Karnataka Election Results 2023: कर्नाटक में कांग्रेस की बड़ी जीत के साथ ही सवाल उठ रहे हैं कि राज्य में मुख्यमंत्री की कमान सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार में से किसे मिलेगी? मुख्यमंत्री चुनने के लिए रविवार की शाम को कांग्रेस विधायक दल की बैठक होगी. हालांकि इससे पहले सूत्र इस बात की ताकीद कर रहे हैं कि सिद्धारमैया को सीएम बनाया जा सकता है.


कांग्रेस के 75-वर्षीय नेता सिद्धरमैया शनिवार को जब मैसूर में खचाखच भरे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे तो वह नई ऊर्जा से लबरेज नजर आए. सिद्धरमैया ने कहा कि ‘यह (कर्नाटक में चुनाव परिणाम) 2024 में कांग्रेस की जीत की ओर महत्वपूर्ण कदम साबित होगा. 


चुनाव आयोग के रात 11.30 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक, कांग्रेस को बहुमत मिल चुका है. इलेक्शन कमीशन ने बताया कि कांग्रेस 135 सीटें जीत चुकी है और एक पर आगे चल रही है. वहीं बीजेपी 65 और जेडीएस 19 सीटों पर सिमट गई है.


क्यों मजबूत है सिद्धारमैया की दावेदारी


करीब ढाई दशक तक ‘जनता परिवार’ से जुड़े रहे और कांग्रेस-विरोधी रुख के लिए पहचाने जाने वाले सिद्धरमैया 2006 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और अब उन्हें कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है. 


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने विधानसभा चुनाव से पूर्व कई बार कहा था, कि यह मेरा अंतिम चुनाव है. इसके बाद मैं चुनावी राजनीति से संन्यास ले लूंगा. हालांकि, शनिवार को सिद्धारमैया ने संकेत दिया कि उनकी निगाहें भविष्य की संभावनाओं पर टिक गई हैं. वे मुख्यमंत्री के पद पर एक बार फिर से काबिज होने की इच्छा जता चुके हैं. मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया और कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष डीके शिवकुमार मुख्य तौर पर दौड़ में हैं. सिद्धारमैया वर्ष 2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की बागडोर संभाल चुके हैं.


खरगे को पछाड़ सीएम बन चुके हैं सिद्धारमैया 


सिद्धारमैया वर्ष 2013 में मल्लिकार्जुन खरगे (वर्तमान में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष) और तत्कालीन केंद्रीय श्रम मंत्री को पछाड़ते हुए मुख्यमंत्री बने थे. सिद्धारमैया 2006 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. इससे पूर्व वे करीब ढाई दशक तक ‘जनता परिवार’ से जुड़े रहे थे और कांग्रेस विरोधी रुख के लिए पहचाने जाने थे.


वर्ष 2004 में खंडित जनादेश मिलने के बाद कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने कर्नाटक में गठबंधन सरकार बनाई थी, जिसमें कांग्रेस नेता एन. धर्म सिंह मुख्यमंत्री जबकि तत्कालीन जद (एस) नेता सिद्धारमैया को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था.


कुरुबा समुदाय से आते हैं सिद्धारमैया


सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और यह समुदाय राज्य में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है. सिद्धारमैया को जद (एस) से बर्खास्त किए जाने के बाद पार्टी के आलोचकों ने दावा किया था कि उन्हें इसलिए हटाया गया क्योंकि जद (एस) नेता एच.डी. देवेगौड़ा कुमारस्वामी को पार्टी के नेता के रूप में बढ़ाने के इच्छुक थे. उस वक्त भी सिद्धारमैया ने 'राजनीति से संन्यास' की बात कहते हुए वकालत के पेशे में लौटने पर विचार करने की बात कही था. 


कांग्रेस में 2006 में शामिल हुए  


उन्होंने अपनी पार्टी के गठन की संभावना को खारिज करते हुए कहा था कि वे धनबल नहीं जुटा सकते. भाजपा और कांग्रेस दोनों ने उन्हें लुभाते हुए पार्टी में पद देने की बात कही थी. लेकिन उन्होंने कहा था कि वह भाजपा की विचारधारा से सहमत नहीं हैं और 2006 में वे अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे. यह एक ऐसा कदम था जिसके बारे में कुछ वर्षों पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था.


सिद्धारमैया 1983 में पहली बार बने थे विधायक


सिद्धारमैया 1983 में लोकदल के टिकट पर चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट से जीत हासिल कर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. उन्होंने इस सीट से पांच बार जीत हासिल की और तीन बार हार का भी सामना किया. मैसूरू जिले के गांव सिद्धारमनहुंडी में 12 अगस्त, 1948 को जन्मे सिद्धारमैया ने मैसूरू विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली और बाद में यहीं से कानून की डिग्री हासिल की.


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