बेंगलूरू: कर्नाटक की सियासी तस्वीर पलपल बदल रही है. जब एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीएस यदुरप्पा ने सुबह नौ बजे बेंगलुरू स्थित राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे उसी वक्त कांग्रेस और जेडीएस के विधायक इसे 'लोकतंत्र की हत्या' बताते हुए विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे थे. बीजेपी के सामने किसी भी तरह बहुमत जुटाने की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के लिए अपने विधायकों को रोकने की चुनौती है.


इस बीच खबर है कि कांग्रेस के चार विधायक पार्टी की बैठकों में नहीं शामिल हो रहे हैं. जिसमें से दो विधायकों के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ जाने की खबर है. जिसमें से एक बेल्लारी जिले के विजयनगर सीट से विधायक आनंद सिंह हैं. आनंद सिंह बीजेपी की सरकार में 2008 से 2013 तक मंत्री रह चुके हैं. काग्रेस के एक विधायक डीके सुरेश ने कहा, ''आनंद सिंह को छोड़कर सभी विधायक यहां मौजूद हैं. सिंह नरेंद्र मोदी के संपर्क में हैं.'' वहीं दूसरे विधायक का नाम पीजी पाटिल है. एक कांग्रेस नेता ने कहा कि हमने पाटिल से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन यह संभव नहीं हो पाया.


कांग्रेस ने पलटी बाजी


चार विधायकों के गायब होने की खबर के बीच कांग्रेस बाजी पलटती दिख रही है. कांग्रेस ने कल तक बीजेपी के साथ दिख रहे दो विधायकों को अपने पाले में ले लिया है. निर्दलीय विधायक एच नागेश और केपीजेपी के विधायक आर शंकर आज कांग्रेस के धरना प्रदर्शन में नजर आए. हावेरी जिले के रानी बेननू विधानसभा सीट से विधायक आर शंकर ने पहले बीजेपी का समर्थन किया था और उन्होंने येदुरप्पा को समर्थन देने का ऐलान किया था.


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कर्नाटक में 222 सीटों पर चुनाव हुए थे, जिसमें से बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37 (78+37=115) सीटें मिली थीं. केपीजेपी, बीएसपी और निर्दलीय ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की थी. सरकार बनाने के लिए सूबे में 112 सीटों की जरूरत है. चुनाव के ठीक बाद आनन-फानन में कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन का ऐलान किया और राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा किया. हालांकि राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी होने के आधार पर बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.


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ऐतिहासिक घटनाक्रम के तहत सुप्रीम कोर्ट ने देर रात सुनवाई की और राज्यपाल के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. जिसके बाद आज येदुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अब उन्हें अगले 15 दिनों के भीतर बहुमत सिद्ध करना है. बड़ा सवाल है कि आखिर यदुरप्पा कैसे फ्लोर टेस्ट में पास होंगे.


कांग्रेस का कहना है कि मेघालय, गोवा और मणिपुर की तरह राज्यपाल को कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को सरकार बनाने का न्योता देना चाहिए. राज्यपाल ने यह नहीं कर लोकतंत्र का एनकाउंटर किया है. इसी के विरोध में कांग्रेस बेंगलूरू में विधानसभा के बाहर धरने पर बैठी है.


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