए गोवा, मणिपुर विधानसभा चुनाव और मेघालय में मार्च 2018 में हुए विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए कांग्रेस ने कहा है कि कांग्रेस इन तीनों राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन बीजेपी की संलिप्तता में चुनाव बाद हुए गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था.