कर्नाटक चुनाव: सरकार बनाने का मौका बीजेपी को मिलेगा या कांग्रेस को, जानें क्या है नियम
कर्नाटक चुनाव के नतीजों से बहुमत का पेंच फंस गया है. कोई भी दल बहुमत का जादुई आंकड़ा छूने में कामयाब नहीं होती दिख रही है.ऐसे में सरकार बनाने को होड़ शुरू हो गई है.
बेंगलुरु: कर्नाटक चुनाव के नतीजों से बहुमत का पेंच फंस गया है. कोई भी दल बहुमत का जादुई आंकड़ा छूने में कामयाब नहीं होती दिख रही है.ऐसे में सरकार बनाने को होड़ शुरू हो गई है. इस आपाधापी में सबसे बड़े दल के तौर पर उभर रही बीजेपी को मात देने के लिए कांग्रेस ने अपना दांव चल दिया है. कांग्रेस ने बीजेपी को रोकने के लिए बिना शर्त जेडीएस को समर्थन देने का फैसला किया है और जेडीएस ने उसे स्वीकार कर भी लिया है.
लेकिन सवाल है कि क्या कांग्रेस के लिए सरकार बनाना इतना आसान है? तो जवाब है कि ऐसी स्थिति में किसी भी पार्टी के लिए सरकार बनाना एक टेढ़ी खीर है. खासकर उस पार्टी के लिए जिसकी विरोधी पार्टी केंद्र में सत्तासीन हो.
क्या कहते हैं नियम
इसके लिए कोई लिखित नियम नहीं है और परंपरा के आधार पर राज्यपाल अपने विवेक से फैसला करते हैं. परंपरा यही है कि राज्यपाल पहले सबसे बड़ी पार्टी तो सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं. हालांकि हाल के ही उदाहरण लें तो गोवा और मणिपुर में राज्यपाल ने सरकार गठन के लिए दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्यौता दिया. और इन दोनों जगह पर न्यौता पानी वाली पार्टी विधानसभा में बहुमत साबित करने में कामयाब रही.
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि ऐसी स्थिति के लिए सरकारिया कमीशन ने सुझाव पेश किया है. अगर कोई भी पार्टी बहुमत में है तो सबसे पहले राज्यपाल उसे सरकार बनाने का मौका देते हैं. वहीं कमीशन की सिफारिश के मुताबिक अगर कहीं भी त्रिशंकू विधानसभा की स्थिति बनती है तो राज्यपाल सबसे पहले चुनाव से पहले बने गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे.
अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं. अगर सबसे बड़ी पार्टी बहुमत साबित नहीं कर पाती है तो फिर चुनाव के बाद हुए गठबंधन को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया जाता है.
कर्नाटक में पेंच क्या है?
कर्नाटक में किसी भी दल को बहुमत नहीं है. कांग्रेस ने जेडीएस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को सीएम के तौर पर कबूल करने का फैसला किया है. जेडीएस ने भी कांग्रेस के प्रस्ताव को मान लिया है. बहुमत के लिए 112 सीटें चाहिए, जो इन दोनों गठबंधन के पास है. कांग्रेस को 76 और जेडीएस को 40 सीटें मिल रही हैं. रुझानों के मुताबिक बीजेपी को 104 सीटें जीत सकती है. लेकिन सारा मामला राज्यपाल के फैसले पर निर्भर करेगा. अब तक कर्नाटक में 222 सीटों में से 181 के नतीजे घोषित किए जा चुके हैं.
राज्यपाल का क्या है कहना?
कर्नाटक के राज्यपाल वैजूभाई वाला का कहना है कि हालात पर उनकी नजर है और पहले वे सभी नतीजे आने का इंतजार करेंगे. उसके बाद किसी भी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता देंगे.
कांग्रेस के लिए मुश्किल क्या है?
बता दें कि इससे पहले गोवा और मणिपुर में बीजेपी ने इसी तरह जोड़-तोड़ करके सरकार बनाई है. कांग्रेस और गोवा दोनों जगह पर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन बहुमत नहीं होने के चलते बीजेपी ने अन्य पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बना ली. अब कांग्रेस कर्नाटक में कुछ इसी तरह का दांव खेलने की तैयारी में है. इसी तरह मेघालय में बीजेपी के पास दो, एनपीपी के पास 19, यूडीपी के पास 6, एचएसपीडीपी के पास 2, पीडीएफ के पास चार सीटें थी. इन सभी ने मिलकर पहली बार मेघालय में एनडीए सरकार बनाई थी.