Karnataka Assembly Elections 2023: कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की चुनावी रैलियों में काफी भीड़ उमड़ रही है. हाल ही में पीएम ने बेलगावी जिले में रैली की थी. जिसमें आसपास के आठ विधानसभा क्षेत्रों से करीब 2 लाख लोग पहुंचे थे. सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत कई तैयारियां की गई थी जिस वजह से बैलहोंगल और बेलगावी के बीच यात्रा करने वाले यात्री कई घंटे तक जाम में फंसे रहे.


पीएम की रैली में पहुंचे राजू सज्जन नामक एक व्यक्ति ने इंडिया टुडे से कहा कि ये पीएम मोदी की 10वीं रैली है जिसमें उन्होंने बीते वर्षों में भाग लिया है. बेलगावी के एक स्टोर के कर्मचारी ने रैली के लिए एक दिन की छुट्टी ली थी. इसी तरह, उन्होंने फरवरी में बेलगावी में पीएम के रोड शो में शिरकत की थी. 


बीजेपी के लिए पीएम मोदी एक्स फैक्टर


बेलागवी की 18 विधानसभा सीटों में से 11 पर बीजेपी का कब्जा होने के साथ, कर्नाटक के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित ये जिला पार्टी का गढ़ रहा है, लेकिन फिर भी बीजेपी इस बार भी कोई कसर नहीं छोड़ रही है. बीजेपी के लिए पीएम मोदी बेशक एक्स फैक्टर हैं. कर्नाटक में पार्टी के चुनाव प्रबंधकों का कहना है कि प्रधानमंत्री की रैलियों से उनका प्रचार जोर पकड़ रहा है. 29 अप्रैल के बाद से उन्होंने राज्य भर में 13 जनसभाएं और रोड शो किए हैं. 6 और 7 मई को, पीएम बेंगलुरु में दो दिवसीय रोड शो करेंगे, जो शहर के एक छोर से दूसरे छोर तक जाएगा. 


पार्टी कैडर का बढ़ता है मनोबल


पीएम मोदी के कई भाषणों का हिंदी से कन्नड़ में अनुवाद किया जाता है, खासकर दक्षिणी जिलों में. यहां पीएम मोदी भी बीजेपी के पक्ष में वोट करने की अपील कन्नड़ में करते हैं. पार्टी कैडर के लिए, ये आयोजन एक बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला है, लेकिन सज्जन जैसे कट्टर मोदी समर्थक भी मानते हैं कि रैलियों में आम तौर पर अच्छी संख्या में लोग माहौल देखने के लिए होते हैं. 


भ्रष्टाचार और महंगाई बड़े मुद्दे


उनका कहना है कि बैलहोंगल की रैली में भारी भीड़ उमड़ी थी. हमेशा बीजेपी को वोट देने वाले 48 वर्षीय सज्जन कहते हैं कि आप यह नहीं कह सकते कि वे सभी बीजेपी के पक्ष में मतदान करेंगे. वह राज्य की बीजेपी सरकार की आलोचना से भी पीछे नहीं हटे, उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और महंगाई दो मुख्य कारण हैं. लोग अपने विधायकों से पूछ रहे हैं कि चीजें इतनी महंगी क्यों हैं और वे जवाब नहीं दे पा रहे. 


रैलियों की भीड़ बदलेगी वोट में?


पीएम मोदी की रैलियों में भारी भीड़ होती है, उनका प्रभाव क्षेत्र पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए, तटीय कर्नाटक और आसपास के मलनाड क्षेत्र, जिसमें शिवमोग्गा और अन्य जिले शामिल हैं, बीजेपी के गढ़ हैं. हालांकि, पीएम पुराने मैसूर क्षेत्र में भी लगातार आते रहे हैं, हासन और रामनगर में भी रैलियां की गईं, जहां पार्टी का प्रभाव कमजोर रहा है. पुराने मैसूरु के एक अन्य जिले कोलार में, जहां बीजेपी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है, 30 अप्रैल को मोदी की रैली में काफी भीड़ थी. कार्यक्रम स्थल पर पीएम के हेलीकॉप्टर के उतरते ही भीड़ ने उत्साह से तालियां बजाईं. 


पीएम मोदी की रैली का प्रभाव पड़ेगा?


जिले के एक बीजेपी कार्यकर्ता का कहना है कि कोलार में स्थानीय मुद्दे, खासकर पानी की उपलब्धता, उम्मीदवारों की लोकप्रियता के अलावा सबसे ज्यादा मायने रखते हैं. उनका मानना है कि पीएम मोदी की रैली का निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा, हालांकि यह कुछ हद तक योगदान दे सकती है. कर्नाटक के मतदाता चुनावों में स्थानीय और राष्ट्रीय के बीच अंतर करने की प्रवृत्ति रखते हैं- इसका सबसे बड़ा उदाहरण 1985 के विधानसभा चुनाव में सामने आया था. जब राज्य ने 1984 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की बड़ी जीत के कुछ महीने बाद जनता पार्टी को भरपूर वोट दिए.


बीजेपी ने इसी तरह 2019 में, मोदी लहर में 28 लोकसभा सीटों में से 25 पर जीत हासिल की थी. पुराने मैसूर क्षेत्र में भी जब लोकसभा चुनाव की बात आती है तो पीएम की एक मजबूत अपील होती है. कर्नाटक में अगले सप्ताह मतदान होने के साथ, पीएममोदी की रैलियों का प्रभाव एक एक्स फैक्टर बना हुआ है. 


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