Bajrang Dal Issue In Karnataka Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर साफ हो गई है. कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने जा रही है. शनिवार (13 मई) के शाम 7:20 बजे के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 218 सीटों पर जीत-हार तय हो चुकी है. इनमें से 132 सीटें कांग्रेस ने जीत ली हैं, जोकि बहुमत के 113 के आंकड़े से ज्यादा हैं. राज्य में बजरंग दल का मुद्दा कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहा. कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में बजरंग दल और पीएएफआई जैसे संगठनों को बैन करने की बात कही थी. बीजेपी ने इसके जवाब में 'बजरंग बली' कैंपेन चलाया. बजरंग दल बैन के नाम पर कांग्रेस को मुस्लिमों का बंपर वोट मिला. हालांकि, मतदाताओं का ध्यान खींचने के लिए और भी कई फैक्टर रहे. 


बजरंग दल बैन के नाम पर कांग्रेस को मिला बंपर मुस्लिम वोट


कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने निजी तौर पर स्वीकार किया कि घोषणापत्र में बजरंग दल का जिक्र करना और पीएफआई से उसकी तुलना करना नजरअंदाज करने लायक था लेकिन पार्टी ने पीछे नहीं हटने का फैसला किया. एम वीरप्पा मोइली ने बजरंग दल के मुद्दे को उछालने पर असहमति जताई थी लेकिन पार्टी ने लगातार अपनी स्थिति डटी रही. कई नेताओं ने कहा कि बजरंग दल के नाम का जिक्र करना प्लान में नहीं था लेकन जल्द ही पार्टी को अहसास हुआ कि मुस्लिमों के बीच इस मुद्दे ने काउंटर पोलराइजेशन (ध्रुवीकरण की काट) का काम किया, खासकर उन सीटों पर, जहां जेडीएस का दबदबा है.  


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक नेता ने बताया, ''यह उद्देश्यपूर्ण तरीके नहीं किया गया. बीजेपी हमें पीएफआई के मुद्दे निशाना बना रही थी. गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यह कहते हुए हम पर हमला कर रहे थे कि सिद्धारमैया सरकार पीएफआई को लेकर नरम है और सत्ता में आने पर ऐसी कट्टरपंथी ताकतों को खुली छूट देगी. इसलिए हमें पीएफआई के मुद्दे पर किसी तरह हल निकालना था. पीएफआई के साथ बजरंग दल का नाम लेना मुद्दे को साध रहा था. लोगों को बताने का विचार यह था कि कानून सबसे ऊपर होगा.''


कांग्रेस के घोषणापत्र में बजरंग दल का जिक्र कर दांव खेल दिया. लोगों के मूड को भांपने के लिए पार्टी ने एक सर्वे भी कराया, जिसमें पाया कि कोस्टल रीजन के बाहर इस मुद्दे की कोई गूंज नहीं है. कोस्टल बेल्ट को लेकर भी आकलन यह लगाया गया कि मामूली (मुट्ठीभर सीटों का) नुकसान हो सकता है. दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय और उन शहरी मतदाताओं को कांग्रेस एक संदेश पहुंचाने में सफल रही जो बजरंग दल को परेशान करने वाले संगठन के तौर पर देखते हैं.


रिपोर्ट में एक वरिष्ठ नेता के हवाले से कहा गया, ''बीजेपी के कट्टर मतदाताओं के अलावा, वे शहरी मतदाता जो मोदी को अभी पसंद करते हैं और 2024 के चुनाव में उन्हें वोट दे सकते हैं, वे बजरंग दल और श्रीराम सेना जैसे संगठनों के वायलेंट तरीकों से खुश नहीं थे. कर्नाटक में एक बड़ी शहरी आबादी भी है. इसलिए एक तरीके से हम मानते हैं कि बजरंग दल के मुद्दे ने हमारे पक्ष में काम किया. हिंदुत्व के मुद्दे ने इस बार उतना काम नहीं किया. हो सकता है कि कोस्टल बेल्ट की कुछ सीटों पर हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ी हो लेकिन निश्चिच रूप से फायदे ने नुकसान को कम कर दिया है.''


भ्रष्टाचार का मुद्दा रहा अहम


कर्नाटक में कांग्रेस ने '40 फीसदी कमीशन' का मु्द्दा बनाया. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ठेकेदारों से 40 फीसदी कमीशन लेती है. कांग्रेस के कई नेता अपनी रैलियों में इस मुद्दे पर लगातार बीजेपी को घेरते रहे. बीजेपी की ओर से पलटवार भी किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस का नाता 85 फीसदी कमीशन से रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के ही एक शीर्ष नेता  और पूर्व पीएम ने कहा था कि दिल्ली से अगर एक रुपया भेजा जाता है को जमीन तक 15 पैसा पहुंचता है. वहीं, कांग्रेस के बड़े से लेकर छोटे नेता तक एक सुर आ गए. अखबार के स्थानीय एडिशन में कांग्रेस ने भ्रष्टाचार की रेट लिस्ट तक छपवा दी. वहीं, एबीपी न्यूज के लिए जब सीवोटर ने राज्य में चुनावी सर्वे किया तो लोगों ने भ्रष्टाचार को भी बड़ा मुद्दा बताया. हालांकि, बीजेपी भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को नकारती रही है.


कांग्रेस की 5 गारंटियों ने किया काम!


कांग्रेस ने पांच गारंटियों की घोषणा की, जिसका असर चुनाव परिणाम के रूप में दिख रहा है. कांग्रेस की पांच गारंटियों में गृह ज्योति योजना के तहत हर परिवार को 200 यूनिट तक फ्री बिजली देना, गृह लक्ष्मी योजना के तहत घर चलाने वाली महिलाओं को 2000 रुपये प्रति माह देना, सभी महिलाओं को फ्री बस सेवा मुहैया कराना, ग्रेजुएट युवाओं को 3000 रुपये और डिप्लोमा होल्डर्स को 1500 रुपये प्रति माह देना और अन्न भाग्य योजना के तहत बीपीएल परिवारों के हर व्यक्ति को 10 किलो चावल प्रति माह देना शामिल है. 


स्थानीय मुद्दों पर डटी रही कांग्रेस


कांग्रेस ने रैलियों और अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से काम, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कानून और व्यवस्था और आरक्षण जैसे मुद्दे पर भी फोकस किया. पार्टी ने हाल के वर्षों में कर्नाटक में जातिगत जनगणना कराने का वादा भी किया. 


बीजेपी नेताओं को पकड़ाया हाथ


कांग्रेस ने बीजेपी से नाराज चल रहे नेताओं को अपनाने से परहेज नहीं किया और उन्हें अपना हाथ पकड़ाया. पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी और एचडी थम्मैया जैसे दिग्गज नेता बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए. शेट्टार लिंगायतों के बनजिगा संप्रदाय से आते हैं. तीनों नेताओं का खासा असर माना जाता है. हालांकि, शेट्टार इस बार हार गए हैं. थम्मैया ने चिकमंगलूर से बीजेपी के सीटी रवि को मात दे दी है.


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