कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद वोटों की गिनती जारी है. रेस में कांग्रेस आगे चल रही है. रुझानों से ये साफ हो गया है कि कर्नाटक में कांग्रेस बड़ी पार्टी बन कर उभर रही है. खबर लिखे जाने तक एबीपी न्यूज में चल रहे रुझान में कांग्रेस को 128 बीजेपी को 68 और जेडीएस के खाते में 22 सीटें जाती दिखाई दे रही हैं
दक्षिणी राज्य में अंतिम परिणाम अगले साल के लोकसभा चुनावों पर असर डालेंगे. बीजेपी अगर कर्नाटक हार जाती है तो बीजेपी अपने पास मौजूद एकमात्र दक्षिणी राज्य को खो देगी. जिसका असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा.
जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने नतीजों से पहले भविष्यवाणी की कि बीजेपी "बड़े अंतर से चुनाव हार जाएगी". उन्होंने आगे कहा कि आने वाले दिनों में बीजेपी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव भी हार जाएगी. बता दें कि कर्नाटक लोकसभा में 28 सदस्यों को भेजता है, ऐसे में राज्य को खोना बीजेपी के लिए एक झटका होगा .
बीेजेपी में बढ़ेंगी गुटबाजी
बीजेपी अगर चुनाव हारती है तो साल 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटें कर्नाटक में घट सकती हैं. कर्नाटक में करारी हार के बाद बीजेपी के भीतर गुटबाजी और ज्यादा बढ़ेगी, जिसका नुकसान लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा. कर्नाटक में बीजेपी के पास 25 सीटें हैं.
कर्नाटक में हार की वजह से दक्षिण का मिशन कमजोर होगा. दक्षिण भारत में लोकसभा की कुल 129 सीटें हैं. इनमें से बीजेपी के पास अभी सिर्फ 29 सीटें हैं.
दक्षिण भारत के बाकी राज्यों में भी मिल सकती है हार
बता दें कि दक्षिण भारत के राज्यों में कर्नाटक को बीजेपी के लिए सबसे मजबूत राज्य माना जाता है. यहां पर बीजेपी पहले भी कई बार सरकार बना चुकी है और अभी भी राज्य की सत्ता में है. अगले साल 2024 लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में अगर बीजेपी कर्नाटक विधानसभा चुनाव हार जाती है तो उसके लिए दक्षिण भारत के अन्य राज्य- तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में जीत हासिल करना बड़ी चुनौती होगी, जिसका सीधा असर 2024 लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है.
बता दें कि दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पुड्डुचेरी में मिलाकर लोकसभा की कुल 129 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के पास फिलहाल 29 सीटें ही हैं. इसमें से भी 25 सीटें उसे अकेले कर्नाटक से ही मिली है. तेलंगाना से बीजेपी के पास चार सांसद है. साफ है कि बीजेपी की कर्नाटक में हार से दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में खाता खोलना मुशकिल हो जाएगा.
कर्नाटक की हार यानी बीजेपी के लिए लोकसभा चुनावों में कांटे
कर्नाटक के भूगोल को देखें तो उत्तर में महाराष्ट्र, उत्तर पश्चिम में गोवा, दक्षिण में केरल, दक्षिण पूर्व में तमिलनाडु, पूर्व में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना है. कर्नाटक को मिलाकर इन सभी राज्यों की लोकसभा सीटों को मिलाकर कुल 179 सीटें बैठती हैं. यानी कर्नाटक विधानसभा में कमल के नहीं खिलने का मतलब ये होगा कि लोकसभा चुनावों की राह में कांटे बीजेपी की राह में कांटे बो दिए गए हैं.
मिशन-साउथ को झटका
दक्षिण के छह राज्यों से 130 लोकसभा सीटें हैं. ये कुल लोकसभा सीटों का तकरीबान 25 फीसदी हैं. यानी दक्षिण भारत सियासी तौर पर भी काफी महत्वपूर्ण है.
बता दें कि 2019 में बीजेपी को कर्नाटक और तेलंगाना में सीटें मिली थी, लेकिन साउथ के बाकी राज्यों में पार्टी को सीट नहीं मिली थी. कर्नाटक के जरिए बीजेपी दक्षिण में अपने पैर पसारना चाहती है, कर्नाटक में झटका लगने से बीजेपी के लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश सहित दक्षिण के बाकी राज्यों में बड़ा सियासी नुकसान हो सकता है. तेलंगाना में के. चन्द्रशेखर राव की सरकार को हराने के लिए बीजेपी का कर्नाटक जीतना बहुत जरूरी है.
सीटों की भरपाई करना बीजेपी के लिए होगी चुनौती
कर्नाटक के साथ ही पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र में भी बीजेपी की सीटें घट सकती हैं. इन राज्यों में हो रहे सीटों के नुकसान की भरपाई के लिए बीजेपी को नए राज्य तलाशने होंगे जो सबसे बड़ी चुनौती होगी.